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Mahadev Betting App Case: लूट का इंटरनेशनल रैकेट, डीकंपनी से लेकर आईपीएस अफसर, बॉलीवुड एक्टर सब हैं इससे जुड़े
Mahadev Betting App Case: ईडी ने अपनी कार्रवाई शुरू की है और उम्मीद है कि इस गोरखधंधे से जुड़े लोग और अवैध कमाई करने वाले पकडे जायेंगे और सजा पाएंगे।
Mahadev Betting App Case: दुबई से ऑपरेट होने वाले ‘महादेव ऑनलाइन बुक बेटिंग ऐप’ के रहस्य धीरे धीरे खुलते जा रहे हैं। इस इंटरनेशनल रैकेट के तार डी कम्पनी से लेकर छत्तीसगढ़ के पुलिस अफसरों, मुम्बई की सेलिब्रिटीज़, और न जाने किनसे जुड़े हुए हैं। हजारों करोड़ रूपये के इस रैकेट में कितने लोग अपना पैसा गंवा चुके हैं इसकी भी कोई गिनती नहीं है। अब ईडी ने अपनी कार्रवाई शुरू की है और उम्मीद है कि इस गोरखधंधे से जुड़े लोग और अवैध कमाई करने वाले पकडे जायेंगे और सजा पाएंगे।
फिलहाल, हजारों करोड़ के इस बेटिंग यानी सट्टेबाजी ऐप की पब्लिसिटी करने के मामले में ईडी ने बॉलीवुड एक्टर रणबीर कपूर, श्रद्धा कपूर, हमा कुरेशी, हिना खान और टीवी पर्सनालिटी कपिल शर्मा को पूछताछ के लिए बुला भेजा है। बताया जाता है कि 14-15 मशहूर हस्तियां और अभिनेता ईडी की जांच के दायरे में हैं। रायपुर में मनी लांड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की विशेष अदालत ने संदिग्धों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट भी जारी किया है। ईडी ने हाल ही में रायपुर, भोपाल, मुंबई और कोलकाता में 39 स्थानों पर तलाशी ली थी और 417 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति जब्त की थी। महादेव बेटिंग ऐप का नेटवर्क न सिर्फ भारत में बल्कि संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका, नेपाल और पाकिस्तान में भी है। बताया जाता है कि दाऊद इब्राहिम से महादेव ऐप वालों के लिंक हैं और ये लोग डी कंपनी को प्रोटेक्शन मनी के तौर पर हर महीने 100 करोड़ रुपये देते हैं।
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कैसे हुआ खुलासा
- यूं तो महादेव ऐप का धंधा काफी समय से चल रहा है लेकिन ईडी के रडार पर यह उस समय आया जब इस ऐप के प्रमोटरों ने यूनाइटेड अरब अमीरात के रास-अल-खैमा में इस साल फरवरी में एक भव्य शादी समारोह का आयोजन किया और उसमें 250 करोड़ रुपये खर्च कर डाले वह भी नकद पेमेंट में। ये शादी महादेव ऐप के प्रमोटर 28 वर्षीय सौरभ चन्द्राकर की थी।
- शादी में मुम्बई से रणबीर कपूर, विशाल ददलानी, टाइगर श्रॉफ, आतिफ असलम, सनी लियोन, नेहा कक्कड़, अली असगर, भारती सिंह, भाग्यश्री, पुलकित सम्राट, एली अवराम और राहत फतेह अली खान जैसी हस्तियां शामिल हुईं थीं।
- महादेव ऐप का धंधा भारत से चलता थी लेकिन 2018 से यह दुबई से ऑपरेट हो रहा है और इसके प्रमोटर – सौरभ चन्द्राकर और रवि उप्पल दुबई में रहते हैं।
- शादी में प्राइवेट जेट से नागपुर से यूएई तक मेहमान ले जाए गए थे। शादी में फिल्म उद्योग की मशहूर हस्तियों को परफॉर्म करने के लिए भुगतान किया गया था। वेडिंग प्लानर, डांसर, डेकोरेटर आदि को मुंबई से काम पर रखा गया था और नकद पेमेंट करने के लिए हवाला चैनलों का इस्तेमाल किया गया था।
- पता चला कि 112 करोड़ रुपये हवाला चैनल के जरिये एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी - योगेश पोपट की ‘आर-1 इवेंट्स प्राइवेट लिमिटेड’ को दिए गए थे और ₹42 करोड़ दिरहम की होटल बुकिंग नकद भुगतान करके की गई थी।
