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Nirbhaya Case: फांसी से पहले कुछ ऐसा है निर्भया के दोषियों का हाल
जेल प्रशासन की ओर से सभी दोषी पवन गुप्ता, मुकेश सिंह, अक्षय ठाकुर और विनय शर्मा को डेथ वारंट की कॉपी सौंप दी गई।
नई दिल्ली: दिल्ली समेत पूरे देश का दिल दहला देने वाले ‘निर्भया कांड’ पर मंगलवार को 8 साल बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी कर दिया है। जिसके अनुसार चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे तिहाड़ जेल में फांसी पर लटकाया जाएगा।
जेल प्रशासन चारों दोषियों को सौंपी डेथ वारंट की कॉपी
वहीं बुधवार को जेल प्रशासन की ओर से सभी दोषी पवन गुप्ता, मुकेश सिंह, अक्षय ठाकुर और विनय शर्मा को डेथ वारंट की कॉपी सौंप दी गई। बताया जा रहा है कि डेथ वारंट की कॉपी लेते हुए वो चारों काफी बेचैन थे और उनकी हालत काफी खराब थी।
कानूनी विकल्पों पर विचार कर सकते हैं दोषी
जेल प्रशासन ने बताया कि डेथ वारंट की कॉपी मिलने के बाद चारों दोषी कानूनी विकल्पों पर विचार कर सकते हैं। अगर, डेथ वारंट पढ़ने या समझने में उनको कोई दिक्कत आती है तो जेल प्रशासन की ओर से मदद ले सकते हैं।
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हाई सिक्योरिटी सेल में शिफ्ट हुए दोषी
जेल से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, पहले अक्षय, पवन और मुकेश जेल नंबर-2 में और विनय जेल नंबर-4 में बंद था। फिर बुधवार को चारों दोषियों को हाई सिक्योरिटी सेल में शिफ्ट कर दिया गया। चारों दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी होने के बाद जेल मैनुअल की ओर कार्य शुरु कर दिए गए हैं।
खानपान और मानसिक स्थिति पर नजर
बताया जा रहा है कि, दोषियों को डेथ वारंट की कॉपी देने के बाद दोषियों के खानपान और मानसिक स्थिति पर निगाह रखी जा रही है। इसके लिए मनोचिकित्सक को लगाया गया है।
इसके अलावा दोषियों की दिनचर्या से जेल अधीक्षक और उप अधीक्षक को थोड़ी-थोड़ी देर में अवगत कराया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, चारों आरोपियों ने डेथ वारंट जारी होने के बाद से ही खाना-पीना बेहद कम कर दिया है।
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ये हैं निर्भया के दोषी
नाम- राम सिंह (बस चालक), निवासी दिल्ली। जिसने 11 मार्च, 2013 को तिहाड़ जेल में खुदकशी कर ली।
नाम- मुकेश कुमार (ड्राइवर कम हेल्पर) निवासी दिल्ली। राम सिंह (बस चालक) का भाई।
नाम- अक्षय कुमार सिंह (बस हेल्पर) मूल निवासी औरंगाबाद, वर्तमान निवासी दिल्ली, बिहार
नाम- पवन गुप्ता (फल विक्रेता) निवासी दिल्ली
नाम- विनय शर्मा (जिम में हेल्पर) निवासी दिल्ली
नाबालिग (बस क्लीनर) निवासी- बदायूं।
जो वारदात के वक्त 17 साल छह महीने 11 दिन का था। बाल न्यायालय ने 31 अगस्त 2013 को हत्या में 3 साल की सजा सुनाई। सजा पूरी करने के बाद दिसंबर, 2015 में रिहा हो गया।
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