TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

अब हो रही मजदूरों की खुशामद और खिदमत

कोरोना काल में पंजाब से मजदूरों का पलायन इस कदर शुरू हुआ कि यहां का कृषि और उद्योग क्षेत्र दोनो कराह उठा।

Roshni Khan
Published on: 12 Jun 2020 3:26 PM IST
अब हो रही मजदूरों की खुशामद और खिदमत
X

दुर्गेश पार्थ सारथी

अमृतसर: कोरोना काल में पंजाब से मजदूरों का पलायन इस कदर शुरू हुआ कि यहां का कृषि और उद्योग क्षेत्र दोनो कराह उठा। इस पलायन को रोकने में सरकार, उद्योगपति और किसान सब नाकाम रहे। अ‍ब स्थिति यह है कि कर्फ्यू हटने और लॉकडाउन खुलने के बाद कारखानों में न तो कारीगर मिल रहे हैं और ना ही श्रमिक। यही हाल खेती किसानी का भी है। पंजाब में धान की रोपाई शुरू हो गई है लेकिन पंजाब में मजदूरों का टोटा है। ऐसे में पंजाब दोराहे पर खड़ा है। उसे समय नहीं आ रहा है वह यहां श्रमिकों और कामगारों की कमी कैसे पूरी करे। जबकि, दूसरी तरफ मजदूरों का पलायन अब भी बदस्‍तूर जारी है।

ये भी पढ़ें:तो युद्ध को तैयार नेपाल, भारत से लगी सीमाओं पर लगाई सशस्त्र पुलिस

पहुंचे यूपी-बिहार

सालाना १२० लाख टन चावल का उत्‍पादन करने वाले पंजाब के किसानों को अंतरप्रांतीय मजदूरों की कमी खलने लगी है। इसे दूर करने और अपनी भूल सुधारने के लिए यहां के किसानों ने उत्‍तर प्रदेश और बिहार के दूर-दराज के गांवों में रहने वाले श्रमिकों से संपर्क साध उन्‍हें लाने के लिए खुद के खर्चे पर लग्‍जरी बसें भेजी हैं। किसानों का कहना है कि यह काम उन्‍हें महंगा पड़ रहा है फिर भी कृषि संकट को दूर करने के लिए वह यह जोखिम उठाने को तैयार हैं।

15 दिन में भेजी 105 बसें

पंजाब के मालवा क्षेत्र के किसानों ने मजदूरों को वापस लाने के लिए 15 दिन में विभिन्‍न ट्रांसपोर्ट कंपनियों की कुल 105 बसों को उत्‍तर प्रदेश-बिहार, आंध्रप्रदेश, छत्तिसगढ़ और झारखंड भेजा है। मालवा के 12 से अधिक गांवों से गई बसों से चार हजार से अधिक किसानों को वापस लाया गया है। धनौला के किसान बलकार सिंह और बोहड़ सिंह ने बताया कि कई गांवों के किसानों ने मिल कर पहले जिला प्रशासन से बात की और ऑनलाइन आवेदन किया। मंजूरी मिलने के बाद बस से किसान खुद मजदूरों को वापस लाने के लिए उनके गांव गए।

बरेली से आए 50 मजदूर

मालवा के ही किसान गुरमुख सिंह, गुरमेल और बलजिंदर ने बताया कि वो लोग खुद बस लेकर उत्‍तर प्रदेश के बरेली गए थे। यहां से वे 50 मजदूरों को साथ लेकर आए हैं। उन्‍होंने कहा कि उनके पास खेती सौ एकड़ से अधिक है। ऐसे में अकेली खेती कर पाना मुश्किल है। इसलिए यह कदम उठाया गया।

मजदूर रहेंगे एसी कमरे में

पंजाब में मजदूरों की किल्‍लत इस कद बढ़ी है कि यहां के किसान मजदूरों को अब ट्यूबवेल वाले कमरे में नहीं बल्कि एसी वाले कमरे में ठहरा रहे हैं। लुधियाना जिले खन्‍ना के किसानों ने बिहार के मधेपुरा से बस भेज कर 27 से अधिक मजदूरों को बुलवाया है। किसान हरगोबिंद सिंह का कहना है कि मजदूरों को रहने के लिए एसी वाली कोठी, मेडिकल सुविधा, राशन मुफ्त और मजदूरी भी अधिक दी जाएगी।

