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NDA VS India: NDA और INDIA दोनों खेमों से दूर तीन दल काफी ताकतवर,43 सांसदों वाली इन पार्टियों की भूमिका होगी अहम

NDA VS India: 2024 की सियासी जंग में जीत हासिल करने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की ओर से शक्ति प्रदर्शन की शुरुआत हो चुकी है। विपक्षी दलों की बेंगलुरु में हुई बैठक के दौरान 26 दलों के नेता मौजूद थे और उन्होंने एनडीए के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ने का फैसला किया।

Anshuman Tiwari
Published on: 20 July 2023 4:41 PM IST (Updated on: 20 July 2023 5:43 PM IST)
NDA VS India:  NDA और INDIA दोनों खेमों से दूर तीन दल काफी ताकतवर,43 सांसदों वाली इन पार्टियों की भूमिका होगी अहम
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NDA VS India (Photo: Social Media)

NDA VS India: 2024 की सियासी जंग में जीत हासिल करने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की ओर से शक्ति प्रदर्शन की शुरुआत हो चुकी है। विपक्षी दलों की बेंगलुरु में हुई बैठक के दौरान 26 दलों के नेता मौजूद थे और उन्होंने एनडीए के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ने का फैसला किया। दूसरी ओर राजधानी में हुई एनडीए की बैठक के दौरान 39 दलों के नेताओं ने हिस्सा लेकर 2024 में एक बार फिर देश की कमान नरेंद्र मोदी के हाथों में सौंपने का इरादा जताया।

यदि दोनों पक्षों को मिलाया जाए तो करीब 65 सियासी दलों ने 2024 की सियासी जंग के दौरान अपना खेमा तय कर लिया है मगर देश में अभी भी 11 राजनीतिक दल ऐसे हैं जिन्होंने अभी दोनों खेमों से बराबर की दूरी बना रखी है। इनमें तीन राजनीतिक दल तो काफी ताकतवर है। ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इन तीन दलों की सरकारें हैं। इन तीन दोनों के पास लोकसभा में 43 सांसदों की ताकत है और 2024 के लोकसभा चुनाव में इन तीनों दलों की भूमिका काफी अहम मानी जा रही है। दोनों खेमों की ओर से इन तीन दलों को मिलाने की कोशिश भी की जा रही है।

दोनों खेमों का एक ही दिन शक्ति प्रदर्शन

2024 की सियासी जंग के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने पहले ही बिसात बिछानी शुरू कर दी है। मंगलवार को दोनों खेमों की ओर से शक्ति प्रदर्शन करके एक-दूसरे को चुनौती देने की कोशिश की गई। बेंगलुरु में 26 विपक्षी दलों की बैठक के दौरान विपक्षी गठबंधन का नामकरण INDIA के रूप में किया गया। कांग्रेस समेत देश के प्रमुख विपक्षी दलों ने हुंकार भरते हुए 2024 का लोकसभा चुनाव पूरी एकजुटता के साथ लड़ने का ऐलान किया। आगे की रणनीति तय करने के लिए मुंबई में अगली बैठक करने का ऐलान भी किया गया। दूसरी ओर राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए ने शक्ति प्रदर्शन के जरिए एक बार फिर विपक्ष को हराने का संकल्प लिया। एनडीए की इस बैठक के दौरान 39 दलों ने हिस्सेदारी की। इस बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी नौ साल की उपलब्धियों की चर्चा के साथ ही विपक्ष पर निशाना साधने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। उन्होंने सवाल उठाया कि विभिन्न राज्यों में एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोकने वाले राजनीतिक दल राष्ट्रीय स्तर पर कैसे एकजुट हो सकते हैं। इस सिलसिले में उन्होंने पश्चिम बंगाल और केरल समेत कुछ अन्य राज्यों का भी जिक्र किया।

11 राजनीतिक दल दोनों खेमों से दूर

वैसे सत्ता पक्ष और विपक्ष की इस खेमेबंदी में 11 राजनीतिक दल ऐसे हैं जिन्होंने अभी दोनों खेमों से दूरी बना रखी है। इन राजनीतिक दलों की ताकत को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता क्योंकि मौजूदा लोकसभा में इन राजनीतिक दलों के पास 63 सांसदों की ताकत है। इन राजनीतिक दलों में तीन क्षेत्रीय दल तो काफी मजबूत माने जाते हैं और तीन राज्यों में इन दलों की सरकारें हैं।

हालांकि जिन 11 सियासी दलों ने अभी तक दोनों खेमों से दूरी बना रखी है उनमें से तीन दलों की गठबंधन को लेकर बातचीत भी चल रही है जिसका नतीजा आगे आने वाले दिनों में दिख सकता है। इन तीन दलों में तेलुगू देशम पार्टी, जनता दल सेक्युलर और शिरोमणि अकाली दल शामिल है। इन तीनों दलों के एनडीए में जाने की संभावना जताई जा रही है मगर अभी तक आखिरी फैसला नहीं हो सका है।

इन तीन क्षेत्रीय दलों की ताकत काफी ज्यादा

दोनों खेमों से दूरी बनाने वाले जिन तीन क्षेत्रीय दलों को काफी मजबूत माना जा रहा है उनमें वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, बीजू जनता दल और बीआरएस शामिल है। जगन मोहन रेड्डी की अगुवाई वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ है और उसके पास 22 सांसदों की ताकत है। नवीन पटनायक की अगुवाई वाले बीजू जनता दल ने लंबे समय से उड़ीसा के सत्ता पर कब्जा कर रखा है और इस पार्टी के पास 12 सांसदों की ताकत है।
इसी तरह तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव की अगुवाई वाली पार्टी बीआरएस की सरकार है। लोकसभा में पार्टी के नौ सांसद हैं। इन तीनों दलों को 2024 के लोकसभा चुनाव में काफी ताकतवर माना जा रहा है और तीनों दलों ने दोनों खेमों से अभी तक दूरी बना रखी है। इन तीनों दलों के पास कुल मिलाकर 43 सांसदों की ताकत है। इन तीनों दलों के रुख से साफ हो गया है कि आने वाले दिनों में भी वे किसी भी गठबंधन में शामिल नहीं होंगे।

बसपा और ओवैसी की पार्टी गठबंधन से दूर

इन तीनों दलों के अलावा उत्तर प्रदेश की बड़ी सियासी ताकत मानी जाने वाली बहुजन समाज पार्टी ने भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के गठबंधन से दूरी बनाने का ऐलान कर दिया है। बसपा के पास लोकसभा में नौ सांसदों की ताकत है। पार्टी की मुखिया मायावती ने एनडीए और विपक्ष के नवगठित गठबंधन इंडिया को दलित विरोधी बताते हुए अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपने जैसी जातिवादी और पूंजीवादी सोच वाली पार्टियों के साथ गठबंधन करके फिर से सत्ता में आने की कोशिश में जुटी है। एनडीए की नीतियां और सोच भी वैसी ही हैं ऐसे में बसपा अपने दम पर चुनाव लड़ेगी।
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी अभी तक दोनों खेमों से दूर है। एआईएमआईएम के दो सांसद हैं। एक-एक सांसद वाली शिरोमणि अकाली दल (मान) और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी अभी तक किसी भी खेमे से हाथ नहीं मिलाया है।



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Anshuman Tiwari

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