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PM Modi Speech: संसद में विपक्ष के मुद्दों का लाल किले से जवाब, परिवारजन से शुरुआत कर परिवारवाद को लपेटा
PM Modi Speech:प्रधानमंत्री के संबोधन का एक विशेष पहलू यह भी था कि उन्होंने विपक्ष को चुन-चुन कर उन मुद्दों पर जवाब देने की कोशिश की जिन मुद्दों को लेकर विपक्ष ने संसद के मानसून सत्र के दौरान आक्रामक तेवर अपना रखा था।
PM Modi Speech: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इस बार लाल किले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए अंदाज में अपने भाषण की शुरुआत की। उनका पहला वाक्य था मेरे प्रिय 140 करोड़ परिवारजन। बीच-बीच में भी प्रधानमंत्री मोदी बार-बार परिवारजन कहकर ही संबोधन देते रहे। इस संबोधन के जरिए उन्होंने खुद को देशवासियों के साथ जोड़ने का प्रयास किया। लाल किले पर दसवीं बार तिरंगा फहराने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार के दस साल के काम का ब्योरा पेश करने के साथ ही आने वाले दिनों में विकास का रोडमैप भी पेश किया।
प्रधानमंत्री के संबोधन का एक विशेष पहलू यह भी था कि उन्होंने विपक्ष को चुन-चुन कर उन मुद्दों पर जवाब देने की कोशिश की जिन मुद्दों को लेकर विपक्ष ने संसद के मानसून सत्र के दौरान आक्रामक तेवर अपना रखा था। मणिपुर में हिंसा के मुद्दे पर मानसून सत्र के दौरान लंबे समय तक गतिरोध बना रहा। विपक्ष लगातार प्रधानमंत्री से जवाब की मांग पर अड़ा रहा और बाद में इसीलिए विपक्ष की ओर से अविश्वास प्रस्ताव भी लाया गया था। हालांकि प्रधानमंत्री के तीखे जवाब के बाद विपक्ष की सारी रणनीति फेल नजर आई थी।
26 बार किया परिवारजन का जिक्र
प्रधानमंत्री मोदी ने आज देशवासियों को परिवार जन बताते हुए बिल्कुल बदले हुए अंदाज में अपने भाषण की शुरुआत की। अभी तक स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री अपने संबोधन की शुरुआत 'मेरे प्यारे देशवासियों' के संबोधन से किया करते थे। मजे की बात यह है कि अपने डेढ़ घंटे लंबे भाषण के दौरान बीच-बीच में भी प्रधानमंत्री ने देशवासियों को परिवारजन कहा। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान परिवारजन शब्द का इस्तेमाल 26 बार किया। इसी से समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री खुद को देशवासियों के परिवार का सदस्य बताने में जुटे रहे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि परिवारजनों, मैं आपके बीच से ही निकला हूं और हमेशा आपके लिए ही जीता हूं। अगर मुझे सपना भी आता है तो आपके लिए ही आता है। मैं पसीना बहाता हूं तो आपके लिए ही बहता हूं। मैं इसीलिए कह रहा हूं कि आप मेरे परिवार जन हैं।
आपके परिवार का सदस्य होने के नाते मैं आपका दुख कभी नहीं देख सकता। जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन से साफ है कि उन्होंने देशवासियों के साथ आत्मीय रिश्ता बनाते हुए इमोशनल कार्ड खेलने की बड़ी कोशिश की।
संसद में विपक्ष के मुद्दों का दिया जवाब
मोदी के संबोधन का एक उल्लेखनीय पहलू यह भी रहा कि उन्होंने देश के विकास का रोडमैप पेश करने के साथ ही उन मुद्दों पर जवाब देने की भी कोशिश की जिन्हें लेकर विपक्ष ने संसद में आक्रामक रुख अपना रखा था। संसद के मानसून सत्र के दौरान विपक्ष मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के जवाब की मांग पर अड़ा हुआ था जबकि सत्ता पक्ष का कहना था कि सरकार इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार है और इस चर्चा का जवाब गृह मंत्री अमित शाह देंगे। इसे लेकर संसद में कई दिनों तक गतिरोध बना रहा और कार्यवाही पूरी तरह ठप रही।
बाद में विपक्ष ने अपनी रणनीति बदलते हुए मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया। गत 8 अगस्त को संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत हुई थी और तीन दिनों की चर्चा के बाद 10 अगस्त की शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीखे अंदाज में इस चर्चा का जवाब दिया था। प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर के मुद्दे का जिक्र अपने भाषण में काफी देर बाद किया जिससे नाराज होकर विपक्ष ने वॉकआउट भी कर दिया था। विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव पहले ही गिरना तय माना जा रहा था और आखिरकार वही हुआ भी।
