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पीएम मोदी के इस ख़ास 'दोस्त' का हुआ निधन, याद कर हुए भावुक
पीएम मोदी ने कहा कि उनके निधन के बारे में जानकर मुझे गहरा दुख हुआ। वह एक दूरदर्शी नेता और राजनेता थे।
दिल्ली: ओमान (Oman) के सुल्तान काबूस बिन सईद (Sultan Qaboos bin Said) का निधन हो गया है। जानकारी के मुताबिक़, सुल्तान काबूस का लंबी बिमारी के बाद शुकवार देर रात निधन हो होगा। उनके निधन पर शनिवार से ओमान में तीन दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित हुआ है। वहीं सुल्तान काबूस के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने दुख जताया है।
पीएम मोदी ने ओमान के सुल्तान के निधन पर जताया शोक:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा, सुल्तान काबूस बिन सईद के निधन के बारे में जानकर मुझे गहरा दुख हुआ है। वह एक दूरदर्शी नेता और राजनेता थे, जिन्होंने ओमान को एक आधुनिक और समृद्ध राष्ट्र में बदल दिया। वह दुनिया के लिए शांति के प्रतीक थे।
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वहीं पीएम ने ट्वीट पर सुल्तान काबूस के साथ भारत के रिश्ते पर जानकारी देते हुए कहा, 'सुल्तान काबूस भारत के सच्चे दोस्त थे। उन्होंने भारत और ओमान के बीच साझेदारी को मजबूत बनाने में सशक्त भूमिका निभाई। मैं हमेशा उनसे मिली गर्मजोशी और स्नेह को संजोकर रखूंगा। उनकी आत्मा को शांति मिले।'
बता दें कि सुल्तान काबूस के भारत के साथ अच्छे रिश्ते थे। भारत ने 2004 में उन्हें जवाहरलाल नेहरू अवार्ड फॉर इंटरनेशनल अंडरस्टैंडिंग दिया था।
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जानें सुलतान काबूस के बारे में:
सुल्तान काबूस का जन्म 18 नवंबर 1940 को सलालाह में हुआ था। वह अल बू सईद वंश के वंशज थे। जानकारी के मुताबिक़, सुल्तान काबूस ने अपनी पढ़ाई भारत और सैंडहर्स्ट की रॉयल मिलिट्री एकेडमी में पूरी की है। काबूस ने 1970 में अपने पिता सईद बिन तैमूर का तख्तापलट कर ओमान की बागडोर अपने हाथ में ली थी। पांच साल के शासन में उन्होंने ओमान को गरीबी से निकालकर विकास की पटरी पर लाकर खड़ा कर दिया।
काबूस बिन सईद मिडल ईस्ट और अरब देशों में सबसे लंबे समय तक राज करने वाले शासक रहे। सईद को ओमान की तस्वीर बदलने वाले नेता के तौर पर जाना जाता है।
ईरान-अमेरिका के बीच न्यूक्लियर डील पर निभाई थी अहम भूमिका:
गौरतलब है कि सुल्तान काबूस ने तेल के भंडारों के जरिए खाड़ी में अपना अलग मुकाम बनाया और दुनिया भर के देशों के साथ आपसी रिश्ते मजबूत किए। वहीं ईरान और एरिका के बीच साल 2015 में हुई न्यूक्लियर डील कराने में भी उनका योगदान रहा। दरअसल, ओमान के कहने पर ही अमेरिका ईरान के साथ न्यूक्लियर डील करने को तैयार हुआ था।