TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

निर्भया के दोषियों को मिला वक्त, 22 जनवरी को नहीं होगी फांसी

निर्भया कांड में चारों दोषियों की फांसी की सजा की तारीख के ऐलान के बाद वो लगातार प्रयास कर रहे हैं कि उनकी फांसी रुक जाए।

Shivani Awasthi
Published on: 15 Jan 2020 11:46 AM IST
निर्भया के दोषियों को मिला वक्त, 22 जनवरी को नहीं होगी फांसी
X

दिल्ली: निर्भया कांड के दोषी मुकेश सिंह ने डेथ वारंट रद्द करने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसपर दिल्ली हाई कोर्ट सुनवाई कर रहा है। बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में भी दोषियों ने क्यूरेटिव पिटीशन दायर किया था। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। अब कोर्ट में जब तक मामले की सुनवाई होगी तब तक निर्भया के दोषियों को फांसी नहीं दी जाएगी। वहीं दोषियों की दया याचिका पर फैसले के 14 दिन बाद ही आरोपियों को फांसी हो सकती है।

निर्भया गैंगरेप के दोषी मुकेश कुमार की अर्जी पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। दोषी मुकेश ने डेथ वारंट पर रोक लगाने की मांग की है। मुकेश ने कहा है कि उसकी दया याचिका अभी राष्ट्रपति के पास लंबित है, इसलिए डेथ वारंट को रद्द कर दिया जाए। मुकेश की ओर से वरिष्ठ वकील रिबाका जॉन मुकदमा लड़ रही हैं।

ये भी पढ़ें: पापों से मुक्ति के लिए निर्भया के दोषियों को सुनाया जाएगा ये खास पुराण

निर्भया कांड में चारों दोषियों की फांसी की सजा की तारीख के ऐलान के बाद वो लगातार प्रयास कर रहे हैं कि उनकी फांसी रुक जाए। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन खारिज होने के बाद अब बुधवार को दोषी मुकेश सिंह की दया याचिका पर फैसला आ सकता है।

राष्ट्रपति को दोषी ने भेजी दया याचिका:

निर्भया के एक दोषी मुकेश सिंह ने मंगलवार को जेल प्रशासन को दया याचिका दी, जिसे जेल प्रशासन ने दिल्ली सरकार के गृह विभाग को भेज दिया था। वहीं दिल्ली सरकार का गृह विभाग दया याचिका पर अपनी टिप्पणी करने के बाद उसे केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजेगा।

वहां से दया याचिका को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। याचिका को राष्ट्रपति स्वीकार करते हैं या फिर खारिज, इस पर ही दोषियों की फांसी की सजा निर्भर है।

ये भी पढ़ें: निर्भया के दोषियों की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज, 22 जनवरी को ही फांसी

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने क्यूरेटिव पिटीशन किया था खारिज:

गौरतलब है कि इससे पहले दो दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट से क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी। जिसपर मंगलवार को सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया। बता दें कि क्यूरेटिव पिटीशन (उपचार याचिका) न्यायिक व्यवस्था में इंसाफ पाने का आखिरी प्रयास या उपाय होता है। यह पुनर्विचार याचिका से थोड़ा अलग होता है।

इसमें फैसले की जगह पूरे केस में उन मुद्दों या विषयों को चिन्हित किया जाता है जिसमें उन्हें लगता है कि इन पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। दोषियों को सजा के 14 दिन के अंदर क्यूरेटिव याचिका दायर करने का अधिकार था।

ये भी पढ़ें: दुष्कर्मी मां से मिला तो रो पड़ा! निर्भया के दोषी को सताने लगा डर, कहा- बचा लो मुझे



\
Shivani Awasthi

Shivani Awasthi

Next Story