आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला: अर्नब गोस्वामी को लेकर SC से आई बड़ी खबर

अर्नब के केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस अदालत के दरवाजे एक ऐसे नागरिकों के लिए बंद नहीं किए जा सकते हैं, जिसके खिलाफ प्रथम दृष्टया राज्य द्वारा अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने के संकेत हों।

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Published on: 27 Nov 2020 7:04 AM GMT
आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला: अर्नब गोस्वामी को लेकर SC से आई बड़ी खबर
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सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि उच्च न्यायालय, निचली अदालतों को राज्य द्वारा आपराधिक कानून का दुरुपयोग करने के खिलाफ जागरुक रहना चाहिए।

नई दिल्ली: इस वक्त की बड़ी सुप्रीम कोर्ट से आ रही है। रिपब्लिक टीवी के पत्रकार अर्नब गोस्वामी को आत्महत्या के लिए उकसावे के वर्ष 2018 के एक मामले में अग्रिम जमानत देने के करीब 15 दिनों बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब को बेल दिए जाने के कारणों को स्पष्ट किया।

SC ने आत्महत्या मामले में 11 नवंबर को रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को दी गई अंतरिम जमानत के लिए विस्तृत आदेश दिए। कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस द्वारा दर्ज FIR का प्रथम दृष्टया मूल्यांकन उनके खिलाफ आरोप स्थापित नहीं करता है।

इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि पत्रकार अर्नब गोस्वामी की अंतरिम जमानत अगले 4 सप्ताह के लिए होगी जिस दिन से मुंबई हाईकोर्ट ने आत्महत्या के मामले में उनकी जमानत याचिका पर फैसला किया।

कोर्ट ने ये भी कहा कि पत्रकार अर्नब गोस्वामी की 2018 में आत्महत्या मामले में अंतरिम जमानत तब तक जारी रहेगी जब तक बॉम्बे HC उनकी याचिका का निपटारा नहीं कर देता।

arnab goswami आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला: अर्नब गोस्वामी को लेकर SC से आई बड़ी खबर(फोटो:सोशल मीडिया)

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हाईकोर्ट, निचली अदालतों को दिए आदेश

अर्नब के केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस अदालत के दरवाजे एक ऐसे नागरिकों के लिए बंद नहीं किए जा सकते हैं, जिसके खिलाफ प्रथम दृष्टया राज्य द्वारा अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने के संकेत हों।

सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि उच्च न्यायालय, निचली अदालतों को राज्य द्वारा आपराधिक कानून का दुरुपयोग करने के खिलाफ जागरुक रहना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने कहा कि SC, HC, जिला न्यायपालिका को नागरिकों के चयनात्मक उत्पीड़न के लिए आपराधिक कानून नहीं बनना चाहिए।

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arnab goswami आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला: अर्नब गोस्वामी को लेकर SC से आई बड़ी खबर(फोटो:सोशल मीडिया)

सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी

कोर्ट ने तल्खी टिप्पणी करते हुए कहा कि अर्नब के खिलाफ मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर और आत्महत्या के लिए अपमान के अपराध की सामग्री के बीच कोई संबंध नहीं दिख रहा है। ऐसे में अर्नब के खिलाफ आरोप साबित नहीं हो रहे हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा कि SC, HC, जिला न्यायपालिका को नागरिकों के चयनात्मक उत्पीड़न के लिए आपराधिक कानून नहीं बनना चाहिए। उच्च न्यायालय, निचली अदालतों को राज्य द्वारा आपराधिक कानून का दुरुपयोग करने के खिलाफ जागरुक रहना चाहिए।

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