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सीमा विवाद के बीच मोदी सरकार ने चीनी कंपनी को दिया बड़ा काम, उठे सवाल

चीनी कम्पनी को इतना बड़ा ठेका उस वक्त दिया गया जब भारत और चीन के बीच सीमा विवाद चल रहा है और उससे देश में भी चीन के खिलाफ माहौल खराब है। लोग चीनी माल के बहिष्कार की मांग कर रहे हैं।

Shivani Awasthi
Published on: 16 Jun 2020 10:42 AM IST
सीमा विवाद के बीच मोदी सरकार ने चीनी कंपनी को दिया बड़ा काम, उठे सवाल
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नई दिल्ली: एक ओर भारत-चीन का लद्दाख में सीमा विवाद चल रहा है। भारत से बार बार चीनी समानों के बहिष्कार की आवाजे उठ रहीं हैं तो वहीं देश के एक बड़े प्रोजेक्ट में चीनी कम्पनी को शामिल किया गया है। यहां केंद्र सरकार के दिल्ली-मेरठ सेमी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना का ठेका एक चीनी कम्पनी को दिया गया, जिसपर ने सवाल खड़े कर दिए हैं।

चीनी कंपनी को मिला दिल्ली-मेरठ सेमी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का ठेका

दरअसल,मोदी सरकार दिल्ली-मेरठ ​रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) प्रोजेक्ट में अंडरग्राउंड स्ट्रेच बनवा रही है। इसे बनाने के लिए चीनी कंपनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड (STEC) ने सबसे रकम की बोली लगाई। जिस पर केंद्र सरकार ने करीब 1100 करोड़ रुपये का ठेका इस चीनी कंपनी को दे दिया।

भारत- चीन विवाद के बीच चीनी माल के बहिष्कार की उठी मांग

अहम बात ये है कि चीनी कम्पनी को इतना बड़ा ठेका उस वक्त दिया गया जब भारत और चीन के बीच सीमा विवाद चल रहा है और उससे देश में भी चीन के खिलाफ माहौल खराब है। लोग चीनी माल के बहिष्कार की मांग कर रहे हैं।

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RSS से जुड़ी संस्था नें डील रद्द करने की मांग की

मामले में कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर इसे लेकर सवाल उठाये। वहीं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने मोदी सरकार से इस बोली को रद्द करने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस डील को रद्द कर किसी भारतीय कम्पनी को ठेका दिया जाए। उन्होंने पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान का तर्क देते हुए कहा कि इसे सफल बनाना है तो ऐसे अहम परियोजनाओं में चीनी कंपनियों को शहामिल नहीं किया जाना चाहिए।

क्या है दिल्ली-मेरठ सेमी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना

ये केंद्र की अहम परियोजना है, जिसके तहत दिल्ली-मेरठ RRTS कॉरिडोर में न्यू अशोक नगर से साहिबाबाद के बीच 5.6 किमी तक अंडरग्राउंड सेक्शन का निर्माण होगा। इस पूरे प्रोजेक्ट को नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (NCRTC) संभाल रहा है।

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प्रोजेक्ट के लिए पांच कंपनियों ने लगाई थी बोली

गौरतलब है कि इस परियोजना के लिए 12 जून को बोली लगाई गयी, जिसमें पांच कंपनियों ने बोली लगाई थी। चीनी कंपनी STEC ने सबसे बोली लगाई थी, वहीं भारतीय कंपनी लार्सन ऐंड टूब्रो (L&T) ने चार करोड़ ज्यादा यानी 1,170 करोड़ रुपये की बोली लगाई। इसके अलावा भारत की ही कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स और एसकेईसी के जेवी ने भी बोली लगाई थी।

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Shivani Awasthi

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