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इस खूंखार अपराधी के पास है नेताओं जैसी सुरक्षा, दाऊद से ज्यादा है इसके ऊपर इनाम
मीडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक गणपति ने बीमारी के कारण दो वर्ष पहले ही पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। अब वो अपनी खराब सेहत के कारण सरेंडर करना चाहता है।
नई दिल्ली: मुप्पला लक्ष्मण राव उर्फ़ ‘गणपति’। तेलांगना के अंदर जब कही पर भी कोई बड़ा माओवादी हमला होता है या किसी की हत्या होती है तो एक नाम अचानक से सभी की जुबान पर अपने आप ही चला आता है। ‘गणपति’।
देश का सबसे खूंखार माओवादी नेता गणपति। जी हां, ये वही गणपति है जिसक नाम से तेलांगना के लोग थर-थर कांपते हैं। एक ऐसा वक्त भी था जब दुनिया के मोस्ट अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से ज्यादा का इनाम इसके सिर पर रखा गया था।
लेकिन आज वही गणपति एक बार फिर से चर्चा में है। उसके बारे में ऐसी बातें सुनने में आ रही हैं कि वह आत्म समर्पण करने के बारे में सोच रहा है। वह किसी भी वक्त पुलिस के आगे सरेंडर कर सकता है। तो आइये हम आपको गणपति के बारें में कुछ चौंकाने वाली बातें बताते हैं।
माओवादी नेता गणपति की फोटो(साभार-सोशल मीडिया)
आखिर कौन है ये गणपति
दरअसल मुप्पला लक्ष्मण राव उर्फ़ ‘गणपति’ एक माओवादी नेता है। उसकी मौत के बारे में कई बार खबरें आ चुकी हैं लेकिन हर बार किसी बड़ी माओवादी घटना के बाद फिर से उसका नाम उछल आता है।
गणपति तेलंगाना के करीमनगर जिले में पैदा हुआ था और पेशे से टीचर था। वो बेहद कम उम्र से ही किसी बदलाव के लिए लोगों से जुड़ने में यकीन रखता था।
इसी सोच के साथ गणपति ने अपना पेशा छोड़ा और माओ आंदोलन का लीडर बन गया। गणपति की पहुंच देश- विदेश में थी। उसने श्रीलंका में लिट्टे और फिलीपींस जैसे अन्य देशों में विद्रोही समूहों के संपर्क। यहां से उसे अपने अभियान के लिए रसद और हथियार जैसी चीजें मिलती रहीं।
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एनआईए को भी है इसकी तलाश
गणपति देश के लिए कितना बड़ा खतरा है इसका अंदाजा आप इस बात से ही लगा सकते हैं कि अगर कोई गणपति के बारे में जानना चाहता है तो उसे ये समझना होगा कि पिछले एक दशक से वो देश के कई राज्यों के लिए मोस्ट वॉन्टेड व्यक्ति रहा है।
गणपति उर्फ मुप्पला लक्ष्मण राव सीपीआई (माओवादी) का पूर्व महासचिव भी रहा है। उसकी तलाश आज छत्तीसगढ़ से लेकर महाराष्ट्र, उड़ीसा, झारखंड, बिहार तक की पुलिस को है।
इससे भी बड़ी बात ये कि देश की सबसे बड़ी सुरक्षा एजेंसी नेशनल इंवेस्टगेशन एजेंसी(एनआईए) को भी उसकी तलाश है। हर राज्य ने अपने –अपने स्तर से इस माओ नेता पर अलग-अलग इनाम रखे है।
अगर देश भर में गणपति के उपर रखे गये इनाम की राशि पर गौर करे तो ये आंकड़ा 2.5 करोड़ रुपए से ज्यादा की है और इस तरह गणपति देश का सबसे बड़ा इनामी अपराधी बन गया है।
अब यही गणपति सरेंडर करने जा रहा है। लगभग 74 साल के गणपति के असल चेहरे को काफी पहले देखा गया है। वो दुबला-पतला और मंझोले कद का है, जिसके बालों में सफेदी है। गणपति बालों को रंगने का शौकीन है।
उसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि जंगलों-पहाड़ों में लड़ाई लड़ने में तेज गुरिल्ला गार्ड्स की सुरक्षा मिली हुई है। जो बेहद ही बहादुर होते हैं।
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राष्ट्रपति और पीएम जैसी सुरक्षा
उसकी सुरक्षा के लिए कई अलग–अलग घेरे बनाये गये हैं जिनसे वो हर वक्त घिरा रहता है। जिस तरह की सुरक्षा देश के बड़े-बड़े नेताओं को मिलती है। बिल्कुल वैसी ही जिसे तोड़ना हर किसी के बस की बात नहीं। उसके पास मुखबिरों की अपनी फौज भी है। इस वजह से कोई आसानी से उसके पास नहीं पहुंच सकता है।
वर्ष 1995 में वो पहली बार तब चर्चा में आया, जब उसने एक डीएसपी समेत पुलिस की गाड़ी को बम से उड़ा दिया था। इस घटना में अधिकारी समेत 25 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद गणपति ने साल 2006 में सलवा जुडूम अभियान का मुकाबला करने के लिए अपने सहयोगियों के साथ बस्तर के एर्राबोर क्षेत्र में 35 आदिवासियों की बेरहमी से हत्या कर दी।
वह 2006 में ही उसने उपलेटा कैंप में 22 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया था और 14 नागा सैनिकों को ले जा रही एक गाडी को बम से उठा दिया था। वर्ष 2008 में उसने सीआईएसएफ के हिरोली माइंस कैंप पर हमला किया जिसमें आठ जवान शहीद हुए थे।
माओवादियों की फोटो(साभार-सोशल मीडिया)
इस वजह से करना चाहता है सरेंडर
मीडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक गणपति ने बीमारी के कारण दो वर्ष पहले ही पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। अब वो अपनी खराब सेहत के कारण सरेंडर करना चाहता है।
हालांकि उसके की खबर से माओवादियों में खलबली मची हुई है। गुरुवार शाम को एक प्रेस रिलीज जारी करके उन्होंने कहा कि ये सच है कि उनके इस नेता ने दो साल पहले सेहत के चलते पार्टी छोड़ दी लेकिन उनके सरेंडर की बात झूठ है और समूह को बदनाम करने की साजिश है।
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