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पाक ने भारत के खिलाफ रची ये बड़ी साजिश, इस भारतीय सैनिक ने ऐसे किया नाकाम

14 फरवरी 2019 में पुलवामा हमले के बार भारत ने 26 फरवरी 2019 को पाकिस्तान के बालाकोट में एयरस्ट्राइक कर 250 से ज्यादा आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया था। इसके साथ ही बालाकोट में मौजूद जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविरों को एयरस्ट्राइक से ध्वस्त कर दिया।

Dharmendra kumar
Published on: 27 Jan 2020 8:51 PM IST
पाक ने भारत के खिलाफ रची ये बड़ी साजिश, इस भारतीय सैनिक ने ऐसे किया नाकाम
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नई दिल्ली: 14 फरवरी 2019 में पुलवामा हमले के बार भारत ने 26 फरवरी 2019 को पाकिस्तान के बालाकोट में एयरस्ट्राइक कर 250 से ज्यादा आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया था। इसके साथ ही बालाकोट में मौजूद जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविरों को एयरस्ट्राइक से ध्वस्त कर दिया।

उस समय पाकिस्तान ने भारतीय समुद्री सीमा पर अपनी पनडुब्बी तैनात कर दी थी। पाकिस्तान कोई साजिश रच रहा था, लेकिन तभी एक भारतीय नौसैनिक ने अपनी सूझबूझ और रणनीति से उसे भागने के लिए मजबूर कर दिया। अब इस जवान को नौसेना मेडल से सम्मानित किया गया है।

पाकिस्तान को भागने पर मजबूर करने वाले भारतीय नौसैनिक का नाम है कमोडोर ज्योतिन रैना। पुलवामा हमले के बाद देश की सभी सीमाओं पर भारतीय जवानों को सतर्क कर दिया गया था। कमोडोर ज्योतिन रैना भी पश्चिमी बेड़े के सभी जवानों के साथ सतर्क थे।

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उस समय कमोडोर ज्योतिन रैना पश्चिमी बेड़े के फ्लीट ऑपरेशंस ऑफिसर थे। उनको जैसे ही राडार पर यह जानकारी मिली कि भारतीय समुद्री सीमा पर पाकिस्तान ने अपनी पनडुब्बी तैनात कर दी है, वे तत्काल एक्शन में आ गए।

कमोडोर ज्योतिन रैना ने पश्चिमी बेड़े के भारतीय जंगी जहाजों और पनडुब्बियों को रवाना कर दिया। बेहद कम समय में इन जहाजों और पनडुब्बियों से पाकिस्तानी पनडुब्बी को तीन तरफ से घेर लिया।

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पाकिस्तानी पनडुब्बी ने जैसे ही खुद को तीन तरफ घिरता हुआ देखा तो वह भाग खड़ा हुआ। कमोडोर ज्योतिन रैना को नौसेना मेडल से सम्मानित किया गया है।

कमोडोर ज्योतिन रैना ने नौसेना के टोही विमान से जानकारी ली थी कि भारतीय समुद्री सीमा के आसपास दुश्मन का कोई जहाज या पनडुब्बी तो नहीं है। जैसे ही उन्हें इस बात का पता चला कि उन्होंने नौसेना के पश्चिमी बेड़े को एक्शन में आने का आदेश दिया।

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उनका आदेश मिलते ही पश्चिमी बेड़े के जंगी युद्धपोत और पनडुब्बियां पाकिस्तानी पनडुब्बी को भगाने के लिए रवाना हो गईं। पाकिस्तानी पनडुब्बी और पाकिस्तानी नौसेना को इतना मौका भी नहीं मिला कि वह कुछ सोच सके।



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Dharmendra kumar

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