- यह यूनिट महादेव ऐप प्रमोटरों, परिवार, व्यावसायिक सहयोगियों और मशहूर हस्तियों को भारत से यूएई की यात्रा की संपूर्ण टिकटिंग संचालन के लिए जिम्मेदार थी। सट्टेबाजी पैनल से अवैध नकद कमाई रैपिड ट्रेवल्स नामक कंपनी से टिकट एजेंटों के पास जमा की गई थी, और वॉलेट का इस्तेमाल घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय टिकट बुक करने के लिए किया गया था।
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क्या है ये ऐप
- महादेव ऑनलाइन बेटिंग ऐप 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा का एक व्यापक सिंडिकेट है जो ऑनलाइन कैसीनो, पोकर, कार्ड गेम, चांस गेम, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल, ड्रैगन टाइगर और वर्चुअल क्रिकेट गेम्स के साथ-साथ लाइव क्रिकेट पर अवैध सट्टेबाजी के लिए मंच प्रदान करता है, साथ ही तीन पत्ती जैसे कई कार्ड गेम खेलने का प्रावधान भी करता है।
- महादेव ऐप का रखरखाव करने वाले लोग विभिन्न इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर कई क्लोज्ड यूजर ग्रुपों को ऑपरेट करते हैं। वे इसी तरह के 4-5 प्लेटफॉर्म भी चलाते हैं और कथित तौर पर हर दिन 200 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाते हैं।
- ऐप के ऑपरेटर विभिन्न वेबसाइटों पर कांटेक्ट नंबर का विज्ञापन करते हैं और लोगों को मुनाफा कमाने के लिए खेलने का लालच देते हैं। ऐसे नंबरों पर केवल व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म पर ही संपर्क किया जा सकता है।
- एक बार जब कोई यूजर दिए गए नंबर पर संपर्क करता है, तो उसे दो अलग-अलग संपर्क नंबर प्रदान किए जाते हैं। उनमें से एक नंबर दांव लगाने के लिए उपयोग की जाने वाली यूजर आईडी में पैसे जमा करने और पॉइंट्स एकत्र करने के लिए होता है, जबकि दूसरा नंबर एक ख़ास आईडी में पॉइंट्स को भुनाने के लिए वेबसाइट से संपर्क करने के लिए होता है। यूजर आईडी आम तौर पर कई वेबसाइट पर बनाई जाती हैं।
- ऐप करीब पांच हजार पैनल या शाखाओं द्वारा संचालित होता है जो प्रमोटरों द्वारा एक छोटी फ्रेंचाइजी की तरह बेचे जाते हैं।
- भुगतान उन बैंक खातों द्वारा किया जाता है जो या तो धोखाधड़ी से खोले गए हैं या कमीशन के लिए उधार दिए गए हैं।
- महादेव ऑनलाइन बुक ऐप संयुक्त अरब अमीरात के एक केंद्रीय प्रधान कार्यालय से चलाया जाता है। ऐप चलाने वाली कंपनी अपने सहयोगियों को प्रॉफिट में 70-30 के अनुपात में पैसा देती है।
- ऑफ-शोर यानी विदेशी खातों में सट्टेबाजी का पैसा हड़पने के लिए बड़े पैमाने पर हवाला ऑपरेशन किए जाते हैं। भारत में सट्टेबाजी वेबसाइटों के विज्ञापन और नए यूजर्स और फ्रेंचाइजी (पैनल) चाहने वालों को आकर्षित करने के लिए भव्य प्रचार के लिए नकद में बड़ा खर्च भी किया जा रहा है।
- सभी खेलों में इस तरह से धांधली की गई है कि कुल मिलाकर पैनल मालिकों को पैसे की हानि नहीं होगी और यूजर को शुरुआती फायदा होता लेकिन बाद में वो सब हार जाते हैं।
क्या क्या हुई कार्रवाई
