×

आतंकियों के Apps: Whatsapp-Facebook छोड़ा, Data-Privacy बिल्कुल सुरक्षित

फेसबुक और व्हाट्सऐप को छोड़ कर आतंकवादियों ने नए ऐप का इस्तेमाल शुरू किया है। इनमे से एक ऐप को तुर्की की कम्पनी ने विकसित किया है।

Shivani Awasthi
Published on: 24 Jan 2021 4:31 PM GMT
आतंकियों के Apps: Whatsapp-Facebook छोड़ा, Data-Privacy बिल्कुल सुरक्षित
X

श्रीनगर: सोशल मीडिया एप्स पर निजता और डाटा चोरी आदि पर छिड़ी बहस के बीच पाकिस्तान के आतंकी संगठन ने आतंकवादी गतिविधियों को फैलाने का पैतरा बदल लिया है। फेसबुक और व्हाट्सऐप को छोड़ कर आतंकवादियों ने नए ऐप का इस्तेमाल शुरू किया है। इनमे से एक ऐप को तुर्की की कम्पनी ने विकसित किया है।

आतंकी कर रहे नए सोशल मैसेजिंग एप का इस्तेमाल

दरअसल, हाल ही में व्हाट्सऐप ने अपनी प्राइवेसी पालिसी में बदलाव किया तो सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर बहस शुरू हो गयी। लोगो ने इसका विरोध शुरू कर दिया, हालांकि इन आ के बीच पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों ने अपना डाटा सुरक्षित और निजता बनाये रखने के लिए व्हाट्सऐप फेसबुक छोड़ नये ऐप के इस्तेमाल की तरफ कदम बढाया है।

ये भी पढ़ें- शहादत को सलामः बाॅर्डर पर शहीद सहारनपुर का लाल, परिजनों में मचा कोहराम

पाकिस्तान के आतंकी संगठनों से सम्पर्क में रहने के लिए इन एप का यूज़

रिपोर्ट्स के मुताबिक, आतंकवादी गतिविधियों को फैलाने में तीन नए ऐप सामने आए हैं। इन ऐप्स के बारे में जानकारी उन आतंकियों के जरिये मिली, जिन्हें सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में ढेर कर दिया या आत्मसमर्पण के बाद गिरफ्तार किया। इन आतंकियों को सीमा पर बैठे संगठन कट्टरपंथी बनाने के लिए ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं।

terrorist activity on social media-3

अमेरिका-तुर्की है ये ऐप निजता का रहते है ख्याल

हालांकि, सुरक्षा कारणों से इन मैसेजिंग एप के नाम की जानकारी नहीं दी गई। सेना के अधिकारियों ने इतनी जानकारी दी कि एक ऐप अमेरिकी कम्पनी का है, वहीं दूसरा यूरोप की एक कम्पनी का। इसके अलावा तीसरा एप जिसका इस्तेमाल आतंकी कर रहे हैं, उसे तुर्की की कम्पनी ने तैयार किया है।

ये भी पढ़ेंः केपी ओली को पार्टी से निकाला: सदस्यता भी की रद्द, नेपाल में बढ़ा सत्ता संघर्ष

स्लो नेट स्पीड में भी करते हैं काम

इन ऐप की खासियत के बारे में बताया जा रहा है कि ये इंटरनेट स्पीड कम होने पर या 2G कनेक्शन पर भी आसानी से काम कर सकते हैं। बता दें कि जम्म्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 संशोधित होने के बाद सरकार ने इंटरनेट सेवाएं स्थगित कर दी थी और करीब एक साल बाद टूजी सेवा बहाल की गई थी।

terrorist activity on social media

आतंकी गतिविधि बढ़ाने में इन एप का इस्तेमाल

ऐसे में आतंकी समूहों का घाटी में मौजूद उनके एजेंटों से सम्पर्क टूट गया था। क्योंकि जम्मू कश्मीर में फेसबुक, व्हाट्सऐप का इस्तेमाल लगभग बन्द हो गया था। इसके बाद इन नए एप के इस्तेमाल का बढ़ावा मिला जो पूरी दुनिया मे मुफ्त उपलब्ध हैं। इनमें से एक एप में तो फोन नंबर या ई-मेल पते की भी जरूरत नहीं होती, ऐसे मेंं यूजर की पहचान पूरी तरह से गोपनीय रहती है।

दोस्तों देश दुनिया की और को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Shivani Awasthi

Shivani Awasthi

Next Story