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Opposition Meeting: कांग्रेस के रुख पर अब आर-पार के मूड में केजरीवाल, विपक्षी गठबंधन से अलग रास्ते पर चलना तय

Opposition Meeting: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को विपक्षी दलों की पटना बैठक में हिस्सा जरूर लिया । मगर उसके बाद साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में नजर नहीं आए।

Anshuman Tiwari
Published on: 24 Jun 2023 11:14 AM IST
Opposition Meeting: कांग्रेस के रुख पर अब आर-पार के मूड में केजरीवाल, विपक्षी गठबंधन से अलग रास्ते पर चलना तय
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CM Arvind Kejriwal (photo: social media )

Opposition Meeting: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी का अब अन्य विपक्षी दलों से अलग रास्ते पर चलना लगभग तय माना जा रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को विपक्षी दलों की पटना बैठक में हिस्सा जरूर लिया । मगर उसके बाद साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में नजर नहीं आए। केजरीवाल ने दिल्ली के संबंध में मोदी सरकार की ओर से लाए गए अध्यादेश पर कांग्रेस के रुख से नाराजगी के कारण यह कदम उठाया।

दरअसल केजरीवाल को इस बात का एहसास हो गया है कि कांग्रेस इस मामले में गेम खेल रही हैं। इसलिए अब वे इस मुद्दे पर आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में दिख रहे हैं। विपक्षी दलों की अगली बैठक अगले महीने शिमला में होने वाली है । मगर आप ने इस बैठक को लेकर बड़ी शर्त भी रख दी है। आप ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक कांग्रेस की ओर से अध्यादेश के विरोध का ऐलान नहीं किया जाता तब तक आप का विपक्षी दलों की किसी बैठक में भाग लेना मुश्किल होगा।

केजरीवाल का साथ देने के मूड में नहीं है कांग्रेस

दरअसल आम आदमी पार्टी दिल्ली में केंद्र सरकार के ट्रांसफर-पोस्टिंग संबंधी अध्यादेश पर कांग्रेस का समर्थन चाहती है। पटना बैठक में हिस्सा लेने वाले 15 में से 12 दलों का राज्यसभा में प्रतिनिधित्व है और इनमें से कांग्रेस को छोड़कर सभी दलों ने अध्यादेश के मुद्दे पर केजरीवाल का साथ देने का वादा किया है। कांग्रेस ने अभी तक इस मुद्दे पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। कांग्रेस जिस तरह इस मुद्दे पर टालमटोल करने की कोशिश में जुटी हुई है, उससे साफ है कि पार्टी इस मुद्दे पर केजरीवाल का साथ देने के मूड में नहीं है।

शुक्रवार को पटना बैठक के लिए रवाना होते समय दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि संसद सत्र के दौरान पार्टी इस संबंध में फैसला लेगी। कांग्रेस के रुख को लेकर पार्टी अध्यक्ष हां या ना में जवाब देने से बचते हुए दिखे। उन्होंने कहा कि किसी अध्यादेश के समर्थन या विरोध का फैसला बाहर नहीं किया जाता। संसद सत्र के दौरान सभी पार्टियां मिलकर इस संबंध में अपना एजेंडा तय करेंगी।

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी के अधिकांश नेता इस मुद्दे पर केजरीवाल का साथ देने के खिलाफ हैं। पार्टी के नेता संदीप दीक्षित ने इस मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखी है और केजरीवाल का साथ देने का विरोध किया है। पार्टी की दिल्ली और पंजाब इकाई के नेता इस मुद्दे पर आप का साथ देने की खिलाफत कर रहे हैं।

पटना बैठक में दिखी केजरीवाल की नाराजगी

कांग्रेस के इस रुख को लेकर केजरीवाल काफी नाराज हैं। पटना बैठक में उन्होंने इस बाबत सभी विपक्षी दलों का समर्थन मांगा था। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का भी बैठक में कहना था कि कांग्रेस को इस मुद्दे पर केजरीवाल का साथ देना चाहिए। वैसे कांग्रेस ने अभी तक इस मामले में अपना रुख नहीं साफ किया है।

नाराजगी की वजह से ही केजरीवाल बैठक के बाद साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए नहीं पहुंचे। इस बाबत सवाल पूछे जाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सवालों को टालते हुए नजर आए। उन्होंने कहा कि केजरीवाल और उनके साथ आए साथियों को प्लेन पकड़ना था और इसी कारण वे बैठक के बाद सीधे एयरपोर्ट रवाना हो गए हैं।

आप ने साफ कर दी भविष्य की रणनीति

इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी की ओर से जारी बयान से पार्टी का रुख समझा जा सकता है। आप की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जब तक कांग्रेस की ओर से इस काले अध्यादेश के विरोध का सार्वजनिक रूप से ऐलान नहीं किया जाता और पार्टी यह नहीं कहती कि राज्यसभा में उसके सभी 31 सदस्य इस अध्यादेश का विरोध करेंगे, तब तक समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों की बैठक में आप का भाग लेना मुश्किल होगा। आप ने कहा कि इस इस काले अध्यादेश के जरिए दिल्ली में निर्वाचित सरकार के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीना गया है। अगर विपक्षी दलों की ओर से मोदी सरकार के इस कदम का तीखा विरोध नहीं किया गया तो यह नीति धीरे-धीरे अन्य गैर भाजपाई राज्यों में भी आजमाई जाएगी। इसलिए इस काले अध्यादेश के खिलाफ राज्यसभा में सभी विपक्षी दलों का एकजुट होना जरूरी है।

आप ने कहा कि पटना बैठक में हिस्सा लेने वाले 12 दलों का राज्यसभा में प्रतिनिधित्व है और इनमें से 11 दलों ने इसका विरोध करने का ऐलान किया है। सिर्फ कांग्रेस ने इस मामले में अपना रुख अभी तक साफ नहीं किया है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस की दिल्ली और पंजाब यूनिट ने इस मामले में मोदी सरकार का समर्थन करने की बात कही है।

कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं केजरीवाल

सियासी जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के रुख से साफ हो गया है कि वह अध्यादेश के मुद्दे पर आप का साथ नहीं देगी। ऐसे में केजरीवाल का अब अन्य विपक्षी दलों से अलग होकर चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। केजरीवाल राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पूरी तैयारी के साथ चुनाव लड़ना चाहते हैं। आने वाले दिनों में वे इन तीनों राज्यों में चुनावी सक्रियता बढ़ाने वाले हैं।

केजरीवाल का यह कदम कांग्रेस के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारें हैं जबकि मध्यप्रदेश में कांग्रेस प्रमुख विपक्षी दल है। कांग्रेस पूरी दमदारी के साथ इन तीनों राज्यों में भाजपा की चुनौतियों का सामना करने की कोशिश में जुटी हुई है। दूसरी ओर केजरीवाल जल्द ही इन तीनों राज्यों में सक्रियता बढ़ाने वाले हैं। वे जल्द ही चुनावी राज्यों में पार्टी का बड़ा अभियान शुरू करेंगे।

हाल में राजस्थान दौरे के समय भी उन्होंने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला था। केजरीवाल के इस रुख से कांग्रेस को सियासी नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। गोवा और गुजरात के विधानसभा चुनाव में भी केजरीवाल कांग्रेस को नुकसान पहुंचा चुके हैं और अब कई अन्य चुनावी राज्यों में अलग लड़कर वे कांग्रेस को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस भाजपा के साथ आप की चुनौती का कैसे मुकाबला करती है।



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Anshuman Tiwari

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