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बलूचिस्तान में अल्पसंख्यकों का किया जा रहा नरसंहार : हसन हमदम
बलूचिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ विद्रोह बढ़ता जा रहा है। बलूच मानवाधिकार परिषद के उपाध्यक्ष हसन हमदम ने गुरुवार को दावा किया कि बलूचिस्तान में कभी भी लोकतंत्र नहीं रहा है।
जिनेवा: बलूचिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ विद्रोह बढ़ता जा रहा है। बलूच मानवाधिकार परिषद के उपाध्यक्ष हसन हमदम ने गुरुवार को दावा किया कि बलूचिस्तान में कभी भी लोकतंत्र नहीं रहा है।
पाकिस्तान मीडिया से बातचीत में हमदम ने कहा कि बलूचिस्तान में स्थिति बहुत खराब है क्योंकि पाकिस्तान हर दिन लोगों की किडनेपिंग और हत्या कर रहा है। बलूचिस्तान में कभी भी लोकतंत्र नहीं रहा है।
बलूचिस्तान में सीधे पाकिस्तानी सेना का शासन इस्लामाबाद द्वारा किया जाता है। यहां के लोगों का पाकिस्तानी सरकार द्वारा शोषण किया जाता है और उनके संसाधनों को उनसे छीन कर पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में इस्तेमाल जाता है। बलूचिस्तान में लोग रो रहे हैं क्योंकि वे संसाधनों से तो समृद्ध हैं, लेकिन दुर्भाग्य से वे पाकिस्तान में रहने वाले सबसे गरीब लोग हैं।
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बलूचिस्तान में बुनियादी सुविधाओं का अभाव
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का बलूच लोगों और उसके विकास से कोई सरोकार नहीं है। बलूचिस्तान के लोग सिर्फ रोने के लिए विवश हैं क्योंकि यह क्षेत्र संसाधानों से समृद्ध है। दुर्भाग्य से वहां पाकिस्तान में रहने वाले सबसे गरीब लोग हैं। वहां बच्चों को कोई शिक्षा नहीं मिलती है। उनको कोई नौकरी, संसाधन की सहूलियत, पानी इत्यादि नहीं है।
वहां के लोगों को कोई अधिकार नहीं है। यही कारण है कि क्षेत्र में विद्रोह काफी उग्र है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की सेना बलूच बुद्धिजीवियों, छात्रों और लोगों के खिलाफ अपने झूठे धार्मिक कट्टरवाद का इस्तेमाल करती है।
वे बलूच लोगों के बीच यह संदेश देना चाहते हैं कि आप मुस्लिम देश के खिलाफ हैं, जिसे इस्लाम के नाम पर बनाया गया था। जबकि वास्तविकता यह है कि अगर आप पाकिस्तान के खिलाफ कुछ भी बोलते हैं तो उसे इस्लाम या मुसलमान के खिलाफ बता दिया जाता है।
बलूच लोगों का नरसंहार करती है पाक सेना
इसके अलावा जिनेवा में ही बलूच मानवाधिकार परिषद के महासचिव समद बलूच ने कहा, 'हमने बहुत कुछ झेला है। हमारे सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक अधिकारों को नकार दिया गया है। बलूचिस्तान को सिर्फ लूटा गया है, पाकिस्तान ने हमारे संसाधनों को लूटा है।
पाकिस्तान, मानवाधिकारों का हनन करते हुए बलूचिस्तान में अल्पसंख्यकों का नरसंहार कर रहा है। एस बलूच का आगे कहना है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को पालता है। पाकिस्तानी सेना ना केवल बलूच लोगों का नरसंहार कर रहा है, बल्कि वो हमारे सिंधी भाइयों, पश्तूनों के नरसंहार में भी शामिल है।
बलूचिस्तान सबसे तनावग्रस्त इलाका
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का सच यही है कि उसकी सेना बलूचिस्तान में जुल्म करने का हर रिकॉर्ड तोड़ रही है। आजादी के 7 दशकों के बाद भी वहां के सबसे बड़े प्रांत बलूचिस्तान को सबसे तनावग्रस्त इलाका माना जाता है।
आर्थिक और सामाजिक दोनों लिहाज से बलूचिस्तान पाकिस्तान के सबसे पिछड़े राज्यों में गिना जाता है। पाकिस्तानी सेना पर सालों से बलूचिस्तान आंदोलन को दबाने, बलोच लोगों को गायब करने और उनका नरसंहार का आरोप है।
बुगती की हत्या के बाद बढ़ा रोष
लोगों की मांग को लेकर बलूचों ने पाकिस्तान में वर्षों पहले हथियार उठा लिए थे। उन्होंने बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी का नाम दिया गया था।
बलूचों का पाकिस्तान के खिलाफ रोष उनके सबसे बड़े नेता नवाब अकबर शाहबाज खान बुगती की हत्या के बाद काफी बढ़ गया। जनरल परवेज मुशर्रफ के समय 26 अगस्ती 2006 को पाकिस्तान सेना ने उनकी क्वेटा से करीब 150 किमी दूर स्थित कोहलू के पास बेरहमी से हत्याक कर दी।
इस हत्या के बाद बलूच लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे और कई जगहों हिंसक प्रदर्शन भी हुए। वह बलूचिस्तान के गवर्नर रहने के साथ-साथ कई दूसरे अहम पदों पर भी रह चुके थे। वो बलूचिस्तान के स्वायत्त की मांग को लेकर पूरी उम्र जद्दोजहद करते रहे। यही वजह थी कि वह हमेशा से ही पाकिस्तान सरकार और सेना के भी निशाने पर रहे।
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बलूचिस्तान में प्राकृतिक संपदा का भंडार
ज्ञात हो कि बलूचिस्तान प्राकृतिक संपदा से भरा पड़ा है। पाकिस्तान के संस्थाापक मुहम्मद अली जिन्ना का घर भी बलूचिस्तान में ही है। जिन्ना ने अपने अंतिम दिन यहीं पर गुजारे थे। हालांकि 2013 में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के हमले में यह घर लगभग बर्बाद हो चुका है। बीएलए ने ही इस हमले जिम्मेदारी ली थी।
इतना ही नहीं यहां हमले के बाद आतंकियों ने इस इमारत पर लगे पाकिस्ताीन के झंडे को भी हटाकर अपना झंडा यहां लगा दिया था। बाद में सरकार ने इसकी मरम्म त करवाई और 2014 में यह दोबारा खोला गया था।
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