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मौत 2270 किसानों की: आत्महत्या से दहला ये राज्य, आखिर क्यों उठाया ये कदम

2020 के जनवरी महीने से लेकर नवंबर तक कुल दो हजार 270 किसानों ने अपनी जिंदगी को समाप्त कर लिया। इनमें से 40 फीसदी से ज्यादा किसान मुआवजे के हकदार थे। 

Shreya
Published on: 8 Jan 2021 12:03 PM GMT
मौत 2270 किसानों की: आत्महत्या से दहला ये राज्य, आखिर क्यों उठाया ये कदम
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मौत 2270 किसानों की: आत्महत्या से दहला ये राज्य, आखिर क्यों उठाया ये कदम

मुंबई: महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी सरकार (Maha Vikas Aghadi Government) बने एक साल का समय पूरा हो चुका है। इस दौरान दौरान राज्य में दो हजार से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है। 2020 के जनवरी महीने से लेकर नवंबर तक कुल दो हजार 270 किसानों ने अपनी जिंदगी को समाप्त कर लिया। हालांकि ये आंकड़ा साल 2019 के आंकड़ों से कम है। साल 2019 के दौरान कुल दो हजार 566 किसानों ने सुसाइड किया था।

40 फीसदी से ज्यादा किसान थे मुआवजे के हकदार

महाराष्ट्र में आत्महत्या करने वाले किसानों की आंकड़ों पर गौर किया जाए तो पता चलता है कि कुल 2270 किसानों में 40 फीसदी से ज्यादा किसान मुआवजे के हकदार थे। यह जानकारी महाराष्ट्र के राजस्व मंत्रालय (Revenue Ministry) द्वारा आरटीआई के तहत दी गई है। बता दें कि सरकार कर्ज के बोझ तले डूबे किसानों को मुआवजा प्रदान करती है। अक्सर यह मुआवजा उनके परिजनों को मिलता है। सरकार करीब एक लाख रुपये का मुआवजा देती है।

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suicide (फोटो- सोशल मीडिया)

किन इलाकों में कितने सुसाइड के केस

जानकारी के मुताबिक, आधे से ज्यादा किसान विदर्भ इलाके के हैं। इस इलाके से कम से कम 1230 किसानों ने सुसाइड किया है। जबकि मराठवाड़ा के सूखे इलाके वाले स्थानों पर 693 किसानों ने आत्महत्या कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली है। वहीं उत्तर महाराष्ट्र में 322 किसानों ने सुसाइड जैसा कदम उठाया है। पश्चिम महाराष्ट्र में आत्महत्या के 25 मामले दर्ज किए गए हैं। जबकि कोंकण में एक भी मामले सामने नहीं आए हैं।

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इन योजनाओं का नहीं मिला लाभ

किसान नेता अजित नवले का कहना है कि सरकार ने किसानों की फसल बीते सालों की तुलना में इस साल ज्यादा मात्रा में खरीदा है, लेकिन इसके बाद भी किसानों को अपनी फसल स्थानीय व्यापारियों को बेचनी पड़ी। जिस वजह से किसानों को केंद्र की कृषि सम्मान योजना और राज्य की कर्ज माफी योजना का लाभ नहीं मिल पाया। सरकार की यह योजनाएं जो किसानों के लिए लाभदायक साबित हो सकती थीं, उसका लाभ किसानों को नहीं मिल पाया। इसके अलावा खराब बीज के चलते भी किसानों का काफी नुकसान हुआ है।

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