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West Bengal Politics: नए राज्यपाल से भी ममता सरकार का टकराव, कुलपतियों की नियुक्ति के मुद्दे पर राजभवन और शिक्षा मंत्री आमने-सामने
West Bengal Politics: पश्चिम बंगाल के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्तियों को लेकर राजभवन और ममता सरकार के बीच टकराव पैदा हो गया है।
West Bengal Politics: पश्चिम बंगाल के नए राज्यपाल सीवी आनंद बोस से भी ममता सरकार की पटरी नहीं बैठ रही है। पश्चिम बंगाल के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्तियों को लेकर राजभवन और ममता सरकार के बीच टकराव पैदा हो गया है। राज्यपाल की ओर से 11 विश्वविद्यालयों में की गई अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति को ममता सरकार ने गैरकानूनी बताया है।
राज्य के शिक्षा मंत्री का कहना है कि इन नियुक्तियों में प्रक्रिया का पूरी तरह उल्लंघन किया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को पद स्वीकार करने से इनकार कर देना चाहिए। राज्यपाल के रूप में जगदीप धनखड़ के कार्यकाल के दौरान भी ममता सरकार और राजभवन के बीच लगातार टकराव का माहौल बना हुआ था। धनखड़ के उपराष्ट्रपति बनने के बाद बोस को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया था मगर अब उनके कार्यकाल में भी ममता सरकार और राजभवन के बीच टकराव पैदा होता दिख रहा है।
कुलपतियों की नियुक्तियों पर टकराव
दरअसल इस टकराव की शुरुआत राज्यपाल की ओर से उठाए गए कदम के बाद हुई। राजभवन की ओर से गुरुवार को राज्य के 11 विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्तियां की गई थीं। इन विश्वविद्यालयों में अप्रैल से ही नए कुलपतियों की नियुक्तियों की अटकलें लगाई जा रही थीं। राजभवन की ओर से राज्य के 29 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से अपने पांच सबसे अनुभवी और योग्य प्रोफेसर की लिस्ट मांगी गई थी।
राज्यपाल के इस कदम के बाद माना जा रहा था कि राजभवन की ओर से योग्य उम्मीदवारों का डाटाबेस तैयार किया जा रहा है। विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति का कदम उठाने से पूर्व राज्यपाल ने इन प्रोफेसर्स को राजभवन तलब किया था और उनसे मुलाकात की थी।
पश्चिम बंगाल में टकराव के कारण ही लंबे समय से कुलपतियों की नियुक्तियों का मामला फंसा हुआ है। राज्य के 29 विश्वविद्यालयों में कुलपतियों का कार्यकाल पिछले साल ही समाप्त हो गया था। विश्वविद्यालयों में काम के सुचारू संचालन के लिए इन कुलपतियों को 31 मई तक का सेवा विस्तार दिया गया था। अब राजभवन की ओर से 11 विश्वविद्यालयों में नियुक्ति का कदम उठाया गया है।
शिक्षा मंत्री ने कदम को गैरकानूनी बताया
राजभवन की ओर से उठाए गए इस कदम पर राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने तीखी आपत्ति जताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि राजभवन की ओर से नियुक्ति प्रक्रिया का उल्लंघन किया गया है। उन्होंने कहा कि नियुक्ति की प्रक्रिया में शिक्षा विभाग से कोई सलाह मशविरा नहीं किया गया। यहां तक कि मुझे भी मीडिया से इन नियुक्तियों के संबंध में जानकारी मिली। उन्होंने राजभवन के कदम को गैरकानूनी बताते हुए शिक्षकों से अपील की कि उन्हें पद स्वीकार करने से इनकार कर देना चाहिए।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि राजभवन के इस कदम को लेकर कानूनी सलाह मशविरा किया जा रहा है और इस संबंध में चर्चा के बाद आगे कदम उठाया जाएगा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि राज्यपाल राज्य सरकार की सलाह के आधार पर ही कुलपतियों की नियुक्तियां करेंगे मगर इस मामले में इस प्रक्रिया को नहीं अपनाया गया।
कुलपतियों से रिपोर्ट मांगने पर भी विवाद
राज्यपाल की ओर से कुलपतियों से सीधे रिपोर्ट मांगने के कदम को लेकर भी विवाद पैदा हो गया है। कई मौजूदा और पूर्व कुलपतियों ने आरोप लगाया है कि राजभवन की ओर से नियमों का उल्लंघन करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। राज्यपाल ने अप्रैल महीने के दौरान कुलपतियों को साप्ताहिक रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया था। इस आदेश का पालन न होने पर राजभवन की ओर से मई में भी कुलपतियों को पत्र भेजा गया था। बाद में छह विश्वविद्यालयों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई थी।
वैसे इससे पूर्व प्रमुख सचिव नंदिनी चक्रवर्ती को सेवा मुक्त करने के कदम को लेकर भी विवाद पैदा हुआ था। पश्चिम बंगाल में राजभवन और ममता सरकार के बीच टकराव की बात नहीं नहीं है। बोस से पूर्व जगदीप धनखड़ के कार्यकाल के दौरान भी ममता सरकार और राजभवन के बीच विभिन्न मुद्दों को लेकर टकराव का माहौल बना हुआ था। अब नए राज्यपाल के साथ भी ममता सरकार की ट्यूनिंग नहीं बन पा रही है।