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किसान परेड की तैयारी में संगठन, गणतंत्र दिवस के दिन सरकार के सामने बड़ी चुनौती
केंद्र सरकार के साथ शुक्रवार को आठवें दौर की वार्ता के दौरान किसान नेताओं ने दोटूक कहा कि कानून वापसी होने पर ही किसानों की घर वापसी होगी।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसानों का आंदोलन अब तक खत्म नहीं हो सका है। सरकार और किसानों के बीच वार्ता के आठ दौर हो चुके हैं मगर अभी तक बात नहीं बन सकी है। आठवें दौर की बातचीत बेनतीजा समाप्त होने के बाद किसानों और सरकार ने 15 को फिर बातचीत करने का फैसला किया है।
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दूसरी ओर किसानों ने कृषि कानून रद्द कराने की मांग को लेकर गणतंत्र दिवस के दिन 26 जनवरी को किसान परेड निकालने का फैसला किया है। केंद्र सरकार कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए तैयार नहीं है और दूसरी ओर किसान संगठनों ने साफ तौर पर कह दिया है कि कृषि कानून रद्द करने के अलावा कोई और कदम उन्हें मंजूर नहीं होगा। ऐसे में सरकार के सामने किसान संगठनों को मनाने की बड़ी चुनौती है। सरकार के नाकाम रहने पर गणतंत्र दिवस के दिन टकराव की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
कानून वापसी के बाद ही घर वापसी
केंद्र सरकार के साथ शुक्रवार को आठवें दौर की वार्ता के दौरान किसान नेताओं ने दोटूक कहा कि कानून वापसी होने पर ही किसानों की घर वापसी होगी। कुछ किसानों ने वार्ता के दौरान मरेंगे या जीतेंगे लिखी पर्चियां भी दिखाईं।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने साफ तौर पर कहा कि कानून वापस नहीं होंगे और अच्छा तो यह होगा कि अब सुप्रीम कोर्ट फैसला करे। उन्होंने कहा कि सरकार कानून वापसी के सिवा किसानों की सभी मांगों पर वार्ता करने के लिए तैयार है मगर किसान संगठनों की ओर से ही कोई विकल्प नहीं दिया जा रहा है।
मरते दम तक लड़ाई लड़ने का एलान
वार्ता के दौरान किसानों ने कड़े तेवर अपनाते हुए साफ तौर पर कहा कि हमें सरकार के साथ किसी प्रकार की कोई बहस नहीं करनी है। सरकार को इस काले कानून को वापस लेना ही होगा।
वार्ता के बाद किसान नेता हन्नान मुल्ला ने कहा कि अपनी मांगों को लेकर किसान मरते दम तक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार होकर आए हैं और कोर्ट जाना कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि किसान संगठन 11 तारीख की बैठक में अपने अगले कदम के बारे में रणनीति तैयार करेंगे।
farmer (PC: social media)
किसान परेड की तैयारियां शुरू
इस बीच किसान संगठनों ने 26 जनवरी को किसान परेड निकालने की तैयारी शुरू कर दी है। परेड में शामिल होने के लिए पंजाब से हजारों किसानों के मार्च का एलान किया गया है। किसान नेताओं का कहना है कि किसान परेड में हरियाणा के हर घर से एक सदस्य को जोड़ने के लिए जागरूकता अभियान भी शुरू किया गया है।
किसान परेड में दिखेगी पूरी फिल्म
स्वराज इंडिया के संयोजक योगेंद्र यादव ने किसानों के धरने को संबोधित करते हुए कहा कि गुरुवार को हजारों की संख्या में ट्रैक्टर मार्च में शामिल किसानों ने सरकार को महज ट्रेलर दिखाया है। पूरी फिल्म 26 जनवरी को किसान परेड में दिखाई देगी।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ देश का किसान अब पूरी तरह लामबंद हो चुका है और इन कानूनों को रद्द करवाए बिना दिल्ली की सीमाओं से हटने वाला नहीं है।
उन्होंने धरने में मौजूद लोगों से अपील की कि 26 जनवरी को दिल्ली में होने वाली किसान परेड में हर गांव से कम से कम 10 ट्रैक्टर पहुंचने चाहिए। उन्होंने कहा है कि हर घर से एक सदस्य समेत प्रत्येक ट्रैक्टर पर 11 महिलाएं जरूर होनी चाहिए।
ज्यादा से ज्यादा तिरंगा खरीदने का आह्वान
दूसरी ओर भारतीय किसान संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसानों से आह्वान किया है कि वे ज्यादा से ज्यादा तिरंगा झंडा खरीदकर रख लें क्योंकि 26 जनवरी को इन झंडों की सबसे ज्यादा जरूरत होगी।
उन्होंने कहा कि हर किसान ट्रैक्टर पर तिरंगा लगाकर ही आगे बढ़ेगा। तिरंगे पर न वाटर कैनन से बौछारें की जाएंगी और नगोली चलाई जाएगी। अगर सरकार की ओर से किसानों पर डंडे चलाए गए तो हम राष्ट्रीय गान गाएंगे। उन्होंने कहा कि किसान किसी भी शहादत के लिए तैयार हैं। टिकैत ने कहा कि 26 जनवरी किसी पार्टी का त्योहार नहीं है बल्कि यह पूरे देश का आयोजन है। इसलिए किसान इसे दिल्ली में पहुंचकर मनाएंगे।
सूची तैयार करने में जुटे किसान
उन्होंने कहा कि हम लोग ऐसे सैनिकों की सूची तैयार करने में जुटे हैं जिनके पिता या भाई या कोई अन्य परिजन किसान आंदोलन में शामिल हैं। गणतंत्र दिवस के दिन परिवार के दोनों सदस्य राजपथ पर बराबर-बराबर चलेंगे। एक तरफ सैनिक चलेगा तो दूसरी तरफ आंदोलन में शामिल उसका पिता या बड़ा भाई। आंदोलन की अगुवाई पूरी तरह महिलाओं के हाथों में होगी।
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समाधान निकलने के आसार नहीं
किसान संगठनों की ओर से की जा रही तैयारियों को देखते हुए गणतंत्र दिवस के दिन टकराव की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। सरकार और किसान संगठनों के अपने-अपने रुख पर अड़े होने के कारण 15 जनवरी को होने वाली बातचीत में भी कोई समाधान निकलने की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही हो।
दूसरी और किसान संगठनों ने 26 जनवरी को किसान परेड में ताकत दिखाने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। ऐसे में गणतंत्र दिवस के दिन परेड के दौरान अलग ही नजारा दिख सकता है।
रिपोर्ट: अंशुमान तिवारी
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