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राजनाथ सिंह की पावर: मध्य एशियाई देशों को साधा, चीन को दिया कड़ा संदेश
चीनी रक्षा मंत्री से मुलाकात के दौरान भी राजनाथ ने दो टूक अंदाज में कहा कि एलएसी पर शांति स्थापित करने के लिए चीन को अपनी सेना हटानी ही होगी।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मास्को में चीन के रक्षा मंत्री को कड़ा तेवर दिखाने के बाद तीन अन्य मध्य एशियाई देशों के रक्षा मंत्रियों से मुलाकात और तेहरान की यात्रा कर चीन को कड़ा संदेश दिया है। चीनी रक्षा मंत्री से मुलाकात के दौरान भी राजनाथ ने दो टूक अंदाज में कहा कि एलएसी पर शांति स्थापित करने के लिए चीन को अपनी सेना हटानी ही होगी। हालांकि अभी तक की गई कूटनीतिक कवायद का बहुत ज्यादा असर होता नहीं दिख रहा है। अब सबकी निगाहें शंघाई सहयोग संगठन में विदेश मंत्री जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी की मुलाकात पर टिकी हुई है।
तीन देशों के रक्षा मंत्रियों से चर्चा
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के बाद शनिवार को ही भारत रवाना होना था। मगर उन्होंने तीन अन्य देशों के रक्षा मंत्रियों से मुलाकात के लिए अपने कार्यक्रम में बदलाव किया। रक्षा मंत्री ने मॉस्को में मध्य एशियाई देशों तजाकिस्तान, कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के रक्षा मंत्रियों से मुलाकात की। इन तीनों देशों का अलग भौगोलिक महत्व है।
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राजनाथ ने मध्य एशियाई देशों को साधा (फोटो. ट्वीटर)
इन तीनों देशों के रक्षा मंत्रियों से मुलाकात के दौरान राजनाथ ने द्विपक्षीय सहयोग और अन्य राजनीतिक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। बाद में राजनाथ ने ट्वीट करते हुए इन तीनों रक्षा मंत्रियों के साथ अपनी बैठक को काफी महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि इन तीनों देशों के साथ मजबूत व्यापारिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रिश्तों पर चर्चा हुई। इसके बाद राजनाथ ने सीधे दिल्ली की उड़ान न भरते हुए तेहरान जाने का कार्यक्रम बना लिया।
ईरान यात्रा काफी महत्वपूर्ण
राजनाथ ने मध्य एशियाई देशों को साधा (फोटो. ट्वीटर)
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तेहरान पहुंच गए हैं और उनकी वहां पर ईरान के रक्षा मंत्री ब्रिगेडियर जनरल आमिर हतामी से मुलाकात होगी। राजनाथ सिंह का तेहरान में रात्रि प्रवास का भी कार्यक्रम है। अमेरिका के ईरान विरोधी तेवर के बावजूद भारत ने ईरान के साथ अपने रिश्ते को काफी अच्छा बना रखा है और रक्षा मंत्री की ईरान यात्रा को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
कई हितों को साधने में सक्षम होगा भारत
राजनाथ ने मध्य एशियाई देशों को साधा (फोटो. ट्वीटर)
जानकारों का कहना है कि लद्दाख में चीन के साथ सैन्य तनाव के बीच चीन की ओर से पाकिस्तानी फौज को हथियार मुहैया कराया जा रहा है। यही कारण है कि पूर्वोत्तर में चीन और पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को देखते हुए रक्षा मंत्री की ईरान यात्रा अति महत्वपूर्ण हो गई है। इसके साथ ही चीन पाकिस्तान के साथ ग्वादर पोर्ट की परियोजना पर काम कर रहा है जबकि भारत और ईरान के बीच चाबहार परियोजना पर काम किया जा रहा है।
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इसके जरिए भारत न केवल अपनी सामरिक शक्ति बढ़ाएगा बल्कि आर्थिक हितों को भी साधनों में सक्षम होगा। हाल में चीन ने ईरान के साथ अरबों डॉलर का समझौता किया था और अगर भारत चीन के खिलाफ ईरान को मनाने में कामयाब होता है तो यह बड़ी कूटनीतिक जीत साबित होगी। ऐसे में रक्षा मंत्री की ईरान यात्रा गेमचेंजर साबित हो सकती है।
चीनी रक्षा मंत्री पर हावी रहे राजनाथ
राजनाथ ने मध्य एशियाई देशों को साधा (फोटो. ट्वीटर)
जानकार सूत्रों का कहना है कि पैंगोंग इलाके के दक्षिणी तट पर भारतीय सेना की कार्रवाई के बाद ही चीन में बेचैनी दिख रही है। मॉस्को में एससीओ की बैठक के दौरान भी यह बेचैनी दिखी और चीन के रक्षा मंत्री ने खुद ही राजनाथ से मिलने की पहल की।
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पूरी बातचीत के दौरान राजनाथ सिंह चीन के रक्षा मंत्री पर हावी रहे और उन्होंने मजबूती के साथ भारत का पक्ष रखते हुए स्पष्ट कर दिया कि एलएसी पर शांति स्थापित करने के लिए चीन को अपनी सेना के कदम वापस खींचने ही होंगे। चीनी रक्षा मंत्री की अपेक्षा राजनाथ सिंह की बॉडी लैंग्वेज भी असरदार दिखी।
बौखलाए चीन ने मोदी को दबाव में बताया
बौखलाए चीन ने मोदी को दबाव में बताया (फाइल फोटो)
इस बीच इन भारत के कड़े रुख के कारण चीन बौखलाया हुआ है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने एक लेख में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सीमा पर चीन के साथ सैन्य विवाद के कारण भारी दबाव झेल रहे हैं। अखबार का यह भी कहना है कि कांग्रेस भाजपा की सत्ता को हिलाने की कोशिश में जुटी हुई है।
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और यही कारण है कि वह भाजपा के सुशासन के नारे और देश की नीति को लेकर हमले कर रही है। ग्लोबल टाइम्स के इस लेख को लेकर भाजपा की ओर से कांग्रेस पर बड़ा हमला किया गया है। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस चीन के पक्ष को मजबूत करने में जुटी हुई है।