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CAA से भी बड़ा फैसला लेने जा रही मोदी सरकार, जानें क्या है प्लान
इसके तहत केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी घर-घर जाकर आंकड़े इकट्ठा करेंगे। जनगणना का दूसरा चरण 2021 में 9 फरवरी से 28 फरवरी के बीच पूरा किया जाएगा। 1 मार्च से 5 मार्च के बीच संशोधन की प्रक्रिया होगी।
नई दिल्ली: जहां एक तरफ नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर देशभर में बवाल देखने को मिल रहा है वहीं अब मोदी सरकार जल्द ही एक और बड़ा फैसला लेते हुए नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) लाने की तैयारी कर रही है, तो आइए जानते हैं क्या है ये...
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसके लिए कैबिनेट से 3,941 करोड़ रुपये की मांग की है। एनपीआर का उद्देश्य देश के सामान्य निवासियों का व्यापक पहचान डेटाबेस बनाना है। इस डेटा में जनसांख्यिंकी के साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी रहेगी।
लेकिन CAA और NRC की तरह विपक्ष की प्रदेश सरकारें इसका भी विरोध कर रही हैं और इसका सबसे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विरोध किया है। ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में एनपीआर पर जारी काम को भी रोक दिया है।
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इसके अलावा केरल की वामपंथी सरकार ने भी एनपीआर से संबंधित सभी कार्यवाही रोकने का आदेश दे दिया है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी बयान में कहा गया कि सरकार ने एनपीआर को स्थगित रखने का फैसला किया है, क्योंकि आशंका है कि इसके जरिए एनआरसी लागू की जाएगी।
इसलिए ममता का विरोध
ममता बनर्जी का कहना है कि पश्चिम बंगाल में एनआरसी और नागरिकता संशोधन क़ानून लागू नहीं होने देंगी। अब उन्होंने एनपीआर को लेकर भी अपना रुख साफ कर दिया है। बता दें कि घुसपैठ की समस्या असम से ज्यादा पश्चिम बंगाल में है। 1971 में बांग्लादेश के गठन के साथ ही वहां से बड़ी संख्या में लोग यहां आए। इन लोगों में एनआरसी को लेकर तो पहले से ही डर था और नागरिकता संशोधन कानून ने उनके खौफ को और बढ़ा दिया है। वहीं एनपीआर को लेकर उनके मन में पहले से डर है।
आजादी के बाद 1951 से अब तक जनगणना 7 बार करवाई जा चुकी है। अभी 2011 में की गई जनगणना के आंकड़े उपलब्ध हैं और 2021 की जनगणना पर काम जारी है। इसे तैयार करने में करीब तीन साल का वक्त लगता है और इसकी प्रक्रिया तीन चरणों में होगी। 30 सितंबर से एक अप्रैल 2020 लेकर के बीच पहले चरण की शुरुआत हो चुकी है।
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इसके तहत केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी घर-घर जाकर आंकड़े इकट्ठा करेंगे। जनगणना का दूसरा चरण 2021 में 9 फरवरी से 28 फरवरी के बीच पूरा किया जाएगा। 1 मार्च से 5 मार्च के बीच संशोधन की प्रक्रिया होगी।
आखिर क्या है एनपीआर?
एनपीआर देश के सभी सामान्य निवासियों का दस्तावेज है और नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों के तहत स्थानीय, उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार होता है। कोई भी निवासी जो 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में निवास कर रहा है तो उसे NPR में अनिवार्य रूप से पंजीकरण करना होता है। 2010 से सरकार ने देश के नागरिकों की पहचान का डेटाबेस जमा करने के लिए इसकी शुरुआत की। इसे 2016 में सरकार ने जारी किया था। एक बार फिर से सरकार इस पर काम करने की तैयारी में है।