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जानिए क्या है पवन हंस, सरकार के लिए बन गई है बड़ी चुनौती
केंद्र सरकार ने तीसरी बार पवन हंस के विनिवेश के लिए रुचि पत्र (ईओआई) सीमा बढ़ाने का फैसला लिया है। तीन महीने में तीसरी बार ईओआई की सीमा को बढ़ाया गया है। अभी ईओआई देने की समयसीमा 26 सितंबर तक थी जिसे अब बढ़ाकर 10 अक्टूबर कर दिया गया है।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने तीसरी बार पवन हंस के विनिवेश के लिए रुचि पत्र (ईओआई) सीमा बढ़ाने का फैसला लिया है। तीन महीने में तीसरी बार ईओआई की सीमा को बढ़ाया गया है। अभी ईओआई देने की समयसीमा 26 सितंबर तक थी जिसे अब बढ़ाकर 10 अक्टूबर कर दिया गया है। सरकार इस हेलिकॉप्टर सेवा प्रदाता कंपनी से काफी समय से बाहर निकलने की तैयारी कर रही है।
बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी कंपनियों की ''रणनीतिक विनिवेश'' पर जोर देने के संकेत दिए थे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार किसी सार्वजनिक क्षेत्र के कंपनी में अपनी समूची हिस्सेदारी बेच सकती है। लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की हेलिकॉप्टर कंपनी पवन हंस के मामले में सरकार की यह कोशिश पूरी नहीं होती नजर आ रही है।
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नहीं मिल रहा खरीदार
सरकार पवन हंस में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है, लेकिन उसे अच्छा खरीदार नहीं मिल रहा है। जिसकी वजह से तीन महीने में तीसरी बार पवन हंस के विनिवेश के लिए रुचि पत्र (ईओआई) दाखिल करने की अतिम तारीख को बढ़ाया गया है।
गौरतलब है कि अब कोई कंपनी या व्यक्ति जब ईओआई दाखिल करता है तो यह माना जाता है कि वह नीलाम होने वाली कंपनी को खरीदने के लिए इच्छुक है। ईओआई दखिल करने की अंतिम तारीख उन परिस्थितियों में बढ़ाई जाती है जब बिकने वाली कंपनी को कोई अच्छा खरीदार नहीं मिलता है।
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घाटे में है कंपनी
आपको बता दें कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी पवन हंस घाटे में चल रही है। कंपनी ने बयान जारी कर कहा था कि 2018-19 में उसे करीब 89 करोड़ रुपये का घाटा हुआ, कंपनी पर 230 करोड़ रुपये के अलावा और भी कई देनदारियां बताई गई हैं।
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इनकी है हिस्सेदारी
पवन हंस में सरकार की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है, वहीं शेष 49 फीसदी हिस्सेदारी ओएनजीसी की है। अगर शेयर के हिसाब से बात करें तो सरकार के पास कंपनी के 2 लाख 84 हजार 316 शेयर हैं। इसी तरह ओएनजीसी के पास 2 लाख 73 हजार 166 शेयर हैं। हा