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1971 की जंग के होरी थे लांस नायक अलबर्ट एक्का, पाकिस्तानी सेना को चटाई थी धूल

1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच जब जंग शुरू हुई तो भारतीय सेना पूर्वी और पश्चिमी दोनों मोर्चों पर लड़ाई लड़ रही थी। बांग्लादेश में घुसने के लिए गंगा सागर की लड़ाई बेहद अहम थी। एक्का की बटालियन 14 गार्ड्स को गंगासागर में पाकिस्तानी मोर्चे को परास्त करना था।

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Published on: 3 Dec 2020 2:53 AM GMT
1971 की जंग के होरी थे लांस नायक अलबर्ट एक्का, पाकिस्तानी सेना को चटाई थी धूल
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लांस अलबर्ट एक्का को उनकी बहादुरी के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र दिया गया। लांस नायक अलबर्ट एक्का बिहार रेजीमेंट के चौदहवीं बटालियन में शामिल थे।

नई दिल्ली: भारत वीरों की धरती है यहां एक से बढ़कर एक योद्धा पैदा हुए हैं। इन वीरों ने अपने जज्बे और साहस से पूरी दुनिया में मान बढ़ाया है और देश के लिए अपनी कुर्बानी दी है। एक ऐसे ही वीर थे लांस नायक अलबर्ट एक्का। लांस अलबर्ट एक्का को उनकी बहादुरी के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र दिया गया। लांस नायक अलबर्ट एक्का बिहार रेजीमेंट के चौदहवीं बटालियन में शामिल थे।

लांस नायक अलबर्ट एक्का ने 1962 के भारत-चीन युद्ध में अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया। इसके बाद उन्होंने 1971 के भारत पाक जंग में अकेले दम पर ऐसा काम कर दिखाया, जो शायद उनके बिना मुश्किल था। अलबर्ट एक्का ने इस जंग में पाकिस्तानी सेना को डेढ़ किलोमीटर तक पीछे भगा दिया और गंगासागर अखौरा को पाकिस्तानी सेना के नापाक कब्जे से आजाद कर दिया था।

भारतीय सेना में शामिल होना सपना था

अलबर्ट एक्का 27 दिसंबर 1942 को झारखंड (अविभाजित बिहार) के गुमला में जन्मे थे। एक्का के माता-पिता का नाम मरियम और जुलियस था। अलबर्ट शुरू से ही भारतीय सेना में शामिल होना चाहते थे। 20वें जन्मदिन पर एक्का का सपना पूरा हो गया और वह भारतीय सेना में शामिल हो गए। उनकी नियुक्ति ब्रिगेड ऑफ गॉर्ड्स के 14वें बटालियन में हुई। एक्का तीरंदाजी में माहिर थे इसके कारण सेना में भर्ती होने में उनको सहायत मिली। वह अचूक निशाना लगाते थे। किसी भी कठिन लक्ष्य को आसानी से भेद देते थे।

!971 India-Pakistan War

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1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच जब जंग शुरू हुई तो भारतीय सेना पूर्वी और पश्चिमी दोनों मोर्चों पर लड़ाई लड़ रही थी। बांग्लादेश में घुसने के लिए गंगा सागर की लड़ाई बेहद अहम थी। एक्का की बटालियन 14 गार्ड्स को गंगासागर में पाकिस्तानी मोर्चे को परास्त करना था। यह स्थान त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से सिर्फ 6 किमी की दूरी पर थी।

गंगासागर ढाका जाने वाली मुख्य रेलवे लाइन के पास था। रणनीतिक रुप से गंगासागर पर कब्जा भारतीय सेना के लिए बेहद अहम थी। इस पूरे इलाके में पाकिस्तानी सेना ने बारूदी सुरंगे बिछाई हुई थी। भारतीय सेना को अखुरा तक जाने के लिए गंगासागर पर कब्जा जरूरी था। इस मकसद को पूरा करने के लिए भारतीय सेना ने 3 दिसंबर को गंगासागर पर भीषण हमला किया। एक्का किसी भी हालात में गंगासागर पर कब्जा करने की ठान चुके थे।

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एक्का किसी भी परिस्थिति को आसानी से अपने पक्ष में कर लेते थे

कर्नल ओपी कोहली एक्का की टीम का नेतृत्व कर रहे थे। एक्का की काबिलियत को वो पूरी तरह वाकिफ थे। कर्नल कोहली कहते थे एक्का एक ऐसा शख्स है जिसके लिए चुनौतियों का सामना करना किसी पूजा की तरह है। वो कठिन से कठिन परिस्थिति को अपने पक्ष में कर सकते हैं।

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3 दिसंबर की रात 2.30 बजे भारतीय सैनिकों ने रेलवे लाइन पार कर लिए। पाकिस्तान सेना के संतरी ने भारतीय सैनिकों को रोकने की कोशिश, लेकिन भारतीय सैनिकों ने संतरी को ढेर कर दिया दुश्मन के इलाके में घुस गये। इसी दौरान पाकिस्तानी सैनिकों ने एलएमजी बंकर से भारतीय सैनिकों पर हमला बोल दिया।

इसी दौरान अलबर्ट एक्का ने अपनी जान की परवाह किए बिना ग्रेनेड एलएमजी में डाल दिया। इसके बाद पाकिस्तानी सेना पूरा ध्वस्त हो गया। इसके बाद भारतीय सैना ने 65 पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया और 15 को पकड़ लिया।

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ऐसे हुए शहीद

रेलवे के आउटर सिंगनल क्षेत्र पर भारतीय सेना ने कब्जा कर लिया। इसके बाद वापस आ रहे भारतीय सैनिकों पर टॉप टावर मकान के ऊपर में खड़ी पाक सैनिकों ने अचानक मशीनगन से हमला बोल दिया। इसमें 15 भारतीय सैनिक शहीद हो गये। इसको देखकर अलबर्ट एक्का दौड़कर बंकर की तरह टॉप टावर के ऊपर चढ़ गये। उसके बाद टॉप टावर के मशीनगन को अपने कब्जे में लेकर दुश्मनों को तबाह कर दिया। इस दौरान उन्हें 20 से 25 गोलियां लगीं। वे टॉप टावर से नीचे गिर गए और देश के लिए शहीद हो गए।

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