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West Bengal Politics: बंगाल में Congress और TMC फिर आमने-सामने, भाजपा के खिलाफ विपक्ष की एकजुटता पर उठने लगे सवाल
West Bengal Politics: दोनों दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप के बाद पश्चिम बंगाल में भाजपा के खिलाफ एकजुटता की मुहिम पर सवाल भी उठने लगे हैं।
West Bengal Politics: भाजपा के खिलाफ एकजुटता की बड़ी मुहिम से पहले पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के बीच टकराव पैदा हो गया है। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के एकमात्र विधायक को टीएमसी में शामिल करने के बाद दोनों दल आमने-सामने आ गए हैं। टीएमसी की ओर से उठाए गए इस कदम को कांग्रेस ने धोखा बताया है जबकि टीएमसी ने भी कांग्रेस पर भरोसा तोड़ने का बड़ा आरोप लगाया है।
दोनों दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप के बाद पश्चिम बंगाल में भाजपा के खिलाफ एकजुटता की मुहिम पर सवाल भी उठने लगे हैं। मजे की बात यह है कि दोनों दलों के बीच हुए टकराव ऐसे समय में पैदा हुआ है जब पटना में जल्द ही विपक्षी दलों की एकजुटता के लिए बड़ी बैठक होने वाली है।
टीएमसी ने कांग्रेस के एकमात्र विधायक को तोड़ा
पश्चिम बंगाल में हुए पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को एक भी सीट हासिल नहीं हुई थी मगर करीब तीन महीने पहले हुए विधानसभा उपचुनाव के दौरान कांग्रेस ने टीएमसी और दूसरे दलों को पीछे छोड़ते हुए सागरदिघी सीट पर जीत हासिल की थी। सागरदिघी सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बैरन विश्वास ने करीब 22,000 मतों से जीत हासिल की थी।
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मुस्लिम बहुल इस विधानसभा सीट पर टीएमसी की हार से ममता बनर्जी को करारा धक्का लगा था। इस उपचुनाव के बाद ममता ने भाजपा और वामदलों के साथ ही कांग्रेस पर भी हमला बोला था। वैसे भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकजुटता की मुहिम के कारण ममता ने इधर चुप्पी साध रखी थी मगर उन्होंने कांग्रेस के एकमात्र विधायक को तोड़कर पार्टी को बड़ा झटका दिया है। विश्वास को ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने टीएमसी में शामिल किया था।
कांग्रेस का टीएमसी पर बड़ा हमला
टीएमसी की ओर से उठाए गए इस कदम के बाद कांग्रेस में जबर्दस्त नाराजगी दिख रही है। इस कदम को लेकर कांग्रेस ममता बनर्जी से काफी नाराज है। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि करीब तीन महीने पहले कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। सागरदिघी सीट पर पार्टी मतदाताओं का विश्वास जीतने में कामयाब हुई थी मगर टीएमसी ने पार्टी के विजयी प्रत्याशी विश्वास को लुभाकर अपनी पार्टी में शामिल कर लिया। उन्होंने टीएमसी नेतृत्व की ओर से उठाए गए इस कदम को जनादेश के साथ बड़ा धोखा बताया।
उन्होंने कहा कि दलबदल कराने के इस कदम से विपक्षी एकता की मुहिम को बड़ा झटका लगेगा। उन्होंने कहा कि गोवा,मेघालय त्रिपुरा और कई अन्य राज्यों में भी दलबदल का खेल खेला गया। दलबदल के इस कदम से विपक्षी दलों में एका नहीं स्थापित किया जा सकता। दूसरी ओर टीएमसी की ओर से भी कांग्रेस पर भरोसा तोड़ने का आरोप लगाया जा रहा है।
विपक्ष की एकजुटता पर उठे सवाल
देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इन दिनों विपक्षी एकजुटता की बड़ी मुहिम चलाई जा रही है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसके लिए खासे सक्रिय हैं। ममता बनर्जी के सुझाव पर जल्द ही पटना में विपक्षी दलों की बड़ी बैठक होने वाली है। जदयू सूत्रों का कहना है कि यह बैठक 12 जून को पटना में प्रस्तावित है। इस बैठक से पूर्व टीएमसी और कांग्रेस में शुरू हुआ आरोप-प्रत्यारोप का यह दौर विपक्षी एकजुटता के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
ममता बनर्जी पहले से ही क्षेत्रीय दलों को ज्यादा महत्व देने पर जोर देती रही हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस निश्चित तौर पर राष्ट्रीय पार्टी है मगर उसे क्षेत्रीय दलों की महत्ता को भी स्वीकार करना होगा। सियासी जानकारों का मानना है कि टीएमसी की ओर से उठाए गए इस कदम के बाद विपक्ष की एकजुटता पर भी सवाल उठने लगे हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि विपक्षी दलों की प्रस्तावित बैठक में इस टकराव को कैसे सुलझाया जाता है।