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AGR बकाया: टेलीकॉम कंपनियों को बड़ी राहत, SC ने दिया 10 साल का वक्त
सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर बकाया चुकाने के लिए 10 साल का वक्त दे दिया है। ये टेलीकॉम कंपनियों के लिए एक बहुत राहत लेने वाली बात है।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को एक बड़ी राहत प्रदान की है। ये राहत AGR यानी एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू के मामले में दी है। सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर बकाया चुकाने के लिए 10 साल का वक्त दे दिया है। ये टेलीकॉम कंपनियों के लिए एक बहुत राहत लेने वाली बात है। ये राहत खासकर वोडफोन आइडिया, एयरटेल के काफी ज्यादा है।
अभी तक कंपनियों ने चुकाये हैं सिर्फ 30,254 करोड़ रुपए
फैसला सुनाने वाले जस्टिस मिश्रा आने वाली 2 सितंबर यानी कल रिटायर हो रहे हैं। कोर्ट की ओर से पहले कहा गया था कि यह फैसला तीन आधार पर होगा। पहला, टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर बकाया चुकाने के लिए टुकड़ों-टुकड़ों में एजीआर बकाया चुकाने की मोहलत दी जाए या नहीं। दूसरा-जो कंपनियां इंसाल्वेंसी प्रक्रिया का सामना कर रही हैं उनके बकाये को कैसे वसूला जाए और तीसरा-क्या ऐसी कंपनियों द्वारा अपने स्पेक्ट्रम को बेचना वैध है।
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सुप्रीम कोर्ट AGR मामले में टेलीकॉम कंपनियों को दी राहत (फाइल फोटो)
अब कोर्ट द्वारा 10 साल का समय देना वोडफोन-आइडिया और एयरटेल के लिए इसलिए काफी राहत की बात है क्योंकि वोडफोन-आइडिया और एयरटेल ने एजीआर बकाया चुकाने के लिए 15 साल का समय मांगा था। ऐसे में 15 नहीं तो 10 साल का समय इन टेलीकॉम कंपनियों के लिए किसी राहत की सांस लेने से कम नहीं है। वैसे अभी तक 15 टेलीकॉम कंपनियों ने सिर्फ 30,254 करोड़ रुपये चुकाये हैं, जबकि कुल बकाया 1.69 लाख करोड़ रुपये का है।
क्या होता है AGR
सुप्रीम कोर्ट ने AGR मामले में टेलीकॉम कंपनियों को दी राहत (फाइल फोटो)
हम जिस AGR की बात कर रहे हैं क्या आप जानते हैं कि ये AGR होता क्या है? अगर नहीं तो यहां हम आपको बता दे रहे हैं कि आखिर ये AGR होता क्या है। AGR यानी एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूजेज और लाइसेंसिग फीस है। अब इस AGR के भी दो हिस्से होते हैं। स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस। जो क्रमश 3-5 फीसदी और 8 फीसदी होता है।
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असल में दूरसंचार विभाग कहता है कि AGR की गणना किसी टेलीकॉम कंपनी को होने वाले संपूर्ण आय या रेवेन्यू के आधार पर होनी चाहिए, जिसमें डिपॉजिट इंट्रेस्ट और एसेट बिक्री जैसे गैर टेलीकॉम स्रोत से हुई आय भी शामिल हो। दूसरी तरफ, टेलीकॉम कंपनियों का कहना था कि AGR की गणना सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली आय के आधार पर होनी चाहिए। लेकिन पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों के खिलाफ फैसला दिया था और यह कहा था कि वे तत्काल एजीआर का बकाया चुकायें। करीब 15 टेलीकॉम कंपनियों का कुल बकाया 1.69 लाख करोड़ रुपये के आसपास है।