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तिलमिलाया नेपाल: भारत ने आसान की राहें, बॉर्डर पर तैनात हुए सैनिक
इस सड़क के बनने से कैलाश मानसरोवर जाने वाले यात्रियों को बहुत आसानी हो जाएगी। अगर सुरक्षा के हिसाब से बात करें तो इस सड़क को खासा अहम माना जा रहा है। लेकिन इस सड़क के बनने से नेपाल बहुत परेशान दिख रहा है।
नई दिल्ली। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में बनी लिपुलेख सड़क का कुछ दिन पहले देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑनलाइन उद्घाटन किया था। इस सड़क से देश को बड़ी कठिनाईयों के बाद कामयाबी मिली है। बीआरओ यानी सीमा सड़क संगठन ने 12 साल की कड़ी मेहनत के बाद चीन सीमा को जोड़ने वाली इस अहम सड़क को पहाड़ काटकर बनाया है।
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कैलाश मानसरोवर के यात्री
बता दें कि इस सड़क के बनने से कैलाश मानसरोवर जाने वाले यात्रियों को बहुत आसानी हो जाएगी। अगर सुरक्षा के हिसाब से बात करें तो इस सड़क को खासा अहम माना जा रहा है। लेकिन इस सड़क के बनने से नेपाल बहुत परेशान दिख रहा है।
साथ ही पहले नेपाल सरकार ने लिपुलेख और कालापानी को अपना बताते हुए सड़क निर्माण पर तीखा विरोध जताया था। लेकिन अब भारत से लगे इस इलाके में अपनी चौकसी बढ़ा दी है। नेपाल ने भारत से लगी सीमा पर सैनिक तैनात कर दिए हैं।
बात ये है कि लिपुलेख दर्रे तक सड़क बनने से चीन से लगी हुई भारतीय सीमाओं की सुरक्षा में तो आसानी होगी ही, साथ में नेपाल सीमा पर तैनात एसएसबी के जवानों की राह भी आसान हो गई है। लेकिन नेपाल भारतीय सीमा पर छांगरु में अपनी सेना को तैनात कर रहा है।
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ढंग का रास्ता तक नही
वहीं यहां तैनात किए जा रहे जवानों को हेलीकॉप्टर की मदद से पहुंचाया जा रहा है, क्योंकि नेपाल में इस कठिन इलाके तक पहुंचने के लिए ढंग का रास्ता तक नही है।
फिलहाल सीतापुल के पास बनने वाली चेकपोस्ट के लिए सशस्त्र प्रहरी के 25 और नेपाल प्रहरी के 9 जवानों की तैनाती की गई है। चेकपोस्ट पर तैनात जवान आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं।
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स्थायी चेकपोस्ट स्थापित हो गई
इस मामले में पिथौरागढ़ के डीएम विजय जोगदंडे ने बताया कि नेपाल की चेकपोस्ट अपनी ज़मीन पर बनाई जा रही है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अभी तक आधिकारिक तौर पर उन्हें चेकपोस्ट स्थापित होने की जानकारी नहीं मिली है, लेकिन अपनी ओर से डीएम ने एसएसबी और धारचूला के एसडीएम से रिपोर्ट मांगी है।
साथ ही जवानों ने छांगरु पहुंचने के साथ ही बॉर्डर पर पेट्रोलिंग भी शुरू कर दी है। पहले छांगरु में नेपाल के सुरक्षा जवान सिर्फ 6 महीने के लिए आते थे लेकिन अब यहाँ पर स्थायी चेकपोस्ट स्थापित हो गई है।
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