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अब स्विग्गी का नया प्लान, आपके घर लेके आएगा रेहड़ी-पटरी लजीज व्यंजन
केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय की ओर से बताया गया कि अभी शुरुआती दौर में ये योजना प्रयोग के तौर पर सिर्फ पांच शहरों में शुरू की जा रही है।
नई दिल्ली: अब आप घर बैठे सड़क किनारे रेहड़ी-पटरी पर बिकने वाले छोले-कुल्चे का स्वाद भी पा सकेंगे। वो भी आपके घर लेके आएगा स्विग्गी। जी हां, सही सुना आपने। अब स्वैगी आपके लिए रेहड़ी-पटरी पर बिकने वाले मशहूर छोले-कुल्चे भी आपके घर पहुंचाएगा। इसके लिए शहरी विकास मंत्रालय ने ऑनलाइन फूड एग्रीग्रेटर स्विग्गी से एक करार किया है। फिलहाल अभी ये योजना सिर्फ दिल्ली, अहमदाबाद, चेन्नई, इंदौर और वाराणसी में शुरू की जा रही है।
घर बैठे मगा सकेंगे रेहड़ी-पटरी का खाना
केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय की ओर से बताया गया कि अभी शुरुआती दौर में ये योजना प्रयोग के तौर पर सिर्फ पांच शहरों में शुरू की जा रही है। अभी पायलट प्रोजेक्ट के तहत 250 स्ट्रीट फूड वेंडर को जोड़ा गया है। लेकिन इसमें लगातार बढ़त होती रहेगी। आगे यह योजना देश के कई शहरों में शुरू की जाएगी। जानकारी के मुताबिक यह योजना प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि के तहत शुरू की गई है।
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रेहड़ी-पटरी का खाना घर बैठे खाएं (फाइल फोटो)
इस योजना का उद्देश्य रेहड़ी-पटरी वाले छोटे कारोबारियों की पहुंच को ज्यादा लोगों तक पहुंचाना और उनके कारोबार को बढ़ाना है। गौरतलब है कि कोरोना के दौर में लोग बाहर कम निकलना चाह रहे हैं। ऐसे में यह पहल लोकप्रिय हो सकती है। इससे लोगों को कहीं जाने की जरूरत नहीं होगी और वे घर बैठे अपने पसंदीदा खानपान का लाभ उठा पाएंगे।
स्विग्गी के साथ हुआ करार
रेहड़ी-पटरी का खाना घर बैठे खाएं (फाइल फोटो)
इसमें नगर निगम, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण स्विग्गी, जीएसटी अधिकारी जैसे कई पक्ष जुड़े होंगे और इन सबका समन्वय शहरी विकास मंत्रालय के द्वारा किया जाएगा। इस योजना को लेकर केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय और स्विग्गी के अधिकारियों के बीच एक करार पर हस्ताछर किए गए।
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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा हुए इस कार्यक्रम में अहमदाबाद, दिल्ली, चेन्नई, इंदौर और वाराणसी के नगर निगम आयुक्त भी शामिल हुए। पीएम स्वनिधि स्कीम के तहत रेहड़ी-पटरी कारोबारियों को 10 हजार रुपये तक का लोन भी मुहैया कराया जा रहा है, जो कि एक साल में ईएमआई के द्वारा चुकाया जाना है। यह उन्हीं लोगों को मिलेगा जो 24 मार्च, 2020 से पहले शहरी इलाकों में किसी रेहड़ी-पटरी पर कारोबार कर रहे थे। इसके तहत करीब 50 लाख कारोबारियों को मदद पहुंचाने का लक्ष्य है।