मजबूर हुए किसान

पंजाब के किसानों को अंतरप्रांतीय मजदूरों को इस लिए खुद के खर्चे पर वापस बुलवाना पड़ा क्‍योंकि स्‍थानीय मजदूर धान की रोपाई प्रति एकड 6 हजार रुपये मांग रहे थे। ये आमतौर पर दी जाने वाली मजदूरी का दोगुना था। इस लिए कुछ गांवों की पंचायतों ने इन मजदूरों का सामूहिक बहिष्कार भी किया। किसानों ने इसका दूसरा रास्‍ता निकला। परिवार के साथ खुद खेतों में काम करना शुरू किया। लेकिन बात नहीं बनी। आखिरकार गांवों की पंचायतों ने फैसला किया कि जो मजदूर पलायन कर गए हैं उन्‍हें वापस लाया जाया।

बिहार जाकर 35-40 मजदूरों को लेकर आ रही बस का खर्च एक लाख से सवा लाख के बीच पड़ रहा है। वहीं उत्तर प्रदेश जाने पर यह खर्च 65 हजार से 75 हजार पड़ रहा है।

पंजाब के बरनाला में जब मजदूरों को लेकर बस पहुंची तो उनका हीरो की तरह स्वागत किया गया। वापस लौटने पर मजदूरों का कोरोना भी टेस्ट किया जा रहा है। रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही उन्हें काम करने या फिर कहीं पर जाने दिया जा रहा है।

ऐसा बताया जा रहा है कि मजदूर काम खत्म होने पर इसी तरह वापस भेजे जाने की गारंटी पर ही आए हैं।

फैक्ट्रियों के बाहर लगे बोर्ड

प्रदेश की औद्योगिक नगरी लुधियाना का तो और बुरा हाल है। यहां इंडस्ट्रियल एरिया में फैक्ट्रियों के बाहर कामगारों की जरूरत वाले बोर्ड टंग गए हैं। होजरी यूनिटों में कटाई, सिलाई से लेकर इंटरलॉकिंग, काज और बटन करने माहिरों की जगह खाली है। होजरी यूनिटों को कुशल कारिगर नहीं मिल रहे हैं। यूनिट मालिकों का कहना है कि सर्दियों का माल तैयार करना है, लेकिन कारिगर नहीं मिल रहे हैं। यही हाल लुधियाना की अन्‍य यूनिटों का भी है।

ये भी पढ़ें:भारतीयों को तगड़ा झटका: ट्रंप ले सकते हैं ये बड़ा फैसला, होगा भारी नुकसान

बॉक्स

पंजाब कृषि विश्‍वविद्यालय लुधियाना के कृषि विशेषज्ञ डॉ नार्थ के मुताबिक देश के कुल भूभाग का पंजाब 1.5 प्रतिशत है। पंजाब देश के कुल गेहूं उत्पादन का 22 प्रतिशत, चावल का 12 प्रतिशत और कपास का 12 प्रतिशत उत्‍पादन करता है। फसल की गहनता 186 प्रतिशत है। राज्य का भैगोलिक क्षेत्रफल 50.36 लाख हेक्टेयर है जिसमें से 42.90 लाख हेक्टेयर पर खेती होती है। केवल 7-8 लाख हेक्टेयर भूमि पर शहर, गांव, कारखाने, सड़कें आदि हैं।

३३ प्रतिशत नहरों से होती हैं सिंचाई

पंजाब के कुल क्षेत्र के 33.88 पर नहरों से सिंचाई होती है। सन् 1970 में पंजाब में 1.2 लाख ट्यूबवेल थे जो सन् 2009 में बढ़कर 12.32 लाख हो गए यानी 22 जिलों के पंजाब में हर जिले में एक लाख से अधिक ट्यूबवेल हैं। 1980 में 739 एमएम औसत वर्षा होती थी जो सन 2006 तक घटकर 418.3 एमएम रह गई है। एक अनुमान के अनुसार सन् 2023 तक 66 प्रतिशत क्षेत्र का पानी वर्तमान स्तर से 50 फुट नीचे और पंजाब के 34 प्रतिशत क्षेत्र का जलस्तर वर्तमान स्तर से 70 फुट नीचे चला जाएगा। पानी के नीचे जाने का मतलब भूमि का रेगिस्तान में बदल जाना है। आज भी पानी का इतना संकट है कि 10 जून के पूर्व धान की खेती की सरकार से अनुमति नहीं है।

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Roshni Khan

Roshni Khan

Next Story