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संसद हमले की बरसी: बदला लेने की तैयारी में था भारत, इसलिए वापस लेना पड़ा फैसला

जैश-ए-ंमोहम्मद के पांच आतंकवादियों ने संसद परिसर में अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। आतंकियों के इस हमले में देश के 9 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे। इसके अलावा 5 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया था। इस हमले के बाद देश में हड़कंप मच गया।

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Published on: 13 Dec 2020 11:46 AM IST
संसद हमले की बरसी: बदला लेने की तैयारी में था भारत, इसलिए वापस लेना पड़ा फैसला
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भारतीय संसद पर हमले की 19वीं बरसी हैं। आज के ही दिन संसद पर आतंकियों ने हमला किया था। इस हमले के बाद देश सकते में पड़ गया था।

नई दिल्ली: भारतीय संसद पर हमले की 19वीं बरसी हैं। आज के ही दिन संसद पर आतंकियों ने हमला किया था। इस हमले के बाद देश सकते में पड़ गया था। 13 दिसंबर 2001 की दोपहर के समय संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था। विपक्षी पार्टियों के हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित हो गई थी। इसी दौरान आतंकवादी पूरी तैयारी के साथ संसद भवन में प्रेवश कर गए।

जैश-ए-ंमोहम्मद के पांच आतंकवादियों ने संसद परिसर में अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। आतंकियों के इस हमले में देश के 9 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे। इसके अलावा 5 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया था। इस हमले के बाद देश में हड़कंप मच गया।

सर्जिकल स्ट्राइक की थी तैयारी

पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल सुशील कुमार ने अपनी किताब में कई खुलासे किए हैं। बीते साल पूर्व नौसने प्रमुख की किताब “ए प्राइममिनिस्टर टू रीमेम्बर” प्रकाशित की गई थी। इस किताब में उन्होंने कई खुलासे किए हैं। उनकी किताब में बताया गया है कि संसद हमले के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने सर्जिकल स्ट्राइक की तरह पीओके में एयर स्ट्राइक की योजना तैयार की थी।

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Attack on Parliament

उन्होंने अपनी किताब में बताया है कि संसद पर आतंकी हमले के तुरंत बाद तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नाडीज ने बैठक की। आर्मी ऑपरेशन रूम में यह बैठक हुई थी जिसमें तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा भी शामिल थे। बताया गया बै कि वाजपेयी पाकिस्तानी सेना के कैंप को तबाह करना चाहते थे, लेकिन किसी वजहों से इस योजना को टाल दिया गया।

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इस बैठक बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने अपने आवास पर तीनों सेना प्रमुखों की बैठ बुलाई थी जिसमें कई अहम फैसले हुए। सेना पूरी तरह तैयार थी, लेकिन अंतिम समय में खुफिया जानकारी मिली कि आतंकियों ने अपना ठिकाना बदल लिया। आतंकियों ने अपना नया कैंप एक बड़े हॉस्पिटल और स्कूल के पास बनाया था। इसको देखते हुए अटल बिहारी बाजपेयी ने ये फैसला वापस ले लिया।

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जानिए संसद पर हमले के बारे में

13 दिसंबर 2001 को सुबह 11 बजकर 20 मिनट पर पर आतंकी लाल बत्ती लगी एंबेस्डर कार में बैठक संसद परिसर में घुसे। यह कार कार विजय चौक से संसद भवन की ओर गई थी। सदनों की कार्यवाही स्थगित होने के कारण प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी समेत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सदन से जा चुके थे। तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत करीब 100 सांसद संसद में अभी भी मौजूद थे। कार को जब एक सुरक्षाकर्मी ने रोकना चाहा तो उन्होंने कार की रफ्तार बढ़ा दी। आतंकियों की कार ने उप राष्ट्रपति के काफिले को टक्कर मार दिया। आतंकियों की कार एक पत्थर से टकरा गई और उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी।

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