मणिपुर में शांति के प्रयासों का जिक्र
प्रधानमंत्री मोदी ने आज लाल किले से अपने भाषण की शुरुआत में ही मणिपुर के मुद्दे का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों नॉर्थ ईस्ट और विशेष रूप से मणिपुर में हिंसा का जो दौर चला, उसमें कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। हमारी बहन बेटियों के सम्मान के साथ खिलवाड़ किया गया।
अब मणिपुर में पिछले कुछ दिनों से शांति की खबरें आ रही हैं। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से राज्य में शांति बहाल करने की कोशिशें की जा रही हैं। उन्होंने मणिपुर के लोगों को आश्वासन देते हुए कहा कि पूरा देश आपके साथ खड़ा है। उन्होंने कहा कि मणिपुर की समस्याओं का समाधान करने के लिए हम आगे भी भरपूर प्रयास जारी रखेंगे।
महंगाई पर भी जवाब देने की कोशिश
विपक्ष की ओर से महंगाई के मुद्दे पर मोदी सरकार को हमेशा घेरा जाता रहा है। संसद के मानसून सत्र के दौरान टमाटर सहित अन्य कई चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी के मुद्दे पर भी विपक्ष हमलावर रहा था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे पर भी विपक्ष को जवाब देने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि दुनिया अभी कोरोना संकट से उबर ही नहीं सकी थी, तभी युद्ध का संकट शुरू हो गया। यही कारण है कि पूरी दुनिया को इस समय महंगाई ने दबोच रखा है। हमारा दुर्भाग्य है कि हमें सामान के इंपोर्ट के साथ महंगाई भी इंपोर्ट करनी पड़ रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार महंगाई को नियंत्रित करने की दिशा में भरसक प्रयास कर रही है और पिछले साल की तुलना में हमें इस काम में सफलता भी हासिल हुई है। उन्होंने कहा कि देशवासियों पर से महंगाई का बोझ कम करने के लिए आने वाले दिनों में मुझे कई और कदम भी उठाने हैं। निश्चित रूप से आने वाले दिनों में हमें इस दिशा में कामयाबी मिलने की उम्मीद है।
तुष्टीकरण के जरिए असंतुलित विकास
देश में असंतुलित विकास का जिक्र करते हुए भी प्रधानमंत्री ने विपक्ष को जवाब देने का प्रयास किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि तुष्टीकरण की नीति पर अमल करने के कारण कुछ क्षेत्रों का ज्यादा विकास हुआ जबकि कुछ क्षेत्र विकास की दौड़ में काफी पिछड़ गए। किसी विशेष को अपना मान कर विकास किया जाना देश के भविष्य के लिए कभी अच्छा नहीं होता।
भ्रष्टाचार और तुष्टीकरण की नीति ने दीमक की तरह देश को चाटने का काम किया है। देश की सत्ता संभालने के बाद मैंने देश के सुदूरवर्ती इलाकों के विकास पर भी पूरा जोर दिया है। देश के अंतिम गांव की परिभाषा को बदलते हुए हमने उसे देश का पहला गांव माना है और यही कारण है कि सुदूरवर्ती इलाकों में भी काफी तेजी से विकास के काम किए जा रहे हैं।
कांग्रेस के साथ इन दलों पर भी निशाना
परिवारवाद का जिक्र करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ कांग्रेस पर ही नहीं बल्कि कई क्षेत्रीय दलों को भी निशाना बनाने की कोशिश की। वैसे प्रधानमंत्री मोदी पूर्व में भी परिवारवाद पर समय-समय पर तीखा हमला करते रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि कुछ लोगों के जीवन का मंत्र है परिवार की पार्टी,परिवार द्वारा और परिवार के लिए। परिवारवाद देश के योग्य लोगों से अवसर छीनता है।
प्रधानमंत्री ने लाल किले से परिवारवाद पर हमला करते हुए कांग्रेस के साथ ही समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस आरजेडी, झामुमो, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी को निशाने पर लिया है। विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया में इन सभी दलों की अहम भूमिका है और प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के जरिए इन सभी दलों को निशाना बनाने का प्रयास किया।