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Mission 2024: विपक्षी एकता की राह में अभी कई बड़ी चुनौतियां, BJP के खिलाफ मोर्चेबंदी में इनसे पार पाना आसान नहीं
Mission 2024: पटना की बैठक के बाद भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर मजबूत लड़ाई लड़ने का ऐलान किया गया और इस बाबत चुनाव रणनीति को अगले महीने शिमला की बैठक में अंतिम रूप दिया जाएगा।
Mission 2024: पटना में 23 जून को 15 राजनीतिक दलों की महाबैठक के बाद भाजपा के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा बनने की उम्मीद जताई जा रही है। पटना की बैठक के बाद भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर मजबूत लड़ाई लड़ने का ऐलान किया गया और इस बाबत चुनाव रणनीति को अगले महीने शिमला की बैठक में अंतिम रूप दिया जाएगा। 2014 और 2019 में बड़ी जीत हासिल करने के बाद अब 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजय रथ रोकने के लिए विपक्षी दलों की ओर से जोरदार तैयारियां तो जरूर की जा रहे हैं मगर विपक्षी एकजुटता की राह कई बड़ी चुनौतियां भी दिख रही हैं जिनसे पार पाना आसान नहीं माना जा रहा है।
बैठक के तत्काल बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच शुरू हुई तल्ख बयानबाजी और पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चोर बताए जाने से साफ हो गया है कि सभी राजनीतिक दल अभी भी अपना-अपना स्वार्थ साधने की कोशिश में जुटे हुए हैं। ऐसे में सभी दलों की मतभेद भुलाकर दिल से एकजुटता काफी मुश्किल मानी जा रही है।
आप और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग तेज
दिल्ली के संबंध में केंद्र सरकार की ओर से लाए गए अध्यादेश के मुद्दे पर आप और कांग्रेस के बीच तलवारबाजी शुरू हो गई है। कई विपक्षी दलों ने आप मुखिया केजरीवाल से राज्यसभा में इस अध्यादेश का विरोध करने का वादा किया है मगर कांग्रेस इस मुद्दे पर केजरीवाल का साथ देने को तैयार नहीं दिख रही है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर अपना रुख अभी साफ नहीं किया है मगर पार्टी के नेताओं के बयानों से साफ हो गया है कि पार्टी इस मुद्दे पर केजरीवाल को झटका देने की तैयारी में है। रविवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने केजरीवाल पर भाजपा से मिलीभगत का बड़ा आरोप तक लगाया।
उनका कहना था कि केजरीवाल ने जेल जाने से बचने के लिए भाजपा से समझौता कर लिया है। दूसरी ओर केजरीवाल के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने आप की आगे की रणनीति साफ कर दी। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस ने अध्यादेश के मुद्दे पर आप का साथ नहीं दिया तो पार्टी विपक्ष की किसी भी ऐसी बैठक में हिस्सा नहीं लेगी जिसमें कांग्रेस शामिल होगी। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर दोनों दलों के बीच मतभेद और बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। दोनों दल अपनी-अपनी रणनीति पर काम कर रहै हैं और इसका असर कई राज्यों में घमासान के रूप में दिख सकता है।
पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और टीएमसी में भिड़ंत
दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के बीच घमासान छिड़ता दिख रहा है। पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने साफ कर दिया है कि बंगाल के अगले लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और वामदलों के बीच गठबंधन होगा और तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ मजबूत लड़ाई लड़ी जाएगी। उन्होंने कहा कि हमने वामदलों के साथ गठबंधन करके टीएमसी के खिलाफ लड़ाई लड़ने का फैसला इसलिए लिया है क्योंकि हम चोरों और अपराधियों की कोई बात नहीं सुनना चाहते। चौधरी ने मुर्शिदाबाद में टीएमसी को स्पष्ट रूप से चोरों की पार्टी तक बताया।
चौधरी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर चाहे जो भी फैसला लिया जाए मगर पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को ममता बनर्जी की अगुवाई कभी मंजूर नहीं होगी। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में हमारी लड़ाई भाजपा और कांग्रेस दोनों के खिलाफ है और पार्टी का यह तेवर आगे भी बना रहेगा।
कोई भी दल दावेदारी छोड़ने को तैयार नहीं
दरअसल कई राज्यों में कई विपक्षी दलों के आपसी हित टकरा रहे हैं और इस कारण समझौते की राह में बड़ी बाधा मानी जा रही है। किसी भी राज्य में कोई भी दल अपनी दावेदारी छोड़ने को तैयार नहीं दिख रहा है और इस कारण समझौते के बाद भी सीट शेयरिंग को लेकर मामला उलझना तय माना जा रहा है।
पटना बैठक के दौरान तो सिर्फ भाजपा के खिलाफ मजबूत मोर्चा बनाने पर चर्चा हुई है मगर शिमला बैठक के दौरान यदि विभिन्न राज्यों में सीटों के बंटवारे का मुद्दा उठा तो विभिन्न दलों के बीच मतभेद पैदा होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
उमर अब्दुल्ला ने बनाया था आप को निशाना
पटना बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के मुद्दे पर उमर अब्दुल्ला ने आम आदमी पार्टी पर निशाना साधा था। केजरीवाल की ओर से दिल्ली के संबंध में लाए गए अध्यादेश पर समर्थन मांगे जाने पर उमर अब्दुल्ला ने तीखे तेवर में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने के समय आप का रुख मोदी सरकार के समर्थन वाला था। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ने उस समय संसद में केंद्र सरकार का साथ दिया था। उमर अब्दुल्ला का यह बयान भी आप को काफी चुभने वाला साबित हुआ है।
भाजपा ने शुरू कर दी घेरेबंदी
विपक्ष की एकजुटता को लेकर भाजपा की ओर से तीखे हमले शुरू कर दिए गए हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष की एकजुटता की तुलना जानवरों से कर डाली तो केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि पटना में भेड़यों का झुंड इकट्ठा हुआ था।
उन्होंने कहा कि झुंड बनाकर भी भेड़िए शेर का मुकाबला नहीं कर सकते। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने स्मृति ईरानी को तीखा जवाब देते हुए कहा कि एक समय एनडीए में 44 पार्टियां शामिल थी तो क्या वह हमारे खिलाफ भेड़ियों का झुंड था?
विपक्ष की बरात का दूल्हा कौन
भाजपा की ओर से यह सवाल भी पूरी मजबूती के साथ उठाया जा रहा है कि विपक्ष की बरात का दूल्हा कौन है? विपक्ष के लिए इस सवाल का जवाब देना काफी मुश्किल है क्योंकि दूल्हे का नाम बताते ही विपक्षी एकजुटता का पूरा मसला उलझ सकता है। इसीलिए विपक्ष के वरिष्ठ नेता चुनाव के बाद इस मुद्दे को सुलझाने पर जोर दे रहे हैं। हालांकि यह कदम भी विपक्ष के लिए मुश्किलों भरा है क्योंकि भाजपा की ओर से लगातार यह सवाल पूछा जा रहा है कि आखिर पीएम मोदी के मुकाबले है कौन।
चुनाव नजदीक आने पर यह मामला और गरमाया जाएगा और भाजपा इस मुद्दे को लेकर और हमलावर तेवर अपना सकती है। दूल्हा चुनने पर विपक्षी दलों के बीच मतभेद पैदा हो सकते हैं और न चुनने पर भाजपा को जवाब देना मुश्किल साबित होगा। वैसे इस सवाल को टालना भी कठिन माना जा रहा है क्योंकि कांग्रेस की ओर से आने वाले दिनों में राहुल गांधी के नाम को लेकर दबाव बनाना तय माना जा रहा है।