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दाऊद से बड़ा डॉन: कई राज्यों की पुलिस को इसकी तलाश, अब आ रही बड़ी खबर

भारत का सबसे खूंखार माओवादी नेता गणपति, जिसकी तलाश देश के 13 राज्यों की पुलिस कर रही है। लेकिन असफलता ही हाथ लगी है।

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Published on: 5 Sep 2020 10:25 AM GMT
दाऊद से बड़ा डॉन: कई राज्यों की पुलिस को इसकी तलाश, अब आ रही बड़ी खबर
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दाऊद से बड़ा डॉन: कई राज्यों की पुलिस को इसकी तलाश, अब आ रही बड़ी खबर

नई दिल्ली: भारत का सबसे खूंखार माओवादी नेता गणपति, जिसकी तलाश देश के 13 राज्यों की पुलिस कर रही है। लेकिन असफलता ही हाथ लगी है। यहां तक इसके बारे में कई बार मौत तक की खबरें आ चुकी हैं लेकिन हर बार किसी बड़ी माओ गतिविधि के बाद गणपति का ही नाम सामने आता है।

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दाऊद से भी बड़ा इनामी

खूंखार माओवादी गणपति देश की भीतरी सुरक्षा के लिए कितना बड़ा खतरा है, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगया जा सकता है कि उसके नाम पर आतंकी दाऊद इब्राहिम से भी ज्यादा का इनाम रखा गया था। लेकिन अब गणपति को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि ये माओ नेता गणपति जल्द ही तेलंगाना पुलिस के आगे सरेंडर कर सकता है।

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तो चलिए बात करते हैं, कौन है गणपति और ये कितना खतरनाक है...

जानकारी के लिए बता दें कि पिछले एक दशक से गणपति देश के कई राज्यों के लिए मोस्ट वॉन्टेड रहा है। गणपति का एक और नाम मुप्पला लक्ष्मण राव भी है। माओवादी नेता गणपति की तलाश छत्तीसगढ़ से लेकर महाराष्ट्र, उड़ीसा, झारखंड, बिहार की पुलिस कर रही है। यहां तक कि NIA को भी गणपति उर्फ मुप्पला लक्ष्मण राव की तलाश रही है।

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अपराधिक इतिहास

ये भी कहा जाता है कि मुप्पला लक्ष्मण राव को जंगलों और पहाड़ों में लड़ाई लड़ने में तेज गुरिल्ला गार्ड्स की सुरक्षा मिली हुई है। ऐसे में सुरक्षा घेरा तोड़कर उस तक पहुंचना किसी के लिए भी आसान नहीं रहा है।

हालांकि अब कयास लगाए जा रहे हैं कि गणपति खुद सरेंडर करने जा रहा है। करीब 74 साल के गणपति के असली चेहरे को काफी समय पहले देखा गया था। साल 1995 में मुप्पला लक्ष्मण राव उर्फ़ गणपति पहली बार चर्चा में तब आया, जब उसने एक DSP समेत पुलिस की गाड़ी को बम से उड़ा दिया था। उस हमले में अधिकारी समेत 25 लोग घटनास्थल पर ही मारे गए थे।

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सूत्रों से मिली जानकरी के मुताबिक अब गणपति अपनी खराब सेहत की वजह से सरेंडर करना चाहता है। हालांकि इस खबर के बाद से माओवादियों में खलबली मच गयी है। इसके बाद गुरुवार की शाम को एक प्रेस रिलीज जारी करके माओवादियों ने कहा कि ये सच है कि उनके इस नेता ने दो साल पहले सेहत के चलते पार्टी छोड़ दी लेकिन उनके सरेंडर की बात झूठ है और समूह को बदनाम करने की कोशिश है।

गणपति काफी ताकतवर और शातिर भी है, इसलिए अभी पुलिस के कई अधिकारियों को भी उसके आत्मसमर्पण की बात पर पक्का यकीन नहीं हो रहा है।

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