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राज्यसभा में बोले शाह, दंगाइयों को पाताल से भी ढूंढ़ निकालेंगे, NPR में नहीं मांगा जाएगा...

दिल्ली हिंसा पर गृह मंत्री अमित शाह ने उच्च सदन राज्य सभा में चर्चा का जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने सदन और उसके माध्यम से पूरे देश को भरोसा दिलाया कि दंगाई चाहे किसी भी जाति, धर्म, विचारधारा, पार्टी के हों, बख्शे नहीं जाएंगे।

Dharmendra kumar
Published on: 12 March 2020 8:12 PM IST
राज्यसभा में बोले शाह, दंगाइयों को पाताल से भी ढूंढ़ निकालेंगे, NPR में नहीं मांगा जाएगा...
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नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा पर गृह मंत्री अमित शाह ने उच्च सदन राज्यसभा में चर्चा का जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने सदन और उसके माध्यम से पूरे देश को भरोसा दिलाया कि दंगाई चाहे किसी भी जाति, धर्म, विचारधारा, पार्टी के हों, बख्शे नहीं जाएंगे।

इसके साथ ही गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षी दलों से सीएए और एनपीआर को लेकर भ्रम न फैलाने की अपील की। उन्होंने दो साफ कहा कि एनपीआर में किसी से कोई कागज नहीं मांगा जाएगा और न ही किसी को डाउटफुल यानी डी मार्क किया जाएगा।

दिल्ली दंगे पर उच्च सदन में चर्चा के दौरान गृह मंत्री ने विपक्षी नेताओं से कहा कि एनपीआर को लेकर उनके मन में कोई भी शंका हो तो वे बेहिचक उनसे मिलें, हर शंका को दूर किया जाएगा। उन्होंने दिल्ली दंगों के लिए विपक्षी नेताओं के भड़काऊ बयानों और सीएए व एनपीआर को लेकर मुसलमानों में फैलाए गए भ्रम को जिम्मेदार ठहराया।



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गृह मंत्री ने कहा कि मैं सदन के माध्यम से देश को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि दंगों के लिए जिम्मेदार लोग, साजिश रचने वाले लोग चाहे किसी भी जाति के हों, मजहब के हों, पार्टी के हों, उनको बख्शा नहीं जाएगा। उन्हें कानून के कठघरे में खड़ा किया जाएगा। ऐसी सजा दिलाएंगे कि आगे से दंगा करने वालों के जेहन में कानून का भय बना रहे।

काफी सदस्यों ने एक सवाल उठाया कि सरकार ने सदन में चर्चा के लिए इतनी देर क्यों की। 25 को दंगे शुरू हुए और 2 मार्च को सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो चर्चा में देर क्यों हुई। 24 तारीख को दोपहर दंगे की पहली सूचना आई और 25 तारीख को रात में दंगे की आखिरी खबर आई।



शाह ने कहा कि मैं सबसे पहले जो अब तक कार्रवाई हुई है, यह बताता हूं। अब तक 700 से ज्यादा एफआईआर दर्ज हुई है, जिसने भी शिकायत दी है, उसकी एफआईआर दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि सिब्बल साहब ने एफआईआर नंबर 80 की बात की तो मैं व्यक्तिगत तौर पर उसे देखूंगा और सिब्बल साहब को बताऊंगा। 12 के 12 थानों के लिए स्पेशल प्रॉसिक्यूटर तय किए गए हैं, जिनकी सलाह पर पुलिस काम कर रही है। 2647 लोगों को हिरासत में लिया गया है या गिरफ्तार किया गया है।

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उन्होंने कहा कि दंगे समाप्त होने के दूसरे दिन ही हमने विज्ञापन देकर लोगों से अपील की थी कि अगर हिंसा से जुड़े कोई वीडियो उनके पास हैं तो पुलिस के पास भेजे। बड़ी तादाद में लोगों ने विडियो भेजे हैं, जिनकी जांच हो रही है। इससे हमें महत्वपूर्ण वैज्ञानिक सबूत मिले हैं।



फेस आइडेंटिटी सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल पर निजता के उल्लंघन संबंधी चिंताएं जताई गई हैं। ड्राइविंग लाइसेंस और वोटर आईडी के डेटा को हम फेस आइडेंटिटी सॉफ्टवेयर के लिए कर रहे हैं। किसी की जान चली गई तो वहां निजता का राग क्या गाना। हमने किसी निजता का उल्लंघन नहीं किया है। कल तक 1170 चेहरे पहचाने गए थे और आज दोपहर 12 बजे तक 1922 और दंगाइयों को चिह्नित कर लिया गया है। इसमें से 336 लोग यूपी के हैं।

24 तारीख की रात को 12 बजे ही यूपी से सटी सीमा को सील कर दिया गया है। सीमाओं को सील तो किया गया, लेकिन रिहायशी इलाके बिल्कुल सटे हुए हैं तो अंतरराष्ट्रीय सीमा जैसी स्थिति नहीं हो सकती है। धर्मस्थल तोड़े गए हों, स्कूलों पर हमला हुआ हो, अस्पताल तोड़े गए हों, लोगों की जान ली गई हो ऐसे करीब 50 गंभीर मामलों की एसआईटी जांच कर रही है। निजी और अवैध हथियारों का भी दंगों में इस्तेमाल हुआ है। आर्म्स ऐक्ट में 49 मामले दर्ज हुए हैं और इसमें 52 गिरफ्तारियां हुईं हैं और 125 हथियार जब्त किए गए हैं।



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25 तारीख की सुबह से ही दिल्ली के हर पुलिस थाने की शांति समितियों की बैठक बुलाई शुरू हो गई थी। 26 तक 300 से ज्यादा अमन समितियों की बैठक हो चुकी थी। दंगाइयों को पकड़ने के लिए 40 से ज्यादा विशेष दलों को गठित किया गया है। इन दलों का काम जांच करना नहीं, बल्कि गिरफ्तारी है।

24 तारीख से पहले ही हमारे पास एजेंसियों से सूचना आ गई थी कि दिल्ली में देश ही नहीं, विदेश से भी पैसे आए हैं। उस समय जांच चल रही थी लेकिन दुर्भाग्य से तभी दंगे हो गए। फंडिंग को लेकर अब तक 5 लोगों की गिरफ्तारी हुई है।

अमित शाह ने कहा कि कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में बहुत बड़े अधिवक्ता हैं। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि मुझे बताएं सीएए में ऐसा कौन सा प्रावधान है जिससे मुस्लिमों की नागरिकता छिन सकती है। इस पर कपिल सिब्बल ने बीच में उठकर इस बात से इंकार किया कि उन्होंने कभी कहा है कि सीएए से मुस्लिमों की नागरिकता छिन जाएगी। अमित शाह और कपिल सिब्बल की बातचीत के दौरान अन्य सांसदों ने हूटिंग भी की।



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गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मैं स्पष्ट कर रहा हूं कि सीएए किसी की नागरिकता लेने का कानून नहीं है, बल्कि नागरिकता देने का कानून है। अगर एनपीआर की बात करें तो उसमें सूचना देने का प्रावधान वैकल्पिक है। अमित शाह ने कहा कि एनपीआर में कोई भी कागजात नहीं मांगा जाएगा। इस देश में किसी को भी एनपीआर की प्रक्रिया से डरने की जरूरत नहीं है।

गृह मंत्री ने कहा कि मैं गुलाम नबी आजाद, डेरेक ओ ब्रायन और आनंद शर्मा जो हमारे गृह विभाग के स्टैंडिंग कमिटी के चेयरमैन हैं, सबको कह रहा हूं कि आप आइए हमारे साथ बैठिए और एनपीआर पर चर्चा कीजिए, मैं आपके सारे सवालों के जवाब देने के लिए तैयार हूं।



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