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PFI Case: 2047 तक भारत में इस्लामी शासन स्थापित करना चाहता था पीएफआई, एनआईए की चार्जशीट में बड़ा खुलासा

PFI Case: एनआईए ने सोमवार को संगठन के खिलाफ दर्ज मामले में आरोपी साहिर के.वी. के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल कर दी है।

Krishna Chaudhary
Published on: 8 Nov 2023 8:01 AM IST (Updated on: 8 Nov 2023 8:13 AM IST)
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PFI Case (photo: social media )

PFI Case: प्रतिबंधित कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की जांच जारी है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दोनों मामले की अलग-अलग जांच कर रही है। एनआईए ने सोमवार को संगठन के खिलाफ दर्ज मामले में आरोपी साहिर के.वी. के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल कर दी है। साहिर केरल के पलक्कड़ जिले के पट्टांबी का रहने वाला है और पीएफआई के उस एरिया का सचिव है।

साहिर श्रीनिवासन नामक शख्स की टारगेट किलिंग में शामिल था। श्रीनिवासन की 16 मार्च 2022 को निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई थी। इस वारदात को अंजाम देने का आरोप पीएफआई के लोगों पर लगा था। इस घटना में नाम आने के बाद से साहिर फरार चल रहा था। इस साल 16 मई 2023 को एनआईए की टीम ने उसे दबोचा था।

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उसके खिलाफ यूएपीए (गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) और आईपीसी की विभिन्न धाराओं में मुकदमा चलाया जा रहा है। एनआईए के मुताबिक, साहिर पीएफआई के असॉल्ट टीम का हिस्सा था। यह वह टीम है जो उन लोगों को निशाना बनाता है, जो कथित रूप से इस्लामी विरोधी रूख जाहिर करते हैं।

एनआईए की चार्जशीट में बड़ा खुलासा

एनआईए ने कोर्ट में पेश अपनी चार्जशीट में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को लेकर बड़ा खुलासा किया है। संगठन प्रभावशाली मुस्लिम युवाओं का ब्रेनवॉश कर उन्हें मजहबी कट्टरपंथ की राह पर धकेलता था। उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग देता था। विभिन्न समुदायों के बीच सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने की भी पीएफआई के नेताओं ने कोशिश की। चंदे के रूप में मिले पैसों का इस्तेमाल गैरकानूनी चीजों के लिए किया गया। एजेंसी के अनुसार, प्रतिबंधित संगठन का उद्देश्य 2047 तक भारत में पूर्ण रूप से इस्लामी शासन की स्थापना करना था। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए वह आतंक और हिंसा का सहारा ले रहा था।


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सितंबर 2022 में बैन हुआ था संगठन

बीते साल सितंबर में एनआईए, ईडी और राज्यों की पुलिस ने पीएफआई और उनसे जुड़े लोगों के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की। इस दौरान संगठन से जुड़े सैंकड़ों लोग गिरफ्तार हुए थे। इस कार्रवाई में जांच एजेंसियों को पीएफआई के टेरर लिंक के पुख्ता सबूत मिले। जिसके बाद गृह मंत्रालय से इसे बैन करने की सिफारिश की गई। केंद्र ने इस मानते हुए संगठन को प्रतिबंधित घोषित कर दिया। पिछले दिनों संगठन को सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में बड़ा झटका लगा था। शीर्ष अदालत ने प्रतिबंध को खारिज करने से इनकार करते हुए इसके खिलाफ पहले हाईकोर्ट में अपील करने को कहा।


बता दें कि पीएफआई 22 नवंबर 2006 को तीनों संगठनों के विलय के बाद अस्तित्व में आया था। इनमें केरल का शनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिता नीति पसरई शामिल है। इसका मुख्यालय केरल के कोझिकोड में स्थित था।

Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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