TRENDING TAGS :
मालिकों की मजबूरी: खुली फैक्ट्रियां पर नहीं चल रहा काम, ठप होता कारोबार
लॉकडाउन के दौरान मजदूरों पर बरसे दुख का असर अब महाराष्ट्र के उद्योगों पर दिख रहा है। जून माह से शुरू हुए अनलॉक के चलते देश में ठप हुए कारोबार को अब धीरे-धीेरे पटरी पर लाया जा रहा है।
नई दिल्ली। लॉकडाउन के दौरान मजदूरों पर बरसे दुख का असर अब महाराष्ट्र के उद्योगों पर दिख रहा है। जून माह से शुरू हुए अनलॉक के चलते देश में ठप हुए कारोबार को अब धीरे-धीेरे पटरी पर लाया जा रहा है। ऐसे में महाराष्ट्र में भी काम-धंधे अब अपनी रफ्तार पकड़ने लगे हैं। कारखानों और फैक्ट्रियों में सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, सैनिटाइजर इत्यादि सभी चीजों का पालन किया जा रहा है। लेकिन अगर इन जगहों पर काम करने वाला ही न हो तो इन सब चीजों का क्या मतलब है। जिन मजदूरों के बहते पसीने इन फैक्ट्रियों के लिए थैला भर-भरकर धन बटोरकर लाते थे, आज तो वो मजदूर है ही नहीं।
ये भी पढ़ें... विश्व विख्यात मंदिर जिसमें लगती भक्तों की लंबी कतार, कल से खुलेंगे इसके द्वार
अब मालिकों की मजबूरी
मुंबई की दो फैक्टियों का हम आपको हाल बताते हैं। जिनमें से एक है लार्ज स्केल इंडस्ट्री और तो दूसरी स्मॉल स्केल इंडस्ट्री है। मुंबई इन इंडस्ट्रियों में सामान्य दिनों में चहल-पहल हुआ करती है। लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के बाद खुले इन इलाकों में अब एक-दो लोग ही दे रहे हैं।
मुंबई के जगजीत सिंह एन एस इंडस्ट्रीज के मालिक हैं। उनका एक लघु उद्योग इंजीनियरिंग इंडस्ट्री है। सामान्यत् उनके कारखाने में 25 मजदूर काम करते हैं, लेकिन अभी उनके यहां मात्र 4 लोग काम करते हैं। क्योंकि सारे मजदूर लॉकडाउन के दौरान घर चले गए।
मैं अपनी गाड़ी से उन्हें फैक्ट्री लाता
आगे जगजीत सिंह कहते हैं, "ज्यादातर मजदूर घर चले गए हैं, हमने उन्हें तीन महीने की तनख्वाह दी, लेकिन वे लोग बहुत डरे हुए थे। मैं उनसे लगातार फोन पर बात करता रहता हूं, वे आना भी चाहते हैं, लेकिन अभी नहीं।
ये भी पढ़ें... LAC का काला सच: BJP सांसद ने खोली पोल, चीन की सच्चाई सबके सामने
इसी कड़ी में उनका कहना है कि एक बार जब मुंबई से कोरोना वायरस खत्म हो जाए तो वे जरूर आएंगे। अभी जो मजदूर काम कर रहे हैं उनके लिए मेरे घर से खाना आता है, मैं अपनी गाड़ी से उन्हें फैक्ट्री लाता हूं और घर छोड़ता हूं।
मजदूरों की भयंकर किल्लत
आगे उन्होंने बताया कि हमारा धंधा बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, सिर्फ 30 प्रतिशत बिजनेस हो रहा है। मैं तो उनका ट्रेन का टिकट भी बनवाने को तैयार हूं, लेकिन वे अभी नहीं आना चाहते हैं।"
जगजीत सिंह से बात करने के बाद ठाणे के प्रसिद्ध प्रशांत कॉनर्र फूड फैक्ट्री जहां मिठाइयां बनती हैं। ये फैक्ट्री एक लार्ज स्केल इंडस्ट्री है। इनके 6 आउटलेट हैं। जून में यानी कुछ ही दिन पहले इनकी दुकानें फिर से खुली हैं, लेकिन इनके पास मजदूरों की भयंकर किल्लत है।
ये भी पढ़ें...भारत ने चलाई तीखी छुरी: चीन के सामने रखी ये शर्त, लगाया सटीक निशाना
देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।