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भारतीय टीचर को मिला ये अवार्ड: इसलिए कर दिया करोड़ों रुपए दान, हो रही तारीफ
अगर आप में काबिलियत है की आप अपनी सूझबूझ से लोगों की सोच में अच्छा बदलाब ला सकते हैं तो ही आगे बढ़ सकते हैं। ऐसा ही कुछ इस शिक्षक ने भी किया है। जिसके चलते उन्हें ग्लोबल टीचर प्राइज मिला है।
अगर आप में काबिलियत है की आप अपनी सूझबूझ से लोगों की सोच में अच्छा बदलाब ला सकते हैं तो ही आगे बढ़ सकते हैं। ऐसा ही कुछ इस शिक्षक ने भी किया है। जिसके चलते उन्हें ग्लोबल टीचर प्राइज मिला है।
32 साल के रंजीत सिंह दिसाले पेशे से एक ग्रामीण शिक्षक हैं जो महाराष्ट्र के प्राइमरी स्कूल में लड़कियों को शिक्षा देते हैं। इन लड़कियों को बढ़ावा देने उसे कतनीक से जोड़ने की कोशिशों के कारण ही उन्हें ग्लोबल टीचर प्राइज मिला हैं। इसके तहत 10 लाख डॉलर यानी 7 करोड़ 38 लाख रुपए ला पुरस्कार मिला है।
पुरस्कार का आधा हिस्सा किया दान
लेकिन रंजीत सिंह यह पुरस्कार अपने पास ना रखकर इस राशि का आधा हिस्सा अपने साथियों को देने का एलान कर चुके हैं। कोरोना महामारी के इस दौर में स्कूल पूरी तरह से बंद पड़े हैं। स्कूलों में डिजिटल लर्निंग हो तो रही है लेकिन वो काफी नहीं। इससे स्कूल की लड़कियों का खासा नुक्सान हो रहा है। क्योंकी उन्हें या तो मोबाइल नहीं मिलता या बहुत ही कम समय के लिए मिल पाता हैं। वही देश के एक छोटे से गांव के शिक्षक ने लड़कियों की पढ़ाई में शानदार योगदान दिया।
ऐसी शुरू हुई कहानी
महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के पारितेवादी गांव से इसकी शुरुआत हुई। साल 2009 में दिसाले जब वहा के प्राइमरी स्कूल पहुंचे तो स्कूल के हाल बेहाल थे। इमारते बुरी हालत में थी। वह पशुओं के रखने और स्टोर रूम के काम आती थी। लेकिन रंजीत सिंह ने इसे बदलने की कोशिश की।
उन्होंने घर घर जा कर बच्चों के परिवारों से पढ़ाई के लिए बात की। जो कोई आसन कम नहीं था। इसके अलावा सारी किताबें अंग्रेजी में थीं। जिसे उन्होंने एक एक कर हिंदी में अनुवाद किया। साथ ही उसमें तकनीक भी जोड़ दी। ये तकनीक थी क्यूआर कोड देना ताकि स्टूडेंट वीडियो लेक्चर अटेंड कर सकें और अपनी ही भाषा में कविताएं-कहानियां सुन सकें। इसके बाद से ही गांव और आसपास के इलाकों में बाल विवाह की दर में तेजी से गिरावट आई।
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दुनिया भर से इतने शिक्षक की एंट्री
वही सोलापुर के बुरी तरह से सूखाग्रस्त गांव में जिला परिषद प्राइमरी स्कूल के टीचर दिसाले को उनकी कोशिशों के कारण दुनिया के सबसे अद्भुत टीचर का अवॉर्ड मिला। वारके फाउंडेशन ने असाधारण शिक्षक को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए पुरस्कृत करने उद्देश्य से 2014 में यह पुरस्कार शुरू किया था, जिसके लिए इस साल दुनियाभर से 12000 हजार शिक्षकों की एंट्री आई। इनाम की राशि का एलान होते ही दिसाले ने आधी राशि बाकी प्रतिभागी शिक्षकों में बांटने की घोषणा कर दी।
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