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Manipur Violence Update: मणिपुर में जातीय हिंसा के 3 माह पूरे, तनाव अब भी कायम, 35 लोगों का आज होगा अंतिम संस्कार
Manipur Violence Update: मणिपुर में भड़के जातीय हिंसा में अब तक 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। कई परिवारों को ऐसा जख्म मिला है, जिसकी कभी भरपाई नहीं हो सकती।
Manipur Violence Update : भाजपा शासित पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में जातीय हिंसा को भड़के आज यानी गुरूवार 3 अगस्त को तीन माह पूरे हो गए। इतना लंबा समय बीत जाने के बावजूद राज्य में शांति बहाल नहीं हो पाई है। केंद्रीय बलों और सेना के उतरने के बावजूद हिंसा की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। इस उन्माद ने राज्य में बहुसंख्यक मैतेई और अल्पसंख्यक कुकी समुदाय के बीच नफरत की ऐसी दीवार खड़ी कर दी है, जिसका निकट भविष्य में टूटना मुश्किल नजर आ रहा है।
मणिपुर में भड़के जातीय हिंसा में अब तक 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। कई परिवारों को ऐसा जख्म मिला है, जिसकी कभी भरपाई नहीं हो सकती। कई मृतकों के शव राजधानी इंफाल स्थित अस्पताल के शवगृह में रखे हैं। इनमें से आज कुकी-जो जनजाति समुदाय के 35 लोगों के शवों को सामूहिक रूप से दफनाया जाएगा। अंतिम संस्कार का ये आयोजन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) द्वारा किया जा रहा है। हिंसा का एपिसेंटर रहे चुराचांदपुर जिले के लम्का शहर के तुईबोंग शांति मैदान में शवों को दफनाया जाएगा।
बुधवार को अफवाह के कारण माहौल गरमाया
कल यानी बुधवार रात को अफवाह फैली की कुछ जो-कुकी लोगों के शव दफनाने के लिए बाहर ले जाये जा सकते हैं। इसके बाद जिन दो अस्पतालों में ये शव रखे गए हैं, उसके आसपास भारी भीड़ जमा हो गई। हालांकि, पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए भीड़ को बेकाबू होने से रोक लिया और उन्हें समझा बूझाकर वापस भेज दिया। राजधानी इंफाल स्थित रीजनल आयुर्विज्ञान संस्थान और जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान ये दो ऐसे अस्पताल हैं, जहां इंफाल घाटी में हिंसा के कारण मारे गए लोगों के शवों को रखा गया है। इन दोनों अस्पतालों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है।
वहीं, चुराचांदपुर में आज आयोजित होने वाले सामूहिक अंतिम संस्कार कार्यक्रम को लेकर मणिपुर पुलिस और सेना अलर्ट है। जिले में भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती पहले ही की जा चुकी है। किसी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए अतिरिक्त जवानों को अलर्ट मोड में रखा गया है। वहीं, जिला प्रशासन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) के नेताओं के संपर्क में है, ताकि शांतिपूर्वक अंतिम संस्कार का कार्यक्रम संपन्न कराया जा सके।
3 मई 2023 को भड़की थी हिंसा
मणिपुर में अलगाववादी गतिविधियों और जातीय तनाव के कारण हिंसा का लंबा दौर देख चुका है। काफी मशक्कत के बाद बीते वर्षों में इस सीमाई सूबे में शांति कायम करने में सफलता मिली थी। हालांकि, राज्य के बहुसंख्यक मैतेई और सबसे बड़े अल्पसंख्यक जातीय समूह कुकी के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था। ये विवाद मैतेई द्वारा खुद को एसटी श्रेणी में शामिल करने की मांग को लेकर था, जिसका कुकी जबरदस्त विरोध कर रहे थे।
3 मई 2023 को कुकी और नागा समुदाय के छात्र संगठन ने चुराचांदपुर जिले में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (SC) दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला था। जिसके बाद वहां जातीय हिंसा भड़क उठा, जो देखते ही देखते राज्य के अन्य जिलों में भी फैल गया। इस हिंसा के कारण हजारों मणिपुरी को अपने घर से विस्थापित होना पड़ा है। तीन माह पूरे होने के बाद भी हिंसा पर काबू न पाए जाने को लेकर केंद्र सरकार भी घिरी हुई है। इस मुद्दे पर लगातार संसद की कार्यवाही ठप हो रही है।