×

मछलियों को नशा: यहां होता इस तरह का काम, ये है वजह

मध्य प्रदेश के बालाघाट में आदिवासी मछलियों को आसानी से पकड़ने के लिए उन्हें नशा देते हैं। दरअसल, कोरोना वायरस महामारी के चलते लागू लॉकडाउन की वजह से बैगा समुदाय के आदिवासियों के रोजी-रोटी पर संकट आ पड़ा है।

Shreya
Published on: 2 Jun 2020 11:07 AM GMT
मछलियों को नशा: यहां होता इस तरह का काम, ये है वजह
X

बालाघाट: आपने नशे में धुत लोगों को तो खूब देखा होगा या फिर उनके बारे में सुना होगा। पर क्या आपने ये मछलियों को नशे में धुत देखा या सुना है। अब आप सोच रहे होंगे कि मछलियां नशे में धुत कैसे हो सकती हैं। लेकिन आपको मध्य प्रदेश के बालाघाट में देखने को मिल जाएगा।

इसलिए यहां के लोग मछलियों को देते हैं नशा

मध्य प्रदेश के बालाघाट में आदिवासी मछलियों को आसानी से पकड़ने के लिए उन्हें नशा देते हैं। दरअसल, कोरोना वायरस महामारी के चलते लागू लॉकडाउन की वजह से बैगा समुदाय के आदिवासियों के रोजी-रोटी पर संकट आ पड़ा है। इस वजह से उनके लिए दो वक्त की रोटी तक जुटाने में भी मुश्किल हो गया।

यह भी पढ़ें: भारत की इस मशहूर राजकुमारी को हुआ कोरोना, पति, बेटा और ससुर भी चपेट में

प्राचीन तरीके से करते हैं मछली का शिकार

जिसके बाद ये आदिवासी अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए अपने आसपास पाई जाने वाली मछलियों को अपने आहार बना लिया। ज्यादा संख्या में मछलियां पकड़ी जा सके, इसलिए उन्होंने एक पुरानी तरीका खोज निकाला और एक फल के जरिए मछलियों को नशा देकर, उनके बेहोश होने पर वे उन्हें आसानी से पकड़ने लगे।

यह भी पढ़ें: इतने मजदूरों की वापसी, योगी सरकार ने सही समय पर उठाया ये कदम

टोंडरी फल से दिया जाता है मछलियों को नशा

यहां के आदिवासी टोंडरी नाम के फल से मछलियों को नशा देने का काम करते हैं। ये फल आसानी से जंगल में मिल जाता है। आदिवासी टोंडरी को कूट कर उसे अपने आसपास के नदी नालों या गड्ढ़ो में मिला देते हैं। जैसे ही मछलियों तक पहुंचता है वे बेहोश हो जाती हैं। जिसके बाद आदिवासी आसानी से उन्हें पकड लेते हैं और उससे अपना भोजन बनाते हैं।

आज भी प्राचीन तौर-तरीकों पर निर्भर हैं बैगा जनजाति के लोग

आज भी बैगा जनजाति के लोगों का रहन-सहन प्राचीन तौर-तरीकों पर ही निर्भर है। ये लोग प्राचीन परंपरा के तहत ही मछलियों को नशा देते हैं और फिर उसे अपने भोजन के रूप में इस्तेमाल करते हैं।

यह भी पढ़ें: अयोध्या के संतों को सता रहा डर, कहा-योगीराज में ही पूरा कराए मंदिर निर्माण

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Shreya

Shreya

Next Story