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सशस्त्र बलों को पेंशन लाभ में विसंगतियां व भेदभाव खत्म करने के लिए SC में याचिका दायर

याचिका में कहा गया है कि केंद्र ने नयी अंशदायी पेंशन योजना की शुरुआत की और यह एक जनवरी 2004 से लागू हुई। 22 दिसम्बर, 2003 को जारी अधिसूचना के माध्यम से सरकार ने पेंशन योजना को भागीदारी वाला बना दिया जिसमें कर्मचारी के वेतन से हिस्सा कटता है।

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Published on: 23 Oct 2020 12:18 PM IST
सशस्त्र बलों को पेंशन लाभ में विसंगतियां व भेदभाव खत्म करने के लिए SC में याचिका दायर
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सशस्त्र बलों को पेंशन लाभ में विसंगतियां व भेदभाव खत्म करने के लिए SC में याचिका दायर (Photo by social media)

नयी दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले सशस्त्र बल के कर्मियों के पेंशन लाभ में विसंगतियों व भेदभाव को दूर करने का आग्रह किया गया है। 'हमारा देश, हमारे जवान ट्रस्ट' की तरफ से यह याचिका बी.जे.पी. नेता व सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट अजय अग्रवाल ने दायर की है तथा ट्रस्ट की और से भावना शर्मा द्वारा हलफनामा प्रस्तुत किया गया है |

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याचिका में कहा गया है कि केंद्र ने नयी अंशदायी पेंशन योजना की शुरुआत की और यह एक जनवरी 2004 से लागू हुई। 22 दिसम्बर, 2003 को जारी अधिसूचना के माध्यम से सरकार ने पेंशन योजना को भागीदारी वाला बना दिया जिसमें कर्मचारी के वेतन से हिस्सा कटता है। एडवोकेट अजय अग्रवाल के मार्फत दायर याचिका में कहा गया है, कि ''केंद्र सरकार गृह मंत्रालय के तहत आने वाले और एक जनवरी 2004 के बाद सेवा में आने वाले सशस्त्र बल के कर्मियों के लिए हाइब्रिड पेंशन योजना लागू कर रही है, जो पुरानी और नयी पेंशन योजना का मिश्रण है।''

नयी अंशदायी पेंशन योजना भारत सरकार के सशस्त्र बलों पर लागू नहीं होती है

उन्होंने कहा, ''लेकिन यह नयी अंशदायी पेंशन योजना भारत सरकार के सशस्त्र बलों पर लागू नहीं होती है।'' एडवोकेट अजय अग्रवाल ने याचिका में आगे कहा है कि गृह मंत्रालय के तहत आने वाले सशस्त्र बलों के लिए 6 अगस्त, 2004 को स्पष्टीकरण जारी किया गया था कि ये सभी गृह मंत्रालय के तहत केंद्र के सशस्त्र बल हैं। गृह मंत्रालय के तहत आने वाले सशस्त्र बलों में बीएसएफ, आईटीबीपी, सीमा सुरक्षा बल, असम राइफल्स, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ तथा एनएसजी शामिल हैं।

याचिका में कहा गया है

याचिका में कहा गया है कि गृह मंत्रालय के तहत आने वाले सशस्त्र बलों के हर कर्मी पुरानी योजना के तहत पेंशन पाना चाहते हैं लेकिन केंद्र सरकार कोई कार्यवाही नहीं कर रही है, ''और इस प्रकार गृह मंत्रालय के तहत आने वाले सशस्त्र बलों के साथ भेदभाव हो रहा है जबकि गृह तथा रक्षा मंत्रालय दोनों के अधीन आने वाले बल केंद्र के ही सशस्त्र बल हैं तथा गृह मंत्रालय के अधीन सशस्त्र बलों का कार्य किसी भी प्रकार से रक्षा मंत्रालय के अधीन आने वाले सशस्त्र बलों से कम नहीं है |

सीमाओं की रक्षा करते रहते हैं और रक्षा करते हुए आये दिन इनके जवान वीरगति को प्राप्त होते हैं

एडवोकेट अजय अग्रवाल ने आगे कहा है कि बॉर्डर सिक्यूरिटी फ़ोर्स, इंडो तिब्बत सीमा पुलिस, सशस्त्र सीमा बल और असम रायफल्स दिन रात हमारी सीमाओं की रक्षा करते रहते हैं और रक्षा करते हुए आये दिन इनके जवान वीरगति को प्राप्त होते हैं | सवा तीन लाख जवानों वाली केन्द्रीय रिजर्व पुलिस फ़ोर्स विश्व की सबसे अधिक संख्या वाली सशस्त्र पैरामिलिट्री फ़ोर्स है जो हमारी सीमाओं के पीछे रहती है तथा देश के आतंकवादियों से मुकाबला करती है | अभी पुलवामा में इसी सी.आर.पी.एफ. के चालीस जवानों ने शहादत दी थी और आये दिन इस बल के जवान देश के खातिर अपनी जान न्योछावर करते हैं | गृह मंत्रालय के अधीन आने वाले इन सभी सशस्त्र बलों के जवानों की कुल संख्या चौदह लाख बयालीस हजार हैं जबकि रक्षा मंत्रालय के अधीन आने वाले तीनों सशस्त्र बलों-थल सेना, वायु सेना व जल सेना की कुल संख्या बारह लाख है |

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एडवोकेट अजय अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों का हवाला देते हुए कहा

एडवोकेट अजय अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों का हवाला देते हुए कहा है कि पेंशन इन सशस्त्र बलों का अधिकार है और रिटायरमेंट के बाद जीवन की संध्या में एक सम्मानित एवं गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए यह बेहद जरूरी है | याचिका में कहा गया है कि कई बार आवेदन देने के बावजूद सरकार ने कुछ भी नहीं किया है, इसलिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय, गृह मंत्रालय के अधीन आने वाले सशस्त्र बलों के प्रति विसंगति व भेदभाव को समाप्त करते हुए उनके लिए भी वही पुरानी पेंशन योजना को बहाल करें जो कि रक्षा मंत्रालय के अधीन सशस्त्र बलों के लिए मान्य की गयी है |

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