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दूसरे 'अभिनंदन' हुए शहीद: दिल्ली हिंसा में उपद्रवियों ने ले ली जान

उत्तर पूर्वी दिल्ली में नागरिक संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ के सोमवार को जमकर हुई हिंसा पुलिसकर्मी की मौत का सबब बन गया। इस हिंसा में उपद्रवियों का सामना करते हुए हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल शहीद हो गए।

Shreya
Published on: 25 Feb 2020 10:23 AM GMT
दूसरे अभिनंदन हुए शहीद: दिल्ली हिंसा में उपद्रवियों ने ले ली जान
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दूसरे 'अभिनंदन' हुए शहीद: दिल्ली हिंसा में उपद्रवियों ने ले ली जान

नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली में नागरिक संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ के सोमवार को जमकर हुई हिंसा पुलिसकर्मी की मौत का सबब बन गया। सोमवार को सीएए को हुए इस हिंसा में उपद्रवियों का सामना करते हुए हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल शहीद हो गए। जब हेड कॉन्सटेबल की मौत की खबर उनके घर तक पहुंची तो उनके घर में मातम छा गया। साथ ही दिल्ली पुलिस में भी उनकी मौत को लेकर उनके साथी काफी दुखी हैं। उनके साथी पुलिसकर्मी बताते हैं कि रतन लाल विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान की तरह मूंछे रखना काफी पसंद था।

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मूछों के लिए दिल्ली पुलिस में थे मशहूर

साथी जवान बताते हैं कि रतन लाल की मूंछों दिल्ली पुलिस में काफी लोकप्रिय थीं। उनके बारे में ये भी कहा जा सकता है कि रतन लाल विंग कमांडर अभिनंदन के बड़े फैन थे। वो बच्चों को उनकी (अभिनंदन) तरह बनने की सलाह भी दिया करते थे।

ठीक एक साल पहले अभिनंदन की तरह रखी थी मूंछ

इसे आप संयोग ही कह सकते हैं कि आज से ठीक एक साल पहले 2019 में 27 फरवरी को जब विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान ने मिग-21 से पाकिस्तानी एयरफोर्स के एफ-16 जेट को ढेर कर दिया था, उसके बाद से ही रतन लाल ने ठीक अभिनंदन की ही तरह मूंछे रखी थी और एक साल बाद रतन लाल दिल्ली में शहीद हो गए।

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1998 में दिल्ली पुलिस में हुए थे भर्ती

42 वर्षीय रतन लाल के परिवार वालों ने बताया कि वो साल 1998 में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए थे। उनकी दिल्ली पुलिस में हेड कॉन्सटेबल के पद पर गोकुलपुरी में तैनाती थी। रतन लाल गोकुलपुरी में पिछले कई सालों से चलाई गई छापेमारी प्रक्रिया की अगुवाई (Leadership) कर चुके थे।

अपने बच्चों से किया था ये वादा...

शहीद हेड कॉन्सटेबल रतन लाल का जन्म राजस्थान के सीकर के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उनके तीन भाई-बहन हैं, जिनमें वो सबसे बड़े थे। रतन लाल शादीशुदा थे और दिल्ली में अपनी पत्नी और और तीन बच्चों के साथ उत्तरी पूर्वी के बुराड़ी में रहते थे। रतनलाल के परिवार वालों ने बताया कि उन्होंने बच्चों से वादा किया था कि इस बार की होली वो अपने गांव (तिहावाली) में मनाएंगे। लेकिन वो अपना वादा पूरा नहीं कर पाए।

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