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Muharram 2023 Date: नहीं दिखा चांद, मरकजी चांद कमेटी ने बताया कब है मुहर्रम

Muharram 2023 Date: मरकजी कमेटी के इमाम मौलाना खालिद रशीद ने एक पत्र जारी करते हुए बताया कि मंगलवार (18 जुलाई) को मोहर्रम का चांद नहीं हुआ है। इस लिए मोहर्रम की एक तारीख 20 जुलाई 2023 को होगी। जबकि यौम-ए-आशुरा 29 जुलाई 2023 को होगा।

Anant Shukla
Published on: 18 July 2023 3:43 PM GMT (Updated on: 18 July 2023 5:19 PM GMT)
Muharram 2023 Date: नहीं दिखा चांद, मरकजी चांद कमेटी ने बताया कब है मुहर्रम
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Markji Chand Committee told that now Muharram Markji will be celebrated on July 20 (Photo-Social Media)

Muharram 2023 Date: इस्लामी नया साल मोहर्रम 2023 की शुरुआत अब 19 जलाई को नहीं मनाया जाएगा। इस बार इसकी शुरुआत 20 जुलाई से होगी। क्योंकि मंगलवार दिनांक 18 जुलाई को चांद का दीदार नहीं हुआ है। इस बात की पुष्टी मरकजी चांद कमेटी ने अपना एक बयान जारी करते हुए बताया।

मरकजी कमेटी के इमाम मौलाना खालिद रशीद नें एक पत्र जारी करते हुए बताया कि मंगलवार (18 जुलाई) को मोहर्रम का चांद नहीं हुआ है। इस लिए मोहर्रम की एक तारीख 20 जुलाई 2023 को होगी। जबकि यौम-ए-आशुरा 29 जुलाई 2023 को होगा।

क्या होता है मुहर्रम

बता दें कि इस्लामिक नया साल मुहर्रम महीने के पहली तारीख से ही शुरू हो जाता है। इसी महीने के साथ इस्लामिक नए साल की शुरुआत होती है। आध्यात्मिक दृष्टि से भी यह दिन मुस्लिमों के लिए बेहद खास माना जाता है। इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिद में जाते हैं कुरान की विशेष आयातों को पढ़ने के बाद एक दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं।

मुहर्रम का 10वां दिन बेहद खास

मुहर्रम का पूरा महीना पवित्र और पाक माना जाता है। लेकिन मुहर्रम का 10वां दिन जिसे रोज-ए-आशुरा कहा जाता है बेहद खास होता है। मान्यता है कि आज से 1400 साल पहले मुहर्रम के महीने दस तारीख को पैगम्बर मोहम्मद साहब के नाती इमाम हुसैन को शहीद कर दिया गया था। उसी गम में मुहर्रम की 10 तारीख को ताजिया निकाला जाता है।

इस दिन शिया समुदाय के मुस्लिम मातम मनाते हैं। मजलिस पढ़ते हैं और काले कपड़े पहन के शोक मनाते हैं। शिया समुदाय के लोग 10 तारीख को पूरे दिन भूखे-प्यासे रहते हैं। क्योंकि उस दिन इमाम हुसैन और उनके काफिले को भी भूखा-प्यासा रखा गया था। उन्हे उसी हालत में शहीद कर दिया गया था। वहीं सुन्नी समुदाय के लोग रोजा नमाज पढ़कर अपना दुख व्यक्त करते हैं।

Anant Shukla

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