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Maharashtra Politics: शरद पवार की गुगली से हर कोई हैरान, पहले अजित से तल्खी और अब भतीजे को दुलराने की कोशिश
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की सियासत में एनसीपी मुखिया शरद पवार की गुगली से हर कोई हैरान है। पार्टी में अजित पवार की बगावत के बाद भतीजे के प्रति तल्खी दिखाने वाले शरद पवार इन दिनों उन्हें दुलराने में जुटे हुए हैं।
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की सियासत में एनसीपी मुखिया शरद पवार की गुगली से हर कोई हैरान है। पार्टी में अजित पवार की बगावत के बाद भतीजे के प्रति तल्खी दिखाने वाले शरद पवार इन दिनों उन्हें दुलराने में जुटे हुए हैं। एक ओर वे बागियों के गढ़ में रैली करने में जुटे हुए हैं तो दूसरी ओर अजित पवार को अपनी ही पार्टी का नेता भी बता रहे हैं। अपने गढ़ बारामती में मीडिया से बातचीत के दौरान शरद पवार ने एनसीपी में किसी भी प्रकार की फूट से इनकार करते हुए अजित पवार को अपनी ही पार्टी का नेता बताया।
शरद पवार ने अपने भतीजे के साथ किसी भी प्रकार का मतभेद होने से इनकार किया और कहा कि एनसीपी में किसी भी प्रकार का विभाजन नहीं हुआ है। हालांकि बाद में शरद पवार अपने बयान से मुकर गए और इसे मीडिया की गलती बताया।
वैसे शरद पवार से पहले उनकी बेटी और एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले भी पार्टी में बगावत या फूट की बात को पूरी तरह खारिज कर चुकी हैं। उन्होंने भी अजित पवार को एनसीपी का ही नेता बताया था। एक ओर चुनाव आयोग में दोनों गुटों के बीच पार्टी पर कब्जे और सिंबल पाने की जंग चल रही है तो दूसरी ओर शरद पवार की यह गुगली सहयोगी दलों को भी हैरान करने वाला है। सियासी दिग्गज शरद पवार के बयान को सोची समझी रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं।
एनसीपी में विभाजन को किया खारिज
एनसीपी मुखिया शरद पवार ने बारामती में ऐसा बयान दिया जिसका सियासी मायने तलाश जाने लगा है। शरद पवार ने फूट का मतलब समझाते हुए कहा कि किसी भी राजनीतिक दल में फूट तब मानी जाती है जब उस दल का बड़ा समूह राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी से अलग हो जाता है, लेकिन एनसीपी में ऐसी कोई स्थिति नहीं है। इतना जरूर है कि पार्टी के कुछ नेताओं ने अलग रुख अपनाया है,लेकिन इसे फूट नहीं कहा जा सकता। वे लोकतांत्रिक व्यवस्था में अलग रुख अपना सकते हैं। शरद पवार ने यह टिप्पणी तब की, जब उनसे सुप्रिया सुले के बयान के संबंध में पूछा गया। उन्होंने कहा कि सुले ने बिल्कुल सही बात कही है कि पार्टी में किसी भी प्रकार का विभाजन या फुट की स्थिति नहीं है। अजित पवार हमारे ही पार्टी के नेता हैं।
हालांकि बाद में शरद पवार ने यूटर्न लेते हुए कहा कि मैंने ऐसा कभी नहीं कहा। शरद पवार ने सारा दोष मीडिया पर मढ़ दिया। पवार ने कहा कि अजित पवार के पार्टी का नेता होने की बात सुप्रिया सुले ने कही थी। दोनों भाई-बहन हैं और इसमें राजनीति खोजने की कोई जरूरत नहीं है।
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सुले ने भी अजित को पार्टी नेता बताया
शरद पवार से पूर्व पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष और सांसद सुप्रिया सुले ने भी पुणे में लगभग यही बात कही थी। उनका कहना था कि अजित पवार हमारी पार्टी के सीनियर नेता हैं जिन्होंने अब अलग रुख अपना लिया है। एनसीपी में किसी भी प्रकार की टूट नहीं हुई है। बस पार्टी के कुछ नेताओं ने अलग स्टैंड लिया है। हमने पार्टी के कुछ नेताओं के इस अलग स्टैंड के संबंध में विधानसभा के अध्यक्ष से शिकायत की है। वैसे अलग स्टैंड लेने वाले सभी नेता अभी भी एनसीपी से ही जुड़े हुए हैं।
