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फाइजर वैक्सीन घातकः टीके के साइड इफेक्ट की चिंता, भारत में नहीं मिली मंजूरी

फाइजर भारत में वैक्सीन की आपात मंजूरी के लिए आवेदन करने वाली पहली कंपनी थी। उसने 6 दिसंबर को भारत में वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के यहां आवेदन किया था।

Shivani Awasthi
Published on: 6 Feb 2021 4:26 AM GMT
फाइजर वैक्सीन घातकः टीके के साइड इफेक्ट की चिंता, भारत में नहीं मिली मंजूरी
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नीलमणि लाल

लखनऊ। दुनिया भर में फिलहाल कोरोना वायरस के खिलाफ छह वैक्सीनें इस्तेमाल की जा रही हैं। इनमें फाइजर-बायोनटेक, मॉर्डेना, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रा जेनेका की वैक्सीन, भारत की कोवैक्सीन, चीन की सिनोवैक और रूस की स्पुतनिक है। जॉनसन एंड जॉनसन ने तीसरे चरण के ट्रायल के बाद अब अपनी वैक्सीन ने इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति माँगी है। कुछ और कंपनियां भी अपनी वैक्सीन का ट्रायल कर रही हैं। अब फाइजर कंपनी ने भारत में अपनी वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल का आवेदन वापस ले लिए है। इसका मतलब ये है कि भारत में फाइजर की वैक्सीन नहीं मिलेगी। इसकी वजह फाइजर की वैक्सीन का भारत में ट्रायल न होना और इस वैक्सीन के गंभीर साइड इफ़ेक्ट को लेकर चिंता है।

एक्सपर्ट कमिटी ने दी विपरीत रिपोर्ट

फाइजर ने अपना आवेदन इसलिए वापस लिया है क्योंकि ड्रग कंट्रोलर की एक्सपर्ट कमिटी ने उसके खिलाफ रिपोर्ट दी थी। एक्सपर्ट कमिटी ने फाइजर की वैक्सीन को मंजूरी नहीं देने की अनुशंसा की थी। एक्सपर्ट कमिटी की चिंता फाइजर की वैक्सीन के गंभीर साइड इफेक्ट्स को लेकर थी। इसके अलावा एक गंभीर बात ये भी थी कि कंपनी ने भारत में ट्रायल नहीं किये थे सो अतिरिक्त सुरक्षा जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गयी थी। एक्सपर्ट्स की रिपोर्ट के बाद फाइजर ने कहा कि वो जब तक अतिरिक्त जानकारी नहीं जुटा लेता तबतक के लिए वो अपनी अर्जी वापस ले ले रहा है।

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सबसे पहले किया था आवेदन

फाइजर भारत में वैक्सीन की आपात मंजूरी के लिए आवेदन करने वाली पहली कंपनी थी। उसने 6 दिसंबर को भारत में वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के यहां आवेदन किया था। आवेदन वापस लेने के बाद फाइजर कंपनी का कहना है कि उसका भारत के ड्रग कंट्रोलर के साथ संवाद जारी रहेगा और भविष्य में वैक्सीन उपलब्ध कराने को लेकर अनुमोदन अनुरोध को फिर से किया जाएगा।

तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल में वैक्सीन 95 प्रतिशत तक असरदार

फाइजर-बायोएनटेक ने गत 18 नवंबर को दावा किया था कि तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल का अंतिम विश्लेषण में सामने आया है कि उनकी वैक्सीन 95 प्रतिशत तक असरदार है। इसके साथ ही कंपनी ने यह भी दावा किया था कि वैक्सीन सुरक्षा मानकों पर खरी उतरी है।विश्लेषण में बड़े वयस्कों में भी ये कारगर रही है और किसी भी वालंटियर में कोई गंभीर सुरक्षा चिंता देखने को नहीं मिली है। हालांकि, ड्रग कंट्रोलर ने मंजूरी के लिए उसे और अधिक डेटा उपलब्ध कराने तथा कोल्ड स्टोरेज स्थिति की समीक्षा करने के बाद मंजूरी देने की बात कही थी, लेकिन कंपनी को अभी तक मंजूरी नहीं दी गयी।

फाइजर प्रवक्ता का वैक्सीन पर एलान

फाइजर के प्रवक्ता ने कहा है कि अपनी कोरोना वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मांग के अनुसरण में फाइजर ने 3 फरवरी को ड्रग नियामक प्राधिकरण की विषय विशेषज्ञ समिति की बैठक में हिस्सा लिया था। बैठक में विचार-विमर्श और अतिरिक्त जानकारी जुटाने के बाद कंपनी ने फिलहाल आवेदन वापस लेने का फैसला किया है।

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फाइजर का प्राधिकरण के साथ संवाद जारी रहेगा और भविष्य में अनुरोध को फिर से जारी किया जाएगा। प्रवक्ता ने कहा - हमारी कंपनी भारत में सरकार द्वारा उपयोग के लिए अपनी वैक्सीन को उपलब्ध कराने और आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण के लिए अपेक्षित मार्ग का अनुसरण करने के लिए प्रतिबद्ध है। इससे भविष्य के लिए भी संभावनाएं बनी रहेगी।

एमआरएनए तकनीक से तैयार की गई है वैक्सीन

फाइजर और बायोएनटेक की वैक्सीन एक नई तकनीक पर आधारित है। इस वैक्सीन को एमआरएनए NA तकनीक के जरिए बनाया गया है। इस तकनीक में वायरस के जिनोम का प्रयोग कर कृत्रिम आरएनए बनाया जाता है जो कोशिका में जाकर उन्हें कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन बनाने का निर्देश देता है।

pfizer vaccine

इन स्पाइक प्रोटीन की पहचान कर सेल्स कोरोना की एंटीबॉडीज बनाने लग जाती हैं। मॉडर्ना की संभावित वैक्सीन भी इसी तकनीक पर बनी है। फाइजर की वैक्सीन को -70 डिग्री तापमान पर स्टोर करने की जरूरत होगी। वैक्सीन को ड्राई आइस में पैक करने के बाद खास तौर पर बनाए गए डिब्बों में रखकर डिलीवर किया जाएगा। इसे पांच दिनों तक फ्रीज में रखा जा सकता है।

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इसी तरह वैक्सीन दुनिया की सबसे तेज गति से विकसित होने वाली वैक्सीन है। इसे बनाने में लगभग 10 महीने का समय लगा है। आमतौर पर किसी वैक्सीन को तैयार करने में कई साल लग जाते हैं। यूनाइटेड किंगडम ने सबसे पहले दिसंबर वैक्सीन को इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। उसके बाद अमेरिका, बहरीन, कनाडा, सऊदी अरब, मैक्सिको, सिंगापुर समेत कई देशों में इस वैक्सीन की वितरण शुरू हो चुका है और लाखों लोगों को इसकी खुराक दी जा चुकी है।

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