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MP Election 2023: एमपी के रण में गरजीं मायावती, कांग्रेस रही निशाने पर, पिछड़ों से कहा- न आएं इनकी बातों में
MP Election 2023: बीजेपी और कांग्रेस के बड़े नेताओं के ताबड़तोड़े दौरे के बीच अब एमपी के रण में बसपा सुप्रीमो मायावती दस्तक देने जा रही हैं।
MP Election 2023: पांच चुनावी राज्यों में सबसे बड़े मध्य प्रदेश में मतदान को महज 10 दिन शेष रह गए हैं। ऐसे में हिंदी पट्टी के इस राज्य में चुनाव प्रचार जोरों से चल रहा है। नेताओं के तूफानी दौरे हो रहे हैं। धुंआधार प्रचार अभियान से पूरे प्रदेश का सियासी माहौल गरमाया हुआ है। बीजेपी और कांग्रेस के बड़े नेताओं के ताबड़तोड़े दौरे के बीच अब एमपी के रण में बसपा सुप्रीमो मायावती ने दस्तक दी है।
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने सोमवार को मध्य प्रदेश में बीएसपी के लिए चुनाव प्रचार अभियान का आगाज किया। अशोकनगर जिले की मुंगावली विधानसभा क्षेत्र में जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। मायावती ने पिछड़ों को कांग्रेस के पति आगाह करते हुए कहा कि वे हवा-हवाई बातों में न आएं। उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस के नेता जातीय जनगणना की मांग करते हैं।
लेकिन उनके शासनकाल में पिछड़े वर्ग के लोगों को आरक्षण देने के लिए जो सर्वे हुआ था उसे कांग्रेस पार्टी की सरकार ने लागू नहीं किया। उसके बाद मंडल कमीशन की रिपोर्ट को भी कांग्रेस सरकार ने लागू नहीं किया। जिस कांग्रेस पार्टी ने मंडल कमीशन और काका कालेलकर की रिपोर्ट को लागू नहीं किया आज चुनाव के दौरान पिछड़ों का वोट लेने के लिए बड़ी-बड़ी बाते कर रहे हैं।
यूपी से सटे इलाकों पर फोकस
मायावती का मुख्य फोकस यूपी से सटे एमपी के इलाकों पर है। उनकी अधिकांश रैलियां ग्वालियर – चंबल और बुंदेलखंड इलाके में होंगी। वे अशोकनगर, निवाड़ी, सागर, दमोह, दतिया, छतरपुर, भिंड, मुरैना और सतना में चुनाव प्रचार करेंगी। बसपा मुखिया 6, 7, 8, 10 और 14 नवंबर को पांच दिन में 8 सभाएं करेंगी। उन्होंने आज मध्य प्रदेश में दो रैलियां कीं। उनकी पहली रैली अशोकनगर जिले की मुंगावली विधानसभा क्षेत्र में हुई। वहीं, दूसरी रैली निवाड़ी जिले के निवाड़ी विधानसभा क्षेत्र स्थित स्टेडियम ग्राउंड में हुई।
गठबंधन में चुनाव लड़ रही है बीएसपी
अकेले चुनाव लड़ने का दंभ भरने वाली मायावती ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए गठबंधन किया है। दोनों राज्यों में बीएसपी ने गोंडवाणा गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) के बसाथ गठबंधन किया है। जीजीपी इस क्षेत्र में आदिवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाली काफी पुरानी क्षेत्रीय पार्टी है। बीएसपी ने छत्तीसगढ़ में पिछली बार अजीत जोगी की पार्टी से गठबंधन किया था, जो कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई थी। समझौते के मुताबिक, एमपी में बीएसपी 178 सीटों पर और जीजीपी 52 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। मायावती ने यह गठबंधन जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए किया है। एमपी में 16 प्रतिशत दलित और 21 प्रतिशत आदिवासी वोटर हैं। उन्हें उम्मीद है कि अगर ये समीकरण थोड़ा बहुत भी काम कर गया तो करीबी मुकाबले में बीएसपी किंगमेकर की भूमिका में आ सकती है।
एमपी में बीएसपी का चुनावी प्रदर्शन
मध्य प्रदेश में दलितों की आबादी अच्छी-खासी होने के कारण बसपा का यहां कुछ पॉकेट्स में खासा असर रहा है। खासकर यूपी से लगने वाले इलाकों में पार्टी की मजबूत पकड़ रही है और कई बड़े नेता भी निकले हैं। जो आज कांग्रेस या बीजेपी में हैं। एमपी में बीएसपी ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन साल 2008 के विधानसभा चुनाव में किया था, तब उसे सात सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि, पांच साल बाद वो इसे बरकरार नहीं रख सकी और 2013 में उसके विधायकों की संख्या घटकर 4 रह गई। 2018 में पार्टी के दो और विधायक कम हो गए और महज दो सीटों पर ही जीत पाई। ऐसे में आदिवासी दल गोंडवाणा गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) के साथ उसका गठबंधन कितना कारगर साबित होता है, ये चुनाव नतीजे बताएंगे।
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क्या एमपी में किंगमेकर बन पाएंगी मायावती ?
बीएसपी के एक सांसद के मुताबिक, मायावती का मानना है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस हो या बीजेपी किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने वाला। उन्होंने ऐसा एक सर्वे एजेंसी के रिपोर्ट के आधार पर कही है। बसपा सुप्रीमो को लगता है कि इस स्थिति में सत्ता की चाभी उनके हाथ आ सकती है। बीएसपी ने कांग्रेस और बीजेपी के उन बागियों को भी टिकट दिया है, जिनका इलाके में अच्छी साख है। कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि बीएसपी जितनी मजबूती से लड़ेगी खासकर कांग्रेस को उतना ही नुकसान होगा।
बता दें कि मध्य प्रदेश की सभी 230 सीटों पर एक ही चरण में 17 नवंबर को मतदान होगा और नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे।