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लव जेहाद: यूपी से कितना बेहतर है MP का कानून, जानें यहां
यूपी विधानसभा ने उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक-2021 को 24 फरवरी को ध्वनिमत से पारित कर दिया है। विपक्ष ने प्रवर समिति को भेजने की सिफारिश की थी। जबकि मध्य प्रदेश में इसे धर्म स्वतंत्रता विधेयक नाम दिया गया है।
रामकृष्ण वाजपेयी
भोपाल: मध्य प्रदेश में लव जेहाद को रोकने के लिए आज धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक विधानसभा में पेश हो रहा है। जबकि उत्तर प्रदेश में पहले से विधानसभा ने इसे पारित करके कानूनीजामा पहना दिया है। सूबे में यह कानून सफलतापूर्वक काम कर रहा है जिसके चलते इसके लागू होने के बाद से जबरन धर्मपरिवर्तन कराए जाने के मामलों में भी कमी आई है।
चूंकि मध्यप्रदेश में यह यूपी के बाद कानून बनने जा रहा है। इसलिए जरूरी हो जाता है कि एक बार देखा जाए कि दोनों प्रदेशों के कानूनों में क्या अंतर है।
UP में विधेयक 24 फरवरी को किया गया पारित
यूपी विधानसभा ने उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक-2021 को 24 फरवरी को ध्वनिमत से पारित कर दिया है। विपक्ष ने प्रवर समिति को भेजने की सिफारिश की थी। जबकि मध्य प्रदेश में इसे धर्म स्वतंत्रता विधेयक नाम दिया गया है।
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उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश दोनों राज्यों के विधेयकों में धर्म छिपाकर शादी करने पर दस साल तक की सजा का प्रावधान है। जबरन धर्म परिवर्तन कराने को दोनों राज्यों में संज्ञेय और गैर जमानती अपराध माना गया है।
(फोटो- सोशल मीडिया)
दोनों राज्यों में क्या है सजा का प्रावधान?
इसके अलावा नाबालिग, अनुसूचित जाति या जनजाति की लड़की का जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर यूपी में दस साल की सजा और 25 हजार जुर्माना है जबकि मध्यप्रदेश में दस साल की सजा और 50 हजार के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
गैरकानूनी सामूहिक धर्म परिवर्तन कराने पर उत्तर प्रदेश में 50 हजार तक जुर्माना और तीन से 10 साल तक की सजा का प्रावधान है जबकि मध्य प्रदेश में एक लाख तक जुर्माने और पांच से 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है।
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जिलाधिकारी को बतानी होगी ये बात
ऐच्छिक या स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन के इच्छुक लोगों को दोनों राज्यों में 60 दिन पहले जिलाधिकारी को बताने की बात अनिवार्य की गई है। यदि ये जानकारी नहीं दी जाती है तो इसे जबरन धर्म परिवर्तन ही माना जाएगा।
इसके अलावा सबसे अहम सवाल कि जबरिया धर्म परिवर्तन के मामलों में शिकायत कौन कर सकेगा। यूपी में यह अधिकार माता, पिता या भाई-बहन को दिया गया है। जबकि मध्य प्रदेश में माता, पिता या भाई-बहन के साथ अभिभावकों को भी यह अधिकार दिया गया है।
MP में शादी घोषित हो सकती है अमान्य
ऐसे मामलों में विवाह शून्य माने जाने का यूपी में कोई प्रावधान नहीं है जबकि मध्यप्रदेश में विवाह अमान्य घोषित किया जा सकता है।
इसके साथ ही भरण पोषण को लेकर जहां उत्तर प्रदेश के कानून में कोई प्रावधान नहीं है, वहीं मध्य प्रदेश में बच्चों के भरण पोषण की जिम्मेदारी तय करने का प्रावधान किया गया है।
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