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बिहार में नीतीश कुमार ने संभाला मुख्यमंत्री का पद, यहां है जश्न का माहौल

बिहार में एकबार फिर से नीतिश कुमार की ताजपोशी हुई है। विधानसभा चुनाव में एनडीए को मिली बहुमत के आधार पर नीतिश कुमार को राज्य चलाने का ज़िम्मा सौंपा गया है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतिश कुमार की ताजपोशी से झारखंड जदयू में जश्न का माहौल है।

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Published on: 16 Nov 2020 9:18 PM IST
बिहार में नीतीश कुमार ने संभाला मुख्यमंत्री का पद, यहां है जश्न का माहौल
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बिहार में नीतीश कुमार ने संभाला मुख्यमंत्री का पद, यहां है जश्न का माहौल

रांची: बिहार में एकबार फिर से नीतिश कुमार की ताजपोशी हुई है। विधानसभा चुनाव में एनडीए को मिली बहुमत के आधार पर नीतिश कुमार को राज्य चलाने का ज़िम्मा सौंपा गया है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतिश कुमार की ताजपोशी से झारखंड जदयू में जश्न का माहौल है। पार्टी के प्रदेश कार्यालय में जमकर आतिशबाज़ी की गई और नीतिश कुमार ज़िंदाबाद के नारे लगाए गए। एक दूसरे को मिठाई खिलाते हुए पार्टी पदाधिकारियों ने विश्वास जताया कि, बिहार का विकास अब और तेज़ गति से संभव हो सकेगा।

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नीतिश को झारखंड जदयू ने दी बधाई

नीतिश कुमार की ताजपोशी से झारखंड जदयू में खुशी की लहर दौड़ गई है। पार्टी के प्रदेश महासचिव एवं प्रदेश प्रवक्ता सरवन कुमार ने कहा कि, बिहार में न्याय के साथ विकास हुआ है। राज्य की जनता ने विकास को चुना है। बिहार देशभर के अग्रणी राज्यों में शामिल होगा। प्रदेश कार्यालय में मीडिया कर्मियों से बात करते हुए उन्होने कहा कि, पिछले 15 वर्षों में नीतिश कुमार की अगुवाई में जो काम हुआ है उसी की बुनियाद पर एनडीए को बहुमत मिली है। उन्होने कहा कि, राज्य में शराबबंदी, रोज़गार, महिलाओं की सुरक्षा और सड़कों का विकास तेज़ी के साथ हुआ है। लिहाज़ा, एनडीए पूरी ताकत के साथ आने वाले दिनों में काम करेगी और पांच साल सरकार जनता की सेवा करेगी।

झारखंड में जदयू की खस्ताहालत

बिहार में जदयू एकबार फिर सत्ता में पहुंची है जबकि, झारखंड में पार्टी बुरे दिनों से ग़ुज़र रही है। हालत ये है कि, पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 40 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन पार्टी खाता भी नहीं खोल पाई। प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू दो-दो सीटों पर चुनाव लड़े लेकिन दोनों विधानसभा क्षेत्रों से हार का मुंह देखना पड़ा। पार्टी एक अदद विधायक के लिए तरस रही है। जदयू का जनाधार दिनों दिन खिसकता जा रहा है। पार्टी में समर्पित कार्यकर्ताओं का घोर अभाव है। पार्टी के प्रदेश कार्यालय में दिनभर ताला लटका रहता है। एक्का-दुक्का पार्टी पदाधिकारी गाहे-बगाहे कार्यालय में नज़र आते हैं। कुल मिलाकर कहें तो झारखंड में जदयू अपनी अस्तित्तव की लड़ाई लड़ रही है।

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जदयू का भाजपा के साथ संबंध

बिहार में जदयू ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाया है। बिहार की जनता ने एनडीए को बहुमत दिया है। पूर्व एलायंस की बुनियाद पर नीतिश कुमार को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली है। हालांकि, झारखंड में जदयू का भाजपा के साथ संबंध अच्छे नहीं रहे हैं। पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ कोई गठजोड़ नहीं किया। जदयू अकेले मैदान में उतरी और उसे मुंह की खानी पड़ी। शराबबंदी समेत कई मुद्दों को लेकर दोनों पार्टियों में एकराय नहीं है।

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पिछले दिनों झारखंड में दो सीटों पर उप चुनाव हुए। इस चुनाव में जदयू ने भाजपा को अपना समर्थन दिया। हालांकि, इन दोनों ही सीटों पर बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा। ऐसे में साफ है कि, जदयू को अपने पाले में रखने से भी बीजेपी को कोई फायदा नहीं हुआ। यही वजह है कि, दोनों पार्टियों के बीच राजीनितक रूप से एकता नहीं बन पाई है। ऐसे में पार्टी को झारखंड में खिसकते जनाधार को लेकर मंथन करने की ज़रूरत है। बिहार में भले ही पार्टी सत्ता में हो लेकिन उसे झारखंड में पार्टी की हालत सुधारने के लिए काम करने की आवश्यक्ता है।

रांची से शाहनवाज़ की रिपोर्ट



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