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Opposition Meeting: बेंगलुरु बैठक से पूर्व विपक्ष में ही घमासान, कई राज्यों में भिड़ंत के बाद एकजुटता पर उठने लगे सवाल
Opposition Meeting Updates:इस बैठक के दौरान विपक्षी दलों के बीच एकजुटता से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है मगर इस बैठक से पूर्व कई राज्यों में विपक्षी दलों के बीच ही घमासान छोड़ता नजर आ रहा है।
Opposition Meeting Update: विपक्षी दलों की पटना में हुई बैठक के बाद अब अगली बैठक जल्द ही बेंगलुरु में होने वाली है। इस बैठक को 2024 की सियासी जंग में विपक्षी दलों की एकजुटता के लिए काफी अहम माना जा रहा है। इस बैठक के दौरान विपक्षी दलों के बीच एकजुटता से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है मगर इस बैठक से पूर्व कई राज्यों में विपक्षी दलों के बीच ही घमासान छोड़ता नजर आ रहा है। विपक्षी दलों के बीच बढ़ते आपसी मतभेद के बाद अब एकजुटता पर सवाल भी उठाए जाने लगे हैं।
बिहार में महागठबंधन में शामिल दो प्रमुख दलों जदयू और राजद के बीच इन दिनों तनातनी बढ़ गई है। दूसरी ओर विपक्षी एकजुटता के सूत्रधार माने जा रहे शरद पवार एनसीपी में हुई बगावत के बाद खुद सियासी भंवर में फंसते हुए नजर आ रहे हैं। पार्टी और सिंबल पर कब्जे की जंग में अजित पवार अपने चाचा शरद पवार पर भारी पड़ते दिख रहे हैं। उधर दिल्ली में मोदी सरकार की ओर से लाए गए अध्यादेश के मुद्दे पर आप और कांग्रेस के बीच टकराव काफी बढ़ गया है। ऐसे में विपक्षी एकजुटता की मुहिम ख्याली पुलाव बनती दिख रही है।
बिहार में राजद और जदयू के बीच बढ़ा टकराव
बिहार की राजधानी पटना में सोमवार का दिन काफी गहमागहमी भरा रहा और महागठबंधन की बैठक के दौरान जदयू और राजद के बीच टकराव बढ़ता हुआ दिखा। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लालू परिवार के काफी करीबी माने जाने वाले राजद एमएलसी सुनील सिंह पर बरस पड़े। दरअसल बिहार के शिक्षा मंत्री व राजद नेता चंद्रशेखर और उनके विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव केके पाठक के बीच में चल रहे झगड़े में एमएलसी सुनील सिंह भी कूद पड़े और उन्होंने चंद्रशेखर को इस्तीफा देने की सलाह दे डाली। इसके बाद जदयू नेता और कैबिनेट मंत्री अशोक चौधरी ने सुनील सिंह पर हमला बोलते हुए कहा कि उनकी बात की कोई वैल्यू नहीं है।
चौधरी ने राजद के 15 साल के जंगलराज का जिक्र करते हुए सुनील सिंह को घेरने का प्रयास किया। चौधरी के बयान पर सुनील सिंह कहां चुप रहने वाले थे और उन्होंने अशोक चौधरी को रोज पार्टी बदलने वाला नेता बता दिया।
राजद एमएलसी पर बरस पड़े नीतीश कुमार
राजद एमएलसी सुनील सिंह के इस रवैए से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नाराज चल रहे थे और रविवार को महागठबंधन की बैठक के दौरान उन्होंने सुनील सिंह को फटकार लगाते हुए नाराजगी जताई। उन्होंने सुनील सिंह पर गृह मंत्री अमित शाह के साथ फोटो खिंचवाने और उनके संपर्क में होने का बड़ा आरोप तक लगा दिया।
डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के बीचबचाव करने पर किसी तरह मामला शांत हो सका। बाद में राजद विधायकों की बैठक के दौरान भी खूब शिकवा-शिकायतें सुनने को मिलीं। इससे साफ हो गया है कि राजद और जदयू के बीच सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। दोनों दलों के नेताओं के बीच खटास लगातार बढ़ती जा रही है।
सियासी भंवर में फंसे शरद पवार
इस बीच अभी तक विपक्षी एकता के सूत्रधार माने जाने वाले एनसीपी मुखिया शरद पवार भी बड़ी सियासी मुश्किल में फंस गए हैं। उनके भतीजे अजित पवार की अगुवाई में हुई बगावत के बाद शरद पवार काफी कमजोर पड़ते हुए नजर आ रहे हैं। पार्टी में बगावत के बाद गत 5 जुलाई को दोनों गुटों की हुई अलग-अलग बैठक से साफ हो गया कि इस सियासी जंग में चाचा पर भतीजा अजित पवार भारी पड़ते हुए नजर आ रहे हैं।
बगावत के बाद ही अजित पवार की ओर से 40 से अधिक विधायकों के समर्थन का दावा किया गया था। उनकी बैठक के दौरान करीब 32 विधायक मौजूद थे जबकि शरद पवार की बैठक के दौरान सिर्फ 13 विधायकों की मौजूदगी का पता चला है। इस बैठक के बाद भी विधायकों के पाला बदलने का खेल चल रहा है और कई विधायक शरद पवार का साथ छोड़कर अजित पवार गुट में शामिल हो गए हैं।
दोनों गुटों की ओर से पार्टी और सिंबल पर कब्जे की जंग अब चुनाव आयोग की चौखट पर पहुंच गई है। अब शरद पवार के लिए विपक्षी एकता से ज्यादा महत्वपूर्ण सवाल अपनी पार्टी और महाराष्ट्र में अपने सियासी वजूद को बचाना हो गया है।
अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस-आप में खींचतान
बेंगलुरु बैठक में हिस्सा लेने के लिए कांग्रेस की ओर से आम आदमी पार्टी को भी न्योता दिया गया है मगर आप नेताओं का कहना है कि दिल्ली के संबंध में मोदी सरकार की ओर से लाए गए अध्यादेश के मुद्दे पर अभी तक कांग्रेस ने अपना रुख साफ नहीं किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि कांग्रेस ने मानसून सत्र से पहले इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था मगर पार्टी ने अभी तक अध्यादेश के मुद्दे पर अपने रुख का खुलासा नहीं किया है।
केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी के अन्य नेता समय-समय पर यह बात कहते रहे हैं कि अगर कांग्रेस ने इस अध्यादेश के खिलाफ राज्यसभा में साथ नहीं दिया तो उनके लिए बेंगलुरु बैठक में हिस्सा लेना मुश्किल होगा। दरअसल कांग्रेस इस मुद्दे पर आप को झटका देने की कोशिश में जुटी हुई है और ऐसे में आने वाले दिनों में दोनों दलों के बीच सियासी घमासान और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
पटना बैठक में हिस्सा लेने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी ने भी कांग्रेस पर हमला बोला था। सियासी जानकारों का कहना है कि पटना बैठक के बाद विपक्षी दलों के बीच आपस में ही घमासान बढ़ता हुआ नजर आ रहा है और ऐसे में बेंगलुरु बैठक के दौरान एकजुटता की बात सोचना किसी ख्याली पुलाव से कम नहीं होगा।