- महादेव ऑनलाइन बुक ऐप के संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही ईडी ने पिछले महीने छत्तीसगढ़ में तलाशी ली थी और सट्टेबाजी सिंडिकेट के मुख्य संपर्ककर्ता सहित चार आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिस पर जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि वह वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को रिश्वत के लिए भुगतान कर रहे थे। तलाशी के दौरान 2.37 करोड़ की बेहिसाब नकदी जब्त की गई।
- यह पाया गया कि कई मशहूर हस्तियां इन सट्टेबाजी संस्थाओं को सपोर्ट कर रही हैं और संदिग्ध लेनदेन के माध्यम से मोटी फीस के बदले में अपने कार्यों को अंजाम दे रही हैं, लेकिन अंततः ऑनलाइन सट्टेबाजी की आय से भुगतान किया जाता है।
- ईडी ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार और दो ओएसडी के परिसरों की भी तलाशी ली। आरोप लगाया गया है कि छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े उच्च पदस्थ अधिकारियों को अवैध गेमिंग ऐप को अपना संचालन चलाने की अनुमति देने के लिए रिश्वत मिली थी।
- ईडी ने घोटाले के पीड़ितों द्वारा दर्ज की गई कम से कम सात प्राथमिकियों को जोड़ दिया है। इस पीड़ितों ने अपना पैसा गँवा दिया है। एफआईआर गोवा, मुंबई, विशाखापत्तनम, अहमदाबाद और छत्तीसगढ़ सहित कई स्थानों पर दर्ज की गईं।
- लगभग आठ प्रमुख अंतरराष्ट्रीय हवाला ऑपरेटर एक समान पोर्टल चलाकर मध्य पूर्वी देशों और पाकिस्तान में धन की हेराफेरी करने के लिए जांच के दायरे में हैं।
- सौरभ चंद्राकर और उसके सहयोगियों ने कथित तौर पर विदेशी खातों में मणी लांड्रिंग के लिए कम से कम 70 फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल किया। ईडी अब ऐप मालिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से सहयोग लेने के विकल्प तलाश रही है।
सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल हैं मास्टरमाइंड
छत्तीसगढ़ में 2016 में सौरभ चन्द्राकर, रवि उप्पल और अतुल अग्रवाल द्वारा शुरू किए गए महादेव ऐप ने तीन साल के भीतर 12 लाख यूजर्स जमा कर किए। 2020 में हैदराबाद स्थित ‘रेड्डी अन्ना’ को 1,000 करोड़ रुपये में अधिग्रहण करने के बाद उनका यूजर बेस 50 लाख से ज्यादा का हो गया और इस ग्रुप का मासिक कारोबार करीब 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का हो गया। एक समय में सौरभ चंद्राकर भिलाई में जूस बेचा करता था। जबकि रवि उप्पल की टायर की दूकान थी।
वैसे, महादेव बुक का कर्ताधर्ता और इसकी नींव रखने वाला सौरभ चंद्राकर है, जिसने कोरोनाकाल से पहले दुबई से लिंक जुगाड़कर महादेव बुक की शुरुआत की। सौरभ चंद्राकर का सबसे करीबी है रवि उत्पल। तीसरा बड़ा नाम है राज गुप्ता जो सौरभ चंद्राकर का मित्र है। भिलाई में महादेव बुक की सबसे ज्यादा आईडी इसी के पास थे। राज गुप्ता पहले 10 हजार रुपये महीने में कपड़े की दुकान में काम करता था। महादेव बुक में चौथा बड़ा नाम है नितिश दीवान। बताया जाता है कि सौरभ को नितिश इतना पसंद आया कि वो उसे अपने साथ दुबई ले गया। महादेव बुक में जिन लोगों ने पैसा लगाया है उनमें 3 विदेशी इन्वेस्टर भी शामिल हैं, जिनका कनेक्शन पाकिस्तान और दुबई से है। 10 कारोबारी भारत के शामिल हैं।
सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत
- अगस्त में ईडी ने चार आरोपियों - व्यवसायी भाइयों सुनील और अनिल दम्मानी, सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) चंद्र भूषण वर्मा और सतीश चंद्राकर को गिरफ्तार किया। चारों आरोपी रायपुर के रहने वाले हैं। ईडी के अनुसार, गिरफ्तार किए गए लोगों ने हवाला नेटवर्क के माध्यम से अवैध धन की आवाजाही में मदद की, या रैकेट को पुलिस कार्रवाई से बचाने में शामिल थे।
- रिपोर्ट्स के अनुसार, एएसआई वर्मा छत्तीसगढ़ पुलिस में है, जिसने मामले के मुख्य आरोपी को अधिकारियों से बचाने में प्रमुख भूमिका निभाई थी। इस सुरक्षा के लिए वर्मा ने 65 करोड़ रुपये की रिश्वत वसूली। इसमें से रायपुर और दुर्ग जिलों के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षकों (एएसपी) को हर महीने 55 लाख रुपये और दुर्ग, रायपुर और खुफिया विभाग में तैनात कुछ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को 75 लाख रुपये मासिक भेजे जाते थे।
- एएसआई वर्मा, दुबई से संचालित होने वाले मुख्य प्रमोटरों और छत्तीसगढ़ सरकार में सत्ता में बैठे लोगों के बीच मुख्य कड़ी था उसका काम ये सुनिश्चित करना था कि ऐप संचालन सुचारू रूप से चले।
- एएसआई वर्मा ने ऐप प्रमोटरों से भारी मासिक रिश्वत ली और बदले में उप्पल को कथित तौर पर अपने रिश्तेदार विनोद वर्मा, जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार हैं, के माध्यम से कुछ शीर्ष सरकारी अधिकारियों तक पहुंच उपलब्ध कराई।
- हालाँकि विनोद वर्मा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खुद को बेकसूर बताया है और कहा है कि वह एएसआई वर्मा के रिश्तेदार नहीं हैं। विनोद वर्मा ने अपने घर पर ईडी की छापेमारी को "डकैती" और उनके आरोपों को "अपमानजनक और निराधार समाचार लेख पर आधारित काल्पनिक" करार दिया। वर्मा ने कहा कि वह मानहानि के मामले में अदालत जाएंगे।
- हालांकि, ईडी के एक प्रेस नोट में कहा गया है कि - एएसआई वर्मा ने स्वीकार किया है कि मई 2022 में पुलिस द्वारा की गई कुछ कार्रवाई के बाद रिश्वत भुगतान बढ़ाया गया था। मामलों को कम करने, गैर-जमानती अपराधों को शामिल करने, अभियोजन को स्थानीय सट्टेबाजों तक सीमित रखने और उनके संचालन पर भविष्य की कार्रवाई को रोकने के लिए रिश्वत की रकम बढ़ाई गई थी।" इसके अलावा, गिरफ्तार आरोपियों ने विशेष रूप से सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) से जुड़े उच्च पदस्थ अधिकारियों का नाम लिया है, जिन्हें मासिक/नियमित आधार पर भारी रिश्वत मिलती है।
- दोनों दम्मानी भाइयों के पास एक आभूषण की दुकान और एक पेट्रोल पंप है। उन्होंने अवैध कारोबार से उत्पन्न धन के बड़े पैमाने पर हवाला ऑपरेशन को सुविधाजनक बनाने में भूमिका निभाई। गलत तरीके से कमाए गए इस पैसे का इस्तेमाल पुलिस और राजनेताओं को रिश्वत देने के लिए किया जाता था। दम्मानी बंधुओं ने अपने द्वारा ट्रान्सफर किए गए हवाला फंड पर 100 रुपये प्रति लाख का कमीशन लिया और 80 से 100 करोड़ रुपये के हवाला फंड को ट्रांसफर करके लगभग 6 लाख रुपये कमाए। दोनों भाई फोन पर मुख्य आरोपी रवि उप्पल के संपर्क में थे। उन्होंने हवाला धंधे के लिए अपनी दुकान, ‘आभूषण ज्वैलर्स’ का इस्तेमाल किया और गलत तरीके से कमाए गए इस पैसे को एएसआई वर्मा तक पहुंचाया।
- चौथे आरोपी, सतीश चंद्राकर ने अपने संपर्क एएसआई वर्मा के माध्यम से जनवरी 2021 में महादेव बुक की दो शाखाओं पर पुलिस द्वारा छापे मारे। इस तरह के छापे को रोकने के लिए, चंद्राकर को ऐप का एक पैनल/शाखा दी गई थी ताकी वह भी कमाई करे और चुप रहे।