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AIMP Law Board: मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी बने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नए अध्यक्ष
AIMP Law Board: मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी के नाम पर मुहर इंदौर में चली दो दिवसीय बैठक के बाद लगी। इससे पहले मौलाना राबे हसनी नदवी बोर्ड के अध्यक्ष थे, जिनका लंबी बीमारी के बाद 13 अप्रैल 2023 को निधन हो गया था।
Indore: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को शनिवार को अपना नया अध्यक्ष मिल गया। मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी अब बोर्ड के नए अध्यक्ष होंगे। उनके नाम पर मुहर इंदौर में चली दो दिवसीय बैठक के बाद लगी। इससे पहले मौलाना राबे हसनी नदवी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष थे, जिनका लंबी बीमारी के बाद 13 अप्रैल 2023 को निधन हो गया था। तब से ही बोर्ड के अध्यक्ष पद की कुर्सी खाली हो गई थी। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों ने अब सर्वसम्मति से मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी को नया अध्यक्ष चुन लिया है।
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मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। वह इससे पहले बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी के पद पर भी कार्यरत थे। अप्रैल 2021 में पूर्व जनरल सेक्रेटरी मौलाना वली रहमानी के निधन के बाद उन्हें कार्यकारी जनरल सेक्रेटरी नियुक्त किया गया था। इसके बाद नवंबर 2021 में ही कानपुर में जलसा-ए-आम में उन्हें स्थाई जनरल सेक्रेटरी बनाया गया था।
पांचवें अध्यक्ष हैं मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी-
मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पांचवें अध्यक्ष हैं। बोर्ड की स्थापना 1973 में हुई थी। इसके सबसे पहले अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद तैय्यब थे। दूसरे अली मियां और तीसरे अध्यक्ष के तौर पर मौलाना काजी मुजाहिदुल इस्लाम कासमी को चुना गया था। मौलाना राबे हसनी नदवी बोर्ड के चैथे अध्यक्ष रहे। वह जून 2002 से लगातार 21 साल से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष थे। 13 अप्रैल 2023 को उनका निधन हो गया, जिसके बाद मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी को अब यह जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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जानिए क्या है ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड?
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मुसलमानों की सबसे शक्तिशाली संस्था माने जाती है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की वेबसाइट के अनुसार, इसकी स्थापना 7-8 अप्रैल 1973 को हुई थी। बोर्ड की स्थापना उस दौर में हुई जब भारत सरकार यूनिफॉर्म सिविल लॉ के जरिये भारतीय मुसलमानों पर लागू होने वाले शरिया कानून को खत्म करने की कोशिश कर रही थी। यानी इस बोर्ड का उद्देश्य ही देश में मुस्लिम समुदाय के पर्सनल लॉ की हिफाजत करना और उनके मुद्दों को सरकार के सामने रखना है। बता दें कि बोर्ड में 251 सदस्य हैं। इसके संस्थापक सदस्यों में 102 लोग शामिल हैं। बोर्ड में 149 आम सदस्य होते हैं, जिनके लिए हर 3 साल में चुनाव कराए जाते हैं। चुनाव में जो चुन कर आते हैं उन्हें सदस्य बनाया जाता है।
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