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मैथमेटिक्स गुरु की बड़ी सीख, छात्र की सफलता-असफलता पर कही ये बात, ली जिम्मेदारी

विश्व रिकार्ड्स होल्डर आरके श्रीवास्तव की क्लास में पढ़ कर इस साल 15 स्टूडेंट्स ने जेईई ऐडवांस में सफलता प्राप्त की। वहीं एक शैक्षणिक सेमिनार में शामिल आरके श्रीवास्तव ने इस बारे में कई दिलचस्प बाते बताई और कहा कि इन अनुभवों से सीख लेने की जरूरत है।

Shivani
Published on: 29 Oct 2020 5:44 AM GMT
मैथमेटिक्स गुरु की बड़ी सीख, छात्र की सफलता-असफलता पर कही ये बात, ली जिम्मेदारी
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लखनऊ: मैथमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव बच्चों के सपनों को उड़ान देने में उनकी भरपूर मदद करते हैं। दिन रात एक कर उनको पढ़ाते हैं, एग्जाम की तैयारी कराते हैं। ऐसे में छात्र अच्छे अंकों से पास होता है, तो बतौर गुरु आरके श्रीवास्तव के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि होती है। वहीं उनका कहना है कि एक छात्र की सफलता का श्रय मुझे जाता है तो अगर किसी छात्र का असफलता मिली है तो उसकी जिम्मेदारी भी मेरी ही बनती है।

शैक्षणिक सेमिनार में शामिल हुए आरके श्रीवास्तव

दरअसल, विश्व रिकार्ड्स होल्डर आरके श्रीवास्तव की क्लास में पढ़ कर इस साल 15 स्टूडेंट्स ने जेईई ऐडवांस में सफलता प्राप्त की। वहीं एक शैक्षणिक सेमिनार में शामिल आरके श्रीवास्तव ने इस बारे में कई दिलचस्प बाते बताई और कहा कि इन अनुभवों से सीख लेने की जरूरत है।

सफलता भी मेरी तो असफलता भी मेरी—

मैथमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव ने एक शैक्षणिक सेमिनार में अपने संबोधन में बताया की सभी शैक्षणिक संस्थाओं में सफल स्टूडेंट्स का श्रेय लेने की होड़ सी लग जाता है। जबकि उन शैक्षणिक संस्थाओं में वैसे सैकड़ो- हजारो प्रतिभाएं शामिल है जो असफल भी हुए, आखिर उनके असफलता का श्रेय कौन लेगा।

शैक्षणिक संस्थाओं को मैथमेटिक्स गुरु ने दिया संदेश

उन सभी शैक्षणिक संस्थाओं को संदेश देते हुए श्रीवास्तव ने बताया की आप सभी कोचिंग संस्थान के संचालक यदि सफल छात्र- छात्राओं का श्रेय खुद लेते है तो आपकी यह भी जिम्मेवारी है कि आपके संस्था से असफल हुए सैकड़ो स्टूडेंट्स का श्रेय खुद आगे आकर आपको लेना पड़ेगा। यदि आप सभी ऐसा करते है तभी बेहतर शिक्षा का माहौल देश मे बनेगा और आने वाले दिनों में भारत विश्वगुरु बनने की राह पर अग्रसर आगे बढ़ेगा।

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लगभग सभी बोर्ड परीक्षा, इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा, सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षा के अंतिम परिणाम सामने आ गए है। जो स्टूडेंट्स सफल है उनके लिए तो यह गौरवशाली क्षण है ही, उनके अभिवावकों और हम जैसे शिक्षकों के लिए तो यह क्षण और भी उपलब्धियों का हो जाता है।

अपनी असफलता से खुद ही लड़ना हैः

मीडिया की दखलअंदाजी तो घर के कोने कोने तक हो गई है। इसी कमरे में पढ़ते थे और इसी पंखे के नीचे सोते थे जैसे न्यूज़ बार बार फ़्लैश भी कर रहे है।कई नई कहानियां और उदाहरण भी मीडिया और सोशल मीडिया के बहाने हम तक पहुंच रहे है और यह सब कहानिया है उन सभी सफल लोगो की हैं, जो आज के नायक है।

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आरके श्रीवास्तव ने कहा कि पर कहानी यही खत्म नही होती,कहानी तो उनकी भी है जो स्टूडेंट्स बहुत कम नम्बरो से अंतिम सूचि में जगह नही बना पाये,जिनके कही नम्बर कम रहे या किसी खास पेपर में बेहद खराब अंक आ गए।जो यह भी नही समझ पा रहे की कल जिन पेपर में अच्छे अंक थे आज उन्ही के चलते कैसे असफल हो गए।आखिर चन्द फासले पर खड़ी सफलता कुछ अंको से जब फिसलती है तो तकलीफ गहरी होती ही है और यही नही इनको अपनी असफलता से खुद ही लड़ना भी है।

आरके श्रीवास्तव के इन स्टूडेंस में मारी बाजी

कहते भी है की सफलता के कई अभिभावक होते है,पर असफलता अनाथ होती है। आरके श्रीवास्तव ने बताया कि एक शिक्षक के रूप में देखू तो वर्ष 2020 में छोटे से जगह बिक्रमगंज का अनिश, सौरभ, शशांक और अवसर ट्रस्ट, मगध सुपर 30 के अपने पढाए कई स्टूडेंट्स जेईई एडवांस में बेहतर रैंक लाकर आईआईटी में प्रवेश पाकर अपने सपने को पंख लगाने के लिए तैयार है, वही ग्रामीण परिवेश के ये सभी स्टूडेंट्स ने आईआईटी और एनआईटी में पहुँचकर यह साबित कर दिया कि परिश्रम और लगन से कोई भी लक्ष्य को पाया जा सकता है।

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बिहार सहित देश के अलग अलग राज्यो में शिक्षा देने वाले आरके श्रीवास्तव ने बताया कि इस वर्ष हमारे पढाये दर्जनों स्टूडेंट्स आईआईटी प्रवेश परीक्षा में सफल हुए। परन्तु हम उन स्टूडेंट्स की चर्चा कर रहे जो ग्रामीण परिवेश से होकर आईआईटी तक पहुँचा।

श्रीवास्तव ने बताया कि इसके अलावा हमारे पढाये कई बच्चे ना केवल सफल हुए पर उच्च स्थान भी पाये हैं, पर अगर इन सफलताओ के लिए मैं श्रेय लेता हु तो जिम्मेदारी उन बच्चों की भी लेनी होगी जो सफल नही हुए है।केवल कोचिंग में भीड़ बढ़ा लेने से तो जिम्मेदारी से बचा नही जा सकता। असफल बच्चे जब अकेले में यह सवाल पूछते होंगे की आखिर हममे में क्या कमी रह गई,कहा चूक हो गई???तो क्या मैं अकेले में इन सब सवालो से बच सकता हु।

सभी शिक्षकों को लेनी चाहिए ये शपथ

इसलिए हम सभी शिक्षक यह शपथ ले कि असफल हुए स्टूडेंट्स का श्रेय भी हमे लेना पड़ेगा।आप सभी स्टूडेंट्स जो असफल हुए वे हार न माने क्योंकि जितने वाले छोड़ते नही, छोड़ने वाले जीतते नही। अपनी असफलता की मानसिक बाधा को दूर करते हुए आप सभी नए सिरे से तैयार हो जाइये और इस दौरान मैं भी नए सिरे से नए सफलता के उदाहरण गढ़ने के लिए खुद को तैयार कर रहा हु।

हम सभी मिलकर इस बार नए और नए जोश और उत्साह से अपनी अपनी भूमिका को बेहतर आकार देने की हम सभी कोशिश करेंगे। मुझे आप पर भरोसा है,मैं अंतिम दम तक आपका साथ नही छोड़ने वाला हु,बस आप अपने भरोसे को जिन्दा रखें। सफलता भी मेरी तो असफलता भी मेरी, पर हौसलों की उड़ान अभी बाकि है। आप सभी स्टूडेंट्स खुद पर यकीन करें तो दुनिया आपके मुट्ठी में।

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