इसके साथ ही सुप्रिया सुले ने देवेंद्र फडणवीस पर तंज भी कसा। उन्होंने कहा की मुझे फडणवीस के लिए काफी बुरा लग रहा है। अगर कोई नेता मेहनत करके 105 विधायकों का चुनाव जिताता है,फिर भी सीएम नहीं बन पाता तो निश्चित रूप से उसके साथ सबकी सहानुभूति होनी चाहिए।
अजित पवार का बगावती तेवर
शरद पवार और उनकी बेटी का यह बयान सियासी नजरिया से काफी अहम माना जा रहा है। अजित पवार ने गत दो जुलाई को एनसीपी में बगावत का बिल्कुल फूंकते हुए महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी। उनके साथ एनसीपी के आठ अन्य विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली थी। इसके बाद दोनों गुटों की ओर से शक्ति प्रदर्शन भी किया गया था जिसमें अजित पवार के पास ज्यादा विधायकों का समर्थन दिखा था। अजित पवार ने एनसीपी के 54 में से 40 विधायकों के समर्थन का दावा किया था। बाद में दोनों गुटों की ओर से चुनाव आयोग में भी दावेदारी की गई थी।
बगावत के बाद लगातार हो रहीं मुलाकातें
मजे की बात यह है कि अजित पवार की बगावत के बाद चाचा और भतीजे के बीच चार बार मुलाकात हो चुकी है। अभी हाल में दोनों नेताओं के बीच पुणे में एक उद्योगपति के घर पर मुलाकात हुई थी। हालांकि इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई,इस बात का खुलासा अभी तक नहीं हो सका है।
जानकारों का मानना है कि अजित पवार की ओर से शरद पवार से भाजपा से हाथ मिलाने का अनुरोध किया गया था क्योंकि इस मुलाकात के बाद शरद पवार ने भाजपा से हाथ मिलाने की संभावनाओं को पूरी तरह खारिज कर दिया था। उनका कहना था कि भाजपा का समर्थन करने का कोई सवाल ही नहीं है।
आखिर शरद पवार की क्या है रणनीति
शरद पवार के बयानों का अब सियासी मायने निकल जाने लगा है। जानकारों का मानना है कि शरद पवार काफी सोच समझकर इस तरह के बयान दे रहे हैं। दरअसल अब वे भविष्य में पार्टी में किसी भी प्रकार की टूट को बचाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। वे मतदाताओं के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं को भी यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि पवार फैमिली में सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा है और किसी भी प्रकार का कोई मतभेद नहीं है।
वैसे इतना जरूर है कि शरद पवार के बयानों से महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल दो अन्य सहयोगी दलों कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) में भी कंफ्यूजन की स्थिति दिख रही है। कांग्रेस ने तो पिछले दिनों खुलकर शरद पवार से अपना रुख साफ करने को कहा था। महाराष्ट्र के पार्टी नेताओं ने इस बाबत पार्टी हाईकमान से भी शिकायत की है। कांग्रेस और उद्धव गुट के बीच अलग रणनीति को लेकर बैठक भी हो चुकी है।
शरद पवार को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति
वैसे शरद पवार की रणनीति को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति सहयोगी दलों में ही नहीं बल्कि भाजपा में भी दिख रही है। भाजपा भी शरद पवार के अगले सियासी कदम का बेसब्री से इंतजार कर रही है। वैसे भाजपा को भरोसा है कि शरद पवार देर साबिर भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए में शामिल हो जाएंगे। महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले का कहना है कि देश में अगले साल होने वाली सियासी जंग से पहले पवार का बदला हुआ रुख दिखेगा और वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकासवादी नीतियों को समर्थन देने के लिए आगे आएंगे।
अब जल्द ही विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के मुंबई में बैठक भी होने वाली है। मुंबई में इस बैठक की जोरदार तैयारी की जा रहे हैं। इस बैठक में देशभर से विपक्षी दलों के नेताओं की महाजुटान होने वाली है। अब यह देखने वाली बात होगी कि इस बैठक के दौरान और बैठक के बाद शरद पवार क्या रणनीति अपनाते हैं।