किसानों की कर्ज माफी: हो रही सिर्फ बैठक पर बैठक, नहीं हुआ अंतिम निर्णय

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने विभागीय पदाधिकारियों और विकास आयुक्तों के साथ बैठक की है। विभागीय मंत्री ने पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि, इस बात का पता लगाया जाए कि, ऋण माफी को लेकर बैंक किस तरह से मदद कर सकते हैं।

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Published on: 13 Oct 2020 1:00 PM GMT
किसानों की कर्ज माफी: हो रही सिर्फ बैठक पर बैठक, नहीं हुआ अंतिम निर्णय
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किसानों की कर्ज माफी: हो रही सिर्फ बैठक पर बैठक, नहीं हुआ अंतिम निर्णय

झारखंड: कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में किसानों की ऋण माफी का वादा किया गया था। सत्ता में आने के क़रीब नौ महीने बाद भी अबतक क़र्ज़ माफ़ी को लेकर कोई अंतिम निर्णय नहीं हो सका है। हालांकि, पिछले दिनों कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह ने किसानों की ऋण माफी की घोषणा की थी। उन्होने कहा था कि, कोरोना महामारी के कारण क़र्ज़ माफी की घोषणा में देरी हुई है।

किसानों को अभी और इंतज़ार करना होगा

हालांकि, घोषणा के बाद से लेकर अबतक विभागीय स्तर पर बैठकों का दौर जारी है लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं हो सका है। कृषि मंत्री बादल पत्रलेख इसे लेकर कई राउंड की बैठक कर चुके हैं। अब नई तारीख़ 20 अक्टूबर की है जिस दिन विभागीय मंत्री उच्च अधिकारियों के साथ ही विभिन्न बैंकों के पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। फिलहाल, किसानों को और इंतज़ार करना होगा।

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कृषि मंत्री बादल पत्रलेख की बैठक

झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने विभागीय पदाधिकारियों और विकास आयुक्तों के साथ बैठक की है। विभागीय मंत्री ने पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि, इस बात का पता लगाया जाए कि, ऋण माफी को लेकर बैंक किस तरह से मदद कर सकते हैं। उन्होने कहा कि, जिन किसानों का लोन एनपीए हो चुका है। उन खातों को भी शामिल करते हुए वन टाइम सेटलमेंट की योजना पर काम किया जाए।

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ऋण माफी के लिए राज्यस्तरीय कमेटी का गठन

किसानों की क़र्ज़ माफ़ी के लिए कृषि विभाग ने राज्यस्तरीय कमेटी का गठन किया है। कमेटी को निर्देश दिया गया है कि, एसएलबीसी की भूमिका को भी सुनिश्चित किया जाए। विभागीय मंत्री बादल पत्रलेख की मानें तो सरकार ने ऋण माफी के लिए बजट में 2000 करोड़ का प्रावधान किया है। कृर्ज़ माफ़ी को लेकर आगामी 20 अक्टूबर को एक और बैठक बुलाई गई है जिसमें विभागीय अधिकारियों के साथ ही बैंकों के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे।

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किसानों की हितैषी बनने की होड़

कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दल किसानों की हमदर्द बनने की होड़ में शामिल हैं। चूंकि, कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में कर्ज़ माफ़ी की घोषणा की थी। लिहाजा, पार्टी इसे हर हाल में पूरा करना चाहती है। पिछले दिनों ही कांग्रेस ने किसान सम्मेलन कर कृषी से जुड़े तीन क़ानूनों का विरोध कर चुकी है। कार्यक्रम में खुद कृषि मंत्री बादल पत्रलेख मौजूद थे।

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न्यूज़ट्रैक से बात करते हुए उन्होने कहा था कि, सिर्फ क़र्ज़ माफ़ी ही नहीं बल्कि, किसानों को राहत देने के लिए अन्य विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। कांग्रेस के लिए किसान कोई वोट बैंक नहीं हैं बल्कि परिवार के समान हैं। कांग्रेस किसानों के साथ हमेशा से खड़ी रही है।

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भाजपा ने भी किसान गोष्ठी कर किसानों के प्रति अपने प्रेम का प्रदर्शन कर चुकी है। पार्टी का मानना है कि, कृषि से जुड़े तीन कानूनों के आ जाने से कृषकों को कई समस्याओं से निजात मिल जाएगी।

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बहरहाल, किसानों को लेकर बैठकों और कार्यक्रमों का सिलसिला जारी है लेकिन निर्णय लेने में जितनी देरी होगी किसानों की समस्या उतनी बढ़ती जाएगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि, सरकार न सिर्फ ऋण माफी बल्कि किसानों की संपूर्ण समस्याओं के निदान के लिए तत्पर रहेगी।

रांची से शाहनवाज़ की रिपोर्ट

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