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नीरी के अध्ययन में कोरोना वायरस को लेकर खुलासा हुआ कि तापमान बढ़ने के साथ ही कोरोना के संक्रमण में 85 से 88 फीसदी तक असर देखने को मिला है।
नई दिल्ली: पिछले कुछ महीनों से पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का आतंक व्याप्त है। दुनिया का हर देश इस वायरस से ग्रसित है। हर देश में ये वायरस आए दिन बढ़ता ही जा रहा है। लेकिन ऐसे में अब राष्ट्रीय पर्यावरणीय अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) ने कोरोना वायरस के घटने का दावा किया है। नीरी ने खुलासा किया है कि दिन के औसत तापमान में बढ़ोतरी और कोरोना के संक्रमण में कमी के बीच 85 से 88 फीसदी तक गहरा संबंध देखने को मिला है।
तापमान बढ़ोत्तरी से आई कोरोना में कमी- नीरी
देश की प्रतिष्ठित संस्थान राष्ट्रीय पर्यावरणीय अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) ने एक अध्ययन में खुलासा किया है कि देश में तापमान बढ़ने के साथ ही कोरोना के संक्रमण में कमी आ रही है। नीरी के अध्ययन में खुलासा हुआ कि तापमान बढ़ने के साथ ही कोरोना के संक्रमण में 85 से 88 फीसदी तक असर देखने को मिला है। अध्ययन में पाया कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में तापमान में बढ़ोत्तरी के साथ कोरोना वायरस का प्रकोप कम हुआ है।
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अध्ययन में सामने आया कि महाराष्ट्र में जहां तापमान में बढ़त के साथ वायरस के प्रकोप में 85 फीसदी कमी आई। वहीं कर्नाटक में तापमान बढ़त के साथ कोरोना वायरस का प्रकोप 88 फ़ीसदी तक कम देखने को मिला है। लेकिन नीरी का ये भी कहना है कि चूंकि भारत एक ज्यादा जनसंख्या वाला देश है इस लिए यहां पर लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अवश्य होना चाहिए इसे खतम नहीं करना चाहिए।
25 डिग्री या उससे अधिक तापमान में आती है कमी
नीरी के अध्ययन में पाया गया है कि वायरस ठंड और सूखे की स्थिति में ज्यादा समय तक जीवित रहता है। मसलन, यह 21-23 डिग्री तापमान पर किसी सख्त सतह पर 72 घंटे तक जिंदा रह सकता है। राष्ट्रीय पर्यावरणीय अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान के अध्ययन में सामने आया कि अगर 25 डिग्री या उससे ज्यादा तापमान रोज रहता है तो कोरोना के केसों में कमी आएगी है। या आई है। नीरी ने ये भी दावा किया कि भारत का वर्तमान पर्यावरण तुलनात्मक रूप से कोविड-19 के संक्रमण को रोकने में फायदेमंद साबित हो रहा है।कोरोना वायरस का तापमान का सम्बन्ध इससे पहले भी कई लोगों द्वारा किया जा चुका है।
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इसका कारण है कि कोरोना वायरस पर भी किसी अन्य वायरस की तरह ही लिपिड की एक परत होती है। ठंड में इसकी बाहरी सतह कड़ी हो जाती है, जिससे इसके ऊपर एक और परत पड़ जाती है और वायरस ज्यादा लचीला हो जाता है। यही वजह है कि ऐसे वायरस ठंड में ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं। फिलहाल नीरी का ये दावा अगर सही है, हम उम्मीद कर सकते हैं कि आने वाले समय में जल्द ही भारत को इस वायरस से कुछ तो निजात मिलेगी। फिलहाल तो इस वायरस ने पूरे देश में आतंक मचा रखा है।