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रियल एस्टेट के कर्ज से बढ़ा NBFC का नकदी संकट, डूब सकती हैं कई कंपनियां

बता दें कि रियल एस्टेट सेक्टर पर इस वक्त कुल 1.29 खरब रुपये की देनदारी है, जिसे वो चुका नहीं पा रही हैं। इंडिया रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रियल एस्टेट में डिफाल्ट बढ़ने से प्रापर्टी डेवलपर्स को नया कर्ज नहीं मिलेगा। और क्षेत्र का विकास धीमा हो जायेगा।

Shivakant Shukla
Published on: 1 March 2019 11:44 AM GMT
रियल एस्टेट के कर्ज से बढ़ा NBFC का नकदी संकट, डूब सकती हैं कई कंपनियां
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नई दिल्ली: देश में कार्यरत रियल एस्टेट सेक्टर की कई छोटी-बड़ी कंपनियां डूबने की कगार पर हैं। भारी कर्ज तले दबे रियल एस्टेट उद्योग की आमदनी में गिरावट का असर नकदी संकट का सामना कर रही बैंकिंग वित्तीय कंपनियों एनबीएफसी पर भी असर पड़ेगा। बता दें कि रियल एस्टेट सेक्टर पर इस वक्त कुल 1.29 खरब रुपये की देनदारी है, जिसे वो चुका नहीं पा रही हैं।

इंडिया रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रियल एस्टेट में डिफाल्ट बढ़ने से प्रापर्टी डेवलपर्स को नया कर्ज नहीं मिलेगा। और क्षेत्र का विकास धीमा हो जायेगा।

नहीं बिक रहे हैं मकान

रिसर्च फर्म लियासेस फोरस के मुताबिक पूरे देश में डेवलपर्स द्वारा तैयार किए गए मकानों की बिक्री न के बराबर हो रही है। 11 हजार कंपनियों पर रिसर्च करने के बाद लियासस ने कहा कि कंपनियों के पास प्रोजेक्ट को पूरा करने और आगे के लिए लोन लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं पैसा नहीं होने की वजह से कई कंपनियों के प्रोजेक्ट तय समय पर पूरे नहीं हो पा रहे हैं। जिससे मकान भी नहीं बिक पा रहे हैं।

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एक साल से नहीं चुका पा रही किश्त

रियल एस्टेट कंपनियों ने जिन एनबीएफसी कंपनियों से लोन ले रखा है उनको पिछले एक साल से समय पर किश्त का भी भुगतान नहीं हो पा रहा है। हालांकि एनबीएफसी कंपनियां इस बारे में किसी तरह की कोई बात नहीं कर रही थीं।

कई बड़ी कंपनियां हुई दिवालिया

पिछले दो सालों में कई बड़ी और नामचीन रियल इस्टेट कंपनियां दिवालिया घोषित हो चुकी हैं। इनमें यूनिटेक के एमडी को गिरफ्तार और आम्रपाली व जेपी ग्रुप को दिवालिया घोषित कर दिया गया है। इन कंपनियों के अधूरे प्रोजेक्ट्स को अब एनबीसीसी पूरा करने जा रही है।

फंस जायेगा 25 फीसदी कर्ज

क्रेडिट फंड मैनेजर कुमार चंद्रशेखरन का कहना है कि कुल फंसे कर्ज में से 25 फीसदी का भुगतान होना मुश्किल लग रहा है। इसमें से 10 फीसदी का भुगतान शायद कभी नहीं होगा। जबकि 15 फीसदी को चुकाने में काफी समय लग सकता है।

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यहां पड़ा सबसे बुरा असर

सबसे ज्यादा बुरा हाल दिल्ली एनसीआर के अलावा मुंबई में पड़ा है। दिल्ली एनसीआर के कई डेवलपर्स जेल में हैं और काफी लोगों के खिलाफ विभिन्न अदालतों में मुकदमा चल रहा है। मुंबई में फ्लैट्स की कीमतों में लगातार दूसरे साल गिरावट देखी गई। हालांकि दक्षिण भारत में तब भी स्थिति काफी हद तक ठीक है।

सस्ते होंगे घर

अगर इसी तरह की हालत इस वित्त वर्ष में रही तो फिर अनुमान है कि अगले तीन सालों में ही देश के आठ बड़े शहरों में मकानों की कीमतों में कमी देखने को मिलेंगी। ऐसा इसलिए क्योंकि डेवलपर्स ने फिलहाल जितने फ्लैट्स तैयार कर दिए हैं, उनको बिकने में इतना वक्त लग रहा है।

फिछले एक साल में बढ़ा डिफाल्ट

एनबीएफसी क्षेत्र पिछले एक साल से डेवलपर्स के डिफाल्टर होने का सामना कर रहा है। कोटक रिसल्टी फंड के सीईओ विकास चिमकुरर्थी ने कहा कि पिछले 12 महीनों से ​कर्ज चूक के कई मामले खुलने के बावजूद यह क्षेत्र खुलकर सामने नहीं आ पा रहा है।

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इन कंपनियों को बड़ा झटका

कंपनी फंसा कर्ज (फीसदी में)

दीवान हाउसिंग 74.74

रिलायंस कैपिटल 64.12

आईआईएफएल होल्डिंग 52.81

इनकी वसूली सबसे ज्यादा

कंपनी वसूला कर्ज (फीसदी में)

बजाज फाइनेंस 64.99

मुत्थूट फाइनेंस 44.47

मणप्पुरम फाइनेंस 7.06

Shivakant Shukla

Shivakant Shukla

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