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जानें क्यों? Ola-Uber कैब लेने पर अब देना पड़ सकता है तीन गुना तक किराया
केंद्र सरकार अधिक मांग वाली अवधि में ऊबर और ओला जैसे कैब ऐग्रिगेटर्स को ग्राहकों से बेस फेयर से तीन गुना अधिक भाड़ा लेने की इजाजत दे सकती है। इस इंडस्ट्री के लिए नए नियम बनाए जा रहे हैं। उसकी चर्चा से वाकिफ एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी है।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार अधिक मांग वाली अवधि में ऊबर और ओला जैसे कैब ऐग्रिगेटर्स को ग्राहकों से बेस फेयर से तीन गुना अधिक भाड़ा लेने की इजाजत दे सकती है। इस इंडस्ट्री के लिए नए नियम बनाए जा रहे हैं। उसकी चर्चा से वाकिफ एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी है।
कैब कंपनियां अपने प्लैटफॉर्म पर डिमांड-सप्लाई को मैनेज करने के लिए लंबे समय से सर्ज प्राइसिंग के हक में तर्क देती आई हैं। नए नियमों में यह बताया जा सकता है कि वे ग्राहकों से सर्ज प्राइसिंग के तहत कितना भाड़ा ले सकती हैं। इसमें कंपनियों के लिए दूसरे दिशानिर्देश भी हो सकते हैं, जिन्हें दिसंबर 2016 में प्रस्तावित किया गया था।
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पीक ऑवर्स में बढ़ेगा किराया
सर्ज प्राइसिंग को लेकर पहले भी बवाल हो चुका है। सर्ज प्राइसिंग का मतलब है पीक ऑवर यानी जब सबसे ज्यादा मांग हो, उस दौरान ओला, उबर जैसी कंपनियां ज्यादा किराया वसूलना चाहती हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कैब एग्रीगेटर्स कंपनियों को लिए नए नियम बनाए जा रहे हैं। वहीं ओला और ऊपर जैसी कंपनियां मांग और आपर्ति के बीच संतुलन बिठाने के लिए शुरू से ही सर्ज प्राइसिंग की वकालत करती रही हैं।
नए मोटर व्हीकल एक्ट में मार्केट प्लेस माना
सूत्रों के मुताबिक सरकार नई नीति में कंपनियों को बता सकती हैं कि वे सर्ज प्राइसिंग के तहत कितना किराया वसूल सकती हैं। दिसंबर 2016 की गाइडलाइंस के मुताबिक इसमें कुछ दूसरे नियमों को भी शामिल किया जाएगा।
संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट पास होने के बाद कैब एग्रीगेटर्स के लिए भी नए नियम लाए जा रहे हैं। एक्ट में पहली बार कैब एग्रीगेटर्स को डिजिटल इंटरमीडियरी यानी मार्केट प्लेस माना गया है। वहीं नए नियम पूरे देश में लागू होंगे, लेकिन राज्यों को इन्हें बदलने के अधिकार होगा।
कर्नाटक ने किया है कंट्रोल
इससे पहले कर्नाटक पहला राज्य है जिसने कैब एग्रीगेटर्स कके लिए न्यूनतम और अधिकतम किराया तय किया हुआ है। राज्य ने एप बेस्ड कैब कंपनियों के लिए वाहन की कीमत के मुताबिक स्लैब बना रखे हैं। लग्जरी कैब्स के लिए 2.25 फीसदी और छोटी कैब्स के लिए दो गुना है। वहीं ग्राहकों को भी सर्ज प्राइसिंग सबसे ज्यादा परेशान करता है।
दिल्ली में इस बार लागू होने वाला है ऑड ईवन
शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चार नवंबर से 15 नवंबर तक कारों के लिए ऑड-ईवन शुरू किया है, जिसमें पहली बार ऑटो और टैक्सियों को भी शामिल किया है।
माना जा रहा है कि ऑड ईवन में शामिल होने के बाद कैब एग्रीगेटर्स मनमाने ढंग से किराया वसूलेंगे। इससे पहले मई 2016 में ऑड-ईवन लगू होने के बाद कंपनियों ने सर्ज प्राइसिंग वसूलना शुरू कर दिया था, जिसके बाद दिल्ली सरकार ने कड़ी कार्रवाई की चेतावनी जारी करते हुए इस पर रोक लगा थी।
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पिछले साल किया था समर्थन
वहीं पिछले साल 11 नवंबर 2017 को जब दिल्ली में प्रदूषण से निबटने के लिए ऑड-ईवन का एलान किया था, तब कैब एग्रीगेटर्स कंपनियों ने समर्थन देने का एलान करते हुए डायनैमिक या सर्ज प्राइसिंग के मुताबिक किराया न वसूलने का भरोसा दिया था।
जरूरत बन चुकी हैं कैब सेवाएं!
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कैब कंपनियां देश के शहरी यातायात का अनिवार्य हिस्सा बन चुकी हैं। खासतौर पर बड़े मेट्रो शहरों में, जहां पब्लिक ट्रांसपॉर्ट का अभाव है।
उनके मुताबिक, सर्ज प्राइसिंग से सप्लाई और डिमांड को रेगुलेट करने में मदद मिलती है, लेकिन इस बारे में कोई भी फैसला करने से पहले अंतरराष्ट्रीय मानकों को देखना चाहिए। देश की एक बड़ी टैक्सी ऐग्रिगेटर के वरिष्ठ सलाहकार ने बताया, ‘हमें देखना चाहिए कि लंदन, न्यू यॉर्क और कैलिफोर्निया में क्या नीतियां हैं।’
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