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मॉस्क न पहना पड़ेगा भारी, एआई कर रहा है निगरानी

दूसरी ओर भारत सरकार ने आरोग्य सेतु ऐप का व्यापक इस्तेमाल किया है। आरोग्य सेतु ऐप कॉन्टैक्ट ट्रैसिंग ऐप है जिसे कोरोना से लड़ने के लिए कारगर बताया जा रहा है। आरोग्य सेतु ऐप की मदद से जीपीएस लोकेशन डाटा को ब्लटूथ के जरिए केंद्रीय डाटाबेस में इक्ट्ठा किया जाता है

राम केवी
Published on: 16 May 2020 8:06 AM GMT
मॉस्क न पहना पड़ेगा भारी, एआई कर रहा है निगरानी
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नई दिल्ली कोरोना के फैलाव को कंट्रोल करने के लिए दुनिया भर में आर्टिफ़ीशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल सफलतापूर्वक किया जा रहा है। जहां कुछ समय पूर्व इस तरह की तकनीक को लगी करने की सिर्फ बातें होती थीं, वहीं अब ये कारगर टूल आनन फानन में लागू कर दिया गया है।

न्यूयॉर्क, लंदन, सियोल, टोक्यो आदि सभी जगहों पर कोरोना संक्रमित की ट्रेसिंग के लिए एआई की मदद ली जा रही है। चीन पहले से ही एआई का देश भर में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहा है और कोरोना काल में इसके नए नए इस्तेमाल किए जा रहे हैं।

कहीं ड्रोन तो कहीं एआई का इस्तेमाल

भारत में दिल्ली, मुंबई, भोपाल, हैदराबाद और अन्य बड़े शहरों में लॉकडाउन तोड़ने वालों पर नजर रखने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया तो तेलंगाना पुलिस ने सीसीटीवी की मदद से आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करते हुए फेस मास्क के नियमों का उल्लंघन करने वालों की पहचान करने की तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया।

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वहीं देहरादून में दूसरे जिलों और राज्यों से लाए गए लोगों पर होम क्वारंटीन के दौरान जीपीएस से निगरानी की जा रही है। लोगों की निगरानी में ऐप मददगार साबित होगा।

तेलंगाना पुलिस मास्क नियमों का पालन नहीं करने वालों की पहचान के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित फेस मास्क व्यवस्था लागू करने जा रही है। देश में इस तरह की पहल पहली बार की जा रही है। इसमें कंप्यूटर विजन और डीप लर्निंग तकनीक को लागू किया गया है। ये देश में अपनी तरह की पहली व्यवस्था है।



आरोग्य सेतु

दूसरी ओर भारत सरकार ने आरोग्य सेतु ऐप का व्यापक इस्तेमाल किया है। आरोग्य सेतु ऐप कॉन्टैक्ट ट्रैसिंग ऐप है जिसे कोरोना से लड़ने के लिए कारगर बताया जा रहा है। आरोग्य सेतु ऐप की मदद से जीपीएस लोकेशन डाटा को ब्लटूथ के जरिए केंद्रीय डाटाबेस में इक्ट्ठा किया जाता है। हालांकि बहुत सारे देशों में इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल नहीं हो रहा है।

डेटा की सुरक्षा

नए नियमों के तहत ऐप का डाटा इकट्ठा होने के ठीक 180 दिन बाद डिलीट हो जाएगा, इसके साथ ही डाटा का इस्तेमाल सिर्फ स्वास्थ्य से जुड़े उद्देश्यों के लिए ही होगा। इस ऐप को अब तक 10 करोड़ बार डाउनलोड किया जा चुका है। हालांकि करीब 30 करोड़ लोग ऐसे भी हैं जो स्मार्ट फोन इस्तेमाल नहीं करते हैं और उनकी पहुंच आरोग्य सेतु ऐप तक नहीं है।

नीलमणि लाल की रिपोर्ट

राम केवी

राम